गोदान में कृषक जीवन ( Godan Mein Krishak Jivan )

गोदान मुंशी प्रेमचंद जी का सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यास है | गोदान ग्रामीण जीवन की कहानी है जिसका नायक होरी एक निर्धन किसान है | होरी की कथा वास्तव में तत्कालीन भारत के अनेक किसानों की दुखद कथा है | किसान अपने परिवार के साथ खेतों में जी तोड़ मेहनत करते हैं परंतु समाज के शोषक … Read more

गोदान का मूल भाव / उद्देश्य या समस्याएं ( Godan Ka Mool Bhav / Uddeshy Ya Samasyayen )

साहित्यकार जब किसी विषय पर लिखता है तो उसका कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता है फिर उपन्यास तो साहित्य की एक ऐसी विधा है जो जीवन के विविध रंगों को हमारे सामने प्रस्तुत करती है | उपन्यास में जीवन की विभिन्न स्थितियों का वर्णन होता है | वे स्थितियां-परिस्थितियां अच्छी भी हो सकती हैं … Read more

हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग : भक्तिकाल ( Hindi Sahitya Ka Swarn Yug :Bhaktikal )

      हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग : भक्तिकाल  ‘भक्तिकाल’ की समय सीमा संवत् 1375 से 1700 संवत् तक मानी  जाती है । भक्तिकाल हिंदी साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण काल है जिसे इसकी विशेषताओं के कारण इसे स्वर्ण युग कहा जाता है । राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, दार्शनिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अंतर्विरोधों से परिपूर्ण … Read more

भक्ति आंदोलन : उद्भव एवं विकास ( Bhakti Andolan : Udbhav Evam Vikas )

           भक्ति आंदोलन : उद्भव एवं विकास  ( Bhakti Andolan : Udbhav Evam Vikas )   ईश्वर के प्रति जो परम श्रद्धा, आस्था व प्रेम है – उसे भक्ति    कहते    हैं। नारद भक्ति-सूत्र    के अनुसार –“परमात्मा  के प्रति परम प्रेम को भक्ति कहते हैं |”  भक्ति शब्द की निष्पति … Read more

आदिकाल : प्रमुख कवि, रचनाएं व नामकरण ( Aadikal ke Pramukh Kavi, Rachnayen Evam Naamkaran )

       आदिकाल की प्रमुख रचनाएं एवं नामकरण  Aadikal ki Pramukh Rachnayen Evam Namkaran   ▪️ सरहपाद ( 769 ईस्वी ) – दोहाकोश▪️ स्वयंभू (आठवीं सदी) –  पउम चरिउ, णयकुमार चरिउ, नागकुमार चरिउ👉 [ पउम चरिउ ( राम कथा)  के कारण स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है | ] ▪️ जोइंदु (आठवीं … Read more

वस्तुनिष्ठ प्रश्न ( हिंदी ) बी ए द्वितीय वर्ष – चतुर्थ सेमेस्टर ( Objective Type Questions-Hindi, BA 2nd year,4th semester )

              ⚫️ वस्तुनिष्ठ प्रश्न ( हिंदी ) ⚫️ ( बी ए द्वितीय वर्ष-चतुर्थ सेमेस्टर ) 👉  ‘ईदगाह’ कहानी के लेखक कौन हैं? ▪️  मुंशी प्रेमचंद 👉 प्रेमचंद का वास्तविक नाम क्या था? ▪️ धनपत राय 👉 प्रेमचंद आरंभ में किस नाम से लिखते थे? ▪️ नवाब राय के नाम … Read more

राम काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां /विशेषताएं ( Rama Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan )

राम काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां / विशेषताएं  ( Rama Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtayen )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल , मध्यकाल और आधुनिक काल | हिंदी साहित्य-इतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आरेख के माध्यम से भली प्रकार … Read more

सूफी काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Sufi Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan )

सूफी काव्य परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Sufi Kavya: Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtayen ) हिंदी साहित्य के इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है : आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | हिंदी साहित्य-इतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आलेख के माध्यम से भली प्रकार समझा जा सकता है : अत: … Read more

प्रयोगवादी कविता ( नई कविता ) की सामान्य प्रवृतियां ( Prayogvadi kaviata / Nai Kavita Ki Samanya Pravrittiyan )

      प्रयोगवादी कविता की सामान्य प्रवृतियां      ( Prayogvadi Kavita/ Nai Kavita Ki Visheshtayen ) हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती … Read more

प्रगतिवाद : अर्थ, आरम्भ, प्रमुख कवि व प्रवृतियां ( Pragativad : Arth, Aarambh, Pramukh Kavi V Pravritiyan )

प्रगतिवाद ( Pragativad )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता … Read more

हिंदी-साहित्य के आधुनिक काल की परिस्थितियां ( Hindi Sahitya Ke Adhunik Kal Ki Paristhitiyon )

 हिंदी साहित्य के आधुनिक काल की परिस्थितियां ( Hindi Sahitya :Adhunik Kaal Ki Paristhitiyan ) हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल,  मध्यकाल व आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्यकाल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल ( … Read more

छायावाद : अर्थ, परिभाषा व प्रवृत्तियां ( Chhayavad : Arth, Paribhasha V Pravrittiyan )

  हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल ,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है | भक्तिकाल की … Read more

हिंदी कहानी : उद्भव एवं विकास ( Hindi Kahani : Udbhav Evam Vikas )

                हिंदी कहानी : उद्भव एवं विकास       ( Hindi Kahani : Udbhav Evam Vikas ) आधुनिक हिंदी कहानी का स्वरूप अंग्रेजी तथा बांग्ला कहानी से प्रभावित है |हिंदी की प्रथम कहानी को लेकर विद्वानों में मतभेद है | कुछ विद्वान इंशा अल्ला खां द्वारा रचित ‘रानी … Read more

रीतिकाल : परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Reetikal : Parampara Evam Pravritiyan )

             रीतिकाल : परंपरा एवं प्रवृतियां     ( Reetikal : Parampara Evam Pravrityan )   हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल,  मध्यकाल व आधुनिक काल | मध्यकाल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल ( Reetikal ) के नाम … Read more

रीतिसिद्ध काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Reetisiddh kavya: Parampara Evam Pravritiya )

              रीतिसिद्ध काव्य परंपरा    हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बाँटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल व आधुनिक काल | मध्यकाल के पूर्ववर्ती काल को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है |  रीतिकाल की समय-सीमा संवत 1700 से संवत … Read more