रासो काव्य परंपरा ( Raso Kavya Parampara )

रासो काव्य परंपरा ( Raso Kavya Parampara ) को जानने से पूर्व ‘रासो’ शब्द की व्युत्पत्ति को जानना आवश्यक होगा | ‘रासो’ शब्द की व्यत्पत्ति ‘रासो’ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं | ‘रास’, ‘रासउ’, ‘रासु’, “रासह’ और ‘रासो’ आदि शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची शब्दों के रूप में प्रयुक्त होते रहे हैं। … Read more

‘यशोधरा’ काव्य का भाव पक्ष एवं कला पक्ष

मैथिलीशरण गुप्त जी द्विवेदी युग के प्रमुख कवि थे। उन्होंने ‘यशोधरा’ में गाँधी जी के व्यावहारिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। उनका जीवन-सन्देश वैयक्तिक जीवन को परिष्कृत करने वाला और लोक में वासना, कामना और इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने का दिशा-निर्देश करने वाला है। ‘यशोधरा’ काव्य में गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरह-वेदना … Read more

भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप

भाषा का मूल अर्थ – बोलना या कहना है | साधारण शब्दों में मानव-मुख से निकलने वाली ध्वनियों को भाषा कहा जाता है | लेकिन मानव मुख से निकलने वाली प्रत्येक ध्वनि भाषा नहीं होती | वास्तव में मानव-मुख से निकलने वाली वह सार्थक ध्वनियां जो विचारों या भावों का संप्रेषण करती हैं, भाषा कहलाती … Read more

भाषा के विविध रूप / भेद / प्रकार ( Bhasha Ke Vividh Roop / Bhed / Prakar )

सामान्य शब्दों में भाषा शब्द का प्रयोग मनुष्य की व्यक्त वाणी के लिए किया जाता है | भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है और दूसरों के विचार समझ पाता है | यद्यपि कुछ कार्य संकेतों और शारीरिक कष्टों के द्वारा किया जा सकता है लेकिन यह पर्याप्त … Read more

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां/ विशेषताएं ( Krishna Kavya Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtaen )

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां / विशेषताएँ  ( Krishna Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan/Visheshtayen )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | हिंदी साहित्य-इतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आलेख के माध्यम से भली  प्रकार समझा जा … Read more

पथ के साथी : गद्य शैली/ भाषा शैली ( Path Ke Sathi : Gadya Shaili / Bhasha Shaili )

पथ के साथी ( Path Ke Sathi ) महादेवी वर्मा ( Mahadevi Varma ) द्वारा रचित संस्मरणात्मक कृति है | इस रचना में उन्होंने अपने युग के सात महान साहित्यकारों से संबंधित संस्मरण प्रस्तुत किए हैं | इस रचना में महादेवी वर्मा की शैली भी निराली है और भाषा भी | जिस कृति की भाषा-शैली … Read more

पथ के साथी : साहित्य-रूप पर विचार ( Path Ke Sathi : Sahitya Roop Par Vichar )

हिंदी साहित्य में कुछ ऐसी विधाएँ भी हैं जो भिन्न होते हुए भी कुछ न कुछ समानताएं रखती हैं | हिंदी साहित्य में संस्मरण, रेखाचित्र व चरित्र-प्रधान कहानीयाँ ऐसी ही विधाएं हैं | प्रसिद्ध गद्य लेखिका व कवियत्री महादेवी वर्मा ( Mahadevi Verma ) ने ऐसी तीन रचनाएं लिखी हैं – स्मृति की रेखाएं, अतीत … Read more

‘मैला आँचल’ उपन्यास में निरूपित लोक संस्कृति ( Maila Aanchal Upanyas Mein Nirupit Lok Sanskriti )

मैला आंचल( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | इस उपन्यास का प्रकाशन 1954 ईस्वी में हुआ | इसे हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास माना जाता है | आंचलिक उपन्यास के मुख्य रूप से दो प्रधान लक्षण माने जाते हैं – 1. किसी … Read more

मैला आंचल में आंचलिकता ( Maila Aanchal Me Aanchlikta )

मैला आँचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है | यह उपन्यास 1954 ईo. में प्रकाशित हुआ | आंचलिक उपन्यासधारा में मैला आँचल को सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है | मैला आंचल ( Maila Aanchal ) की आंचलिकता पर विचार करने से … Read more

गोदान में ग्रामीण व नागरिक कथाओं का पारस्परिक संबंध ( Godan : Gramin V Nagrik Kathaon Ka Parasparik Sambandh )

गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद जी की एक प्रौढ़ रचना है | इसमें मुंशी प्रेमचंद ( Premchand ) जी ने अपने युग का यथार्थ वर्णन किया है | प्रेमचंद कलम के सिपाही माने जाते हैं | वे अपनी लेखनी के माध्यम से ग्रामीण समस्याओं को सुलझा कर नारकीय जीवन जीने वाले ग्रामीणों को दुखों … Read more

गोदान में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद ( Godan Mein Aadarshonmukh Yatharthvad )

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद ( Premchand ) को उपन्यास सम्राट के नाम से जाना जाता है | गोदान ( Godan ) उनकी प्रौढ़ रचना मानी जाती है | यह उपन्यास सन 1936 में प्रकाशित हुआ | उनका यह उपन्यास सबसे अधिक आलोचना का विषय रहा |उनके कुछ उपन्यास ठेठ यथार्थवाद लिए हुए हैं लेकिन गोदान … Read more

गोदान में कृषक जीवन ( Godan Mein Krishak Jivan )

गोदान मुंशी प्रेमचंद जी का सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यास है | गोदान ग्रामीण जीवन की कहानी है जिसका नायक होरी एक निर्धन किसान है | होरी की कथा वास्तव में तत्कालीन भारत के अनेक किसानों की दुखद कथा है | किसान अपने परिवार के साथ खेतों में जी तोड़ मेहनत करते हैं परंतु समाज के शोषक … Read more

गोदान का मूल भाव / उद्देश्य या समस्याएं ( Godan Ka Mool Bhav / Uddeshy Ya Samasyayen )

साहित्यकार जब किसी विषय पर लिखता है तो उसका कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता है फिर उपन्यास तो साहित्य की एक ऐसी विधा है जो जीवन के विविध रंगों को हमारे सामने प्रस्तुत करती है | उपन्यास में जीवन की विभिन्न स्थितियों का वर्णन होता है | वे स्थितियां-परिस्थितियां अच्छी भी हो सकती हैं … Read more