मीराबाई व्याख्या ( Mirabai Vyakhya )

(1) म्हारों प्रणाम बांके बिहारी जी। मोर मुगट माथ्यां तिलक बिराज्यां, कुण्डलअलकां कारी जी। अधर मधुर धर बंसी बजावां, रीझ रिजावां ब्रज नारी जी। या छब देख्यां मोह्यां मीरा, मोह गिरवर धारी जी।। प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा बी ए द्वितीय सेमेस्टर के लिए निर्धारित हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित मीराबाई के पदों … Read more

तुलसीदास व्याख्या ( Tulsidas Vyakhya )

बालरूप (1)अवधेस के द्वारे सकारे गई, सुत गोद कै भूपति लै निकसे। अवलोकि हौं सोच-विमोचन को ठगि सी रही, जे न ठगे धिक से॥ तुलसी मन-रंजन रंजित अंजन नैन सुखंजन-जातक-से |सजनि ससि में समसील उभै नवनील सरोरुह से बिकसे॥ प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा बी ए द्वितीय सेमेस्टर के लिए निर्धारित हिंदी की … Read more

सूरदास व्याख्या ( Surdas Vyakhya )

विनय तथा भक्ति (1) चरण-कमल बंदौ हरिराइ। जाकी कृपा पंगु गिरि लंघऎ ,अंध कौ सब कुछ दरसाई।। बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बौले, रंक चलै सिर छत्र धराइ। सूरदास स्वामी करुनामय, बार बार बदों तिहिं पाइ।। प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा बी ए द्वितीय सेमेस्टर के लिए निर्धारित हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित सूरदास … Read more

कबीर व्याख्या ( Kabir Vyakhya )

(1)सतगुरू की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार। लोचन अनंत उघाड़िया, अनँत दिखावणहार।। प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा बी ए द्वितीय सेमेस्टर के लिये निर्धारित हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित कबीरदास के पदों से ली गई हैं | इन पंक्तियों में सच्चे गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है | व्याख्या — सच्चे … Read more

कबीर की भक्ति-भावना ( Kabir Ki Bhakti Bhavna )

‘भक्ति’ शब्द की उत्पत्ति ‘भज्’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है – भजना अर्थात् भजन करना | ‘ ‘भक्ति’ की कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैं : (क) ‘शांडिल्य भक्ति सूत्र’ के अनुसार ईश्वर में परम अनुरक्ति का नाम ही भक्ति है | (ख) शंकराचार्य ने उत्कंठा युक्त निरंतर स्मृति को भक्ति कहा है | … Read more

कबीर की रहस्य-साधना ( रहस्यानुभूति )

साहित्य विशेषतः काव्य के क्षेत्र में रहस्यवाद का अर्थ आत्मा-परमात्मा के संबंधों की व्याख्या से लिया जाता है | जब कवि अपने आध्यात्मिक विचारों व अलौकिक शक्ति से अपने संबंध की चर्चा करता है, रहस्यवादी कहलाता है | रहस्यवाद का अर्थ व परिभाषा रहस्यवाद कोई दाशनिक सिद्धान्त नहीं है, वह एक मनोदशा मात्र है। इसको … Read more

कबीर की सामाजिक चेतना ( Kabir Ki Samajik Chetna )

कबीरदास जी भक्ति काल की निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख कवि माने जाते हैं | यद्यपि वे मुख्यतः संत हैं तथापि उनकी वाणी में काव्यत्व के सभी गुण मिलते हैं | उनकी काव्य में भक्ति परक पदों के साथ-साथ सामाजिक चेतना का का स्वर भी दिखाई देता है | जाति प्रथा, भेदभाव, छुआछूत, मूर्ति पूजा … Read more

रसखान का साहित्यिक परिचय

जीवन-परिचय रसखान भक्तिकालीन कृष्ण काव्यधारा के प्रमुख कवि थे | उनका जन्म सन 1533 ईस्वी में एक पठान परिवार में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में पिहानी नामक स्थान पर हुआ | इनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था लेकिन इनके काव्य में अत्यधिक रसिकता होने के कारण लोग इन्हें रसखान कहने लगे | वल्लभाचार्य के … Read more

घनानंद का साहित्यिक परिचय ( Ghananand Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय घनानंद रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रसिद्ध कवि हैं | इनका जन्म 1683 ईस्वी में माना जाता है | इनके जन्म स्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है | अधिकांश विद्वानों के अनुसार घनानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुआ था | वे मुगल बादशाह मुहम्मदशाह रंगीला के दरबार … Read more

मीराबाई का साहित्यिक परिचय

मीराबाई भक्तिकालीन हिंदी साहित्य की सगुण भक्तिधारा की कृष्णकाव्य धारा की प्रमुख कवयित्री हैं | मीराबाई का साहित्यिक परिचय निम्नलिखित बिंदुओं में दिया जा सकता है — जीवन-परिचय मीराबाई भक्तिकालीन कृष्णकाव्य धारा की प्रसिद्ध कवियत्री हैं | इनके आराध्य श्री कृष्ण हैं | इनका जन्म राव दादू जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर … Read more

कवि बिहारी का साहित्यिक परिचय ( Kavi Bihari Ka Sahityik Parichay )

जीवन-परिचय कवि बिहारी रीतिकाल के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते हैं | इनका जन्म संवत् 1652 ( 1595 ईस्वी ) में ग्वालियर के निकट बसुआ गोविंदपुर गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम केशवराय था इन्होंने रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि केशवदास से काव्य और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण की … Read more

कवि बिहारी की काव्य-कला ( Kavi Bihari Ki Kavya Kala )

बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि हैं | रीतिसिद्ध काव्य-परंपरा के यह सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं | इनकी एक मात्र रचना ‘बिहारी सतसई’ है जिसमें 713 दोहे हैं | कवि बिहारी की काव्य-कला का विवेचन भाव पक्ष और कला पक्ष इन दो दृष्टिकोणों से किया जा सकता है | कवि बिहारी का भाव पक्ष या … Read more

आदिकाल का नामकरण और सीमा निर्धारण ( Aadikaal Ka Naamkaran aur Seema Nirdharan)

आदिकाल का नामकरण और सीमा-निर्धारण विद्वानों के बीच विवाद का विषय है | हिंदी साहित्य के इतिहास पर विमर्श करने वाले विद्वानों एवं लेखकों ने इस संबंध में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए हैं | मिश्र बंधुओं, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि विद्वानों ने इस विषय में अपने अलग-अलग विचार … Read more

तुलसीदास की भक्ति-भावना ( Tulsidas Ki Bhakti Bhavna )

तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं | उन्हें राम काव्यधारा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है | तुलसीदास जी मूलतः एक भक्त हैं | राम-भक्ति ही उनके जीवन का एकमात्र ध्येय है | श्री राम की भक्ति में रम कर उन्होंने जो कुछ भी लिखा वह काव्य बन गया | यही … Read more

सूरदास का श्रृंगार वर्णन ( Surdas Ka Shringar Varnan )

सूरदास जी भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं | उन्हें कृष्ण काव्य धारा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है | उन्हें वात्सल्य सम्राट के रूप में जाना जाता है परंतु वात्सल्य के समान श्रृंगार वर्णन में भी सूरदास जी ने कमाल किया है | यही कारण है कि अनेक विद्वान उन्हें श्रृंगार रस … Read more