संत काव्य-परंपरा एवं प्रवृत्तियां /विशेषताएं

हिंदी साहित्य का इतिहास मुख्य तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है : आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | संत काव्य-परंपरा हिंदी साहित्य के भक्तिकाल की निर्गुण काव्यधारा से सम्बद्ध है | हिंदी साहित्येतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आरेख के माध्यम से समझा जा सकता है : – निर्गुण काव्य धारा … Read more

आदिकाल का नामकरण और सीमा निर्धारण ( Aadikaal Ka Naamkaran aur Seema Nirdharan)

आदिकाल का नामकरण और सीमा-निर्धारण विद्वानों के बीच विवाद का विषय है | हिंदी साहित्य के इतिहास पर विमर्श करने वाले विद्वानों एवं लेखकों ने इस संबंध में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए हैं | मिश्र बंधुओं, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि विद्वानों ने इस विषय में अपने अलग-अलग विचार … Read more

आदिकाल / वीरगाथा काल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ ( Aadikal / Veergathakal Ki Pramukh Visheshtaen )

हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | सम्वत 1050 से सम्वत 1375 तक का साहित्य आदिकाल के नाम से जाना जाता है | आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस काल को वीरगाथा काल की संज्ञा दी है | परंतु परंतु इस काल में मिली … Read more

हिंदी पत्रकारिता का उद्भव एवं विकास ( Hindi Patrakarita Ka Udbhav Evam Vikas )

प्राक्कथन पत्रकारिता का संबंध समाचार पत्रों से है | समाचार पत्र समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाते हैं | समाचार पत्र किसी घटना या सूचना को मुद्रित रूप में पाठकों के सामने लाते हैं | इस प्रकार देश के किसी कोने की घटना की सूचना दिल्ली या चंडीगढ़ के समाचार पत्रों के … Read more

हिंदी नाटक : उद्भव एवं विकास ( Hindi Natak : Udbhav Evam Vikas )

हिंदी में नाटक के उद्भव एवं विकास को 19वीं सदी से  स्वीकार किया जाता है लेकिन दशरथ ओझा ने नाटक को 13वीं सदी से स्वीकार करते हुए ‘गाय कुमार रास’ को हिंदी का पहला नाटक ( Hindi ka Pahla Natak ) माना है | उन्होंने मैथिली नाटकों, रासलीला तथा अन्य पद्यबद्ध नाटकों की चर्चा करते … Read more

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां/ विशेषताएं ( Krishna Kavya Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtaen )

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां / विशेषताएँ  ( Krishna Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan/Visheshtayen )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | हिंदी साहित्य-इतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आलेख के माध्यम से भली  प्रकार समझा जा … Read more

मैथिलीशरण गुप्त ( Maithilisharan Gupt )

जन्म – 3 अगस्त, 1886 ( चिरगांव, झाँसी )प्रति वर्ष 3 अगस्त को उनकी जयंती ‘कवि दिवस’ के रूप में मनायी जाती है | लक्ष्मीकांत शर्मा ने उनकी जयंती को कवि दिवस के रूप में मनाने का विचार दिया था | मृत्यु – 12 दिसम्बर, 1964 ( झाँसी ) पिता – रामचरण गुप्त ( कनकलता … Read more

डॉ लक्ष्मी नारायण लाल के नाटक ( Dr. Lakshminarayan Lal Ke Natak )

डॉ लक्ष्मी नारायण लाल ( 1927 – 1987 ) स्वातंत्र्योत्तर भारत के प्रमुख नाटककार हैं | इन्होंने हिंदी नाटक को नई पहचान दिलाई | उन्होंने अपनी लेखनी से अनेक नाटकों की रचना की | उनके द्वारा रचित प्रमुख नाटक निम्नलिखित हैं :- अंधा कुआं ( 1955 ) – लक्ष्मीनारायण लाल का पहला नाटक, प्रमुख पात्र … Read more

जैनेंद्र कुमार के उपन्यास ( Jainendra Kumar Ke Upanyas )

जैनेंद्र कुमार ( 2 जनवरी, 1905 – 24 दिसंबर, 1988 ) हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं उन्होंने हिंदी उपन्यास को नई पहचान दिलाई उनके प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैंं : – 🔹 परख ( 1929 ) – यह जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित प्रथम उपन्यास है | कट्टो, सत्यधन, बिहारी और गरिमा इस उपन्यास के प्रमुुुख पात्र … Read more

उपेंद्रनाथ अश्क के नाटक ( Upendranath Ashk Ke Natak )

उपेंद्रनाथ अश्क ( Upendranath Ashk ) छायावादोत्तर काल के प्रसिद्ध नाटककार हैं | इन्होंने हिंदी नाटक को नई पहचान दी | इन्होंने अपनी लेखनी से अनेक नाटकों की रचना की जो हिंदी नाट्य विधा को नए आयाम प्रदान करते हैं | अश्क़ जी के कुछ प्रसिद्ध नाटक निम्नलिखित हैं :- जय-पराजय ( 1937 ), वैश्या … Read more

मैला आँचल : नायकत्व पर विचार ( Maila Aanchal : Nayaktv Par Vichar )

मैला आंचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | अनेक विद्वान मैला आंचल उपन्यास को न केवल आंचलिक उपन्यास धारा का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास मानते हैं बल्कि संपूर्ण हिंदी साहित्य में इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं | यही कारण है कि यह … Read more

‘मैला आँचल’ उपन्यास में निरूपित लोक संस्कृति ( Maila Aanchal Upanyas Mein Nirupit Lok Sanskriti )

मैला आंचल( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | इस उपन्यास का प्रकाशन 1954 ईस्वी में हुआ | इसे हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास माना जाता है | आंचलिक उपन्यास के मुख्य रूप से दो प्रधान लक्षण माने जाते हैं – 1. किसी … Read more

मैला आंचल में आंचलिकता ( Maila Aanchal Me Aanchlikta )

मैला आँचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है | यह उपन्यास 1954 ईo. में प्रकाशित हुआ | आंचलिक उपन्यासधारा में मैला आँचल को सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है | मैला आंचल ( Maila Aanchal ) की आंचलिकता पर विचार करने से … Read more

गोदान में ग्रामीण व नागरिक कथाओं का पारस्परिक संबंध ( Godan : Gramin V Nagrik Kathaon Ka Parasparik Sambandh )

गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद जी की एक प्रौढ़ रचना है | इसमें मुंशी प्रेमचंद ( Premchand ) जी ने अपने युग का यथार्थ वर्णन किया है | प्रेमचंद कलम के सिपाही माने जाते हैं | वे अपनी लेखनी के माध्यम से ग्रामीण समस्याओं को सुलझा कर नारकीय जीवन जीने वाले ग्रामीणों को दुखों … Read more

गोदान में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद ( Godan Mein Aadarshonmukh Yatharthvad )

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद ( Premchand ) को उपन्यास सम्राट के नाम से जाना जाता है | गोदान ( Godan ) उनकी प्रौढ़ रचना मानी जाती है | यह उपन्यास सन 1936 में प्रकाशित हुआ | उनका यह उपन्यास सबसे अधिक आलोचना का विषय रहा |उनके कुछ उपन्यास ठेठ यथार्थवाद लिए हुए हैं लेकिन गोदान … Read more