संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( मैथिलीशरण गुप्त ) : सार /कथ्य / प्रतिपाद्य

‘सन्देश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया’ प्रस्तुत कविता राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के महाकाव्य ‘साकेत’ के आठवें सर्ग का अंश है। श्रीराम, सीता एवं लक्ष्मण चित्रकूट में ठहरे हुए हैं। सीता जी अपनी पर्णकुटी के आस-पास के पेड़-पौधों को पानी दे रही हैं। श्रीराम ने उस समय सीता को अपने इस संसार में आने के … Read more

भारत-भारती (मैथिली शरण गुप्त): सार /कथ्य / मूल भाव / मूल संवेदना या चेतना

‘भारत-भारती’ ( Bharat Bharati ) कविता मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख कविता है। कवि ने इस कविता को तीन खण्डों में विभाजित किया है – अतीत खण्ड, वर्तमान एवं भविष्य खण्ड। प्रस्तुत काव्यांश अतीत खण्ड का आरम्भिक भाग है। इस कविता में कवि ने भारतवर्ष की प्राचीन का चित्रण किया है। इसके माध्यम से कवि ने … Read more

जयद्रथ वध : सार / कथ्य / प्रतिपाद्य

‘जयद्रथ वध’ नामक कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि ने जयद्रथ के वध तथा उसके पश्चात पांडव सेना में विजयोल्लास का चित्रण किया है। जब अभिमन्यु द्रोणाचार्य द्वारा रचित चक्रव्यूह में अकेला प्रवेश कर गया तब कौरव सेना के साथ योद्धाओं ने अभिमन्यु को चारों तरफ से घेर लिया | … Read more

‘यशोधरा’ काव्य का भाव पक्ष एवं कला पक्ष

मैथिलीशरण गुप्त जी द्विवेदी युग के प्रमुख कवि थे। उन्होंने ‘यशोधरा’ में गाँधी जी के व्यावहारिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। उनका जीवन-सन्देश वैयक्तिक जीवन को परिष्कृत करने वाला और लोक में वासना, कामना और इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने का दिशा-निर्देश करने वाला है। ‘यशोधरा’ काव्य में गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरह-वेदना … Read more

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ में गीत-योजना

‘यशोधरा‘ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रगीतात्मक प्रबंध काव्य है जिसमें सुंदर गीत-योजना के माध्यम से यशोधरा की विरह-भावना का मार्मिक चित्रण किया गया है | मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ में गीत-योजना की समीक्षा करने से पूर्व गीति काव्य के स्वरूप पर विचार करना आवश्यक एवं प्रासंगिक होगा | गीतिकाव्य का अर्थ एवं स्वरूप गीतिकाव्य … Read more

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ के आधार पर यशोधरा का चरित्र-चित्रण

‘यशोधरा‘ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध खंडकाव्य है जिसमें गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरह-वेदना का मार्मिक वर्णन किया गया है | गुप्त जी ने अपनी इस रचना के माध्यम से यशोधरा के प्रेम व त्याग को पाठकों के समक्ष लाकर उसके प्रति उस सम्मानित दृष्टिकोण को विकसित करने की चेष्टा की है … Read more

‘यशोधरा’ काव्य में विरह-वर्णन ( ‘Yashodhara’ Kavya Mein Virah Varnan )

‘यशोधरा’ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध प्रबंध काव्य है जिसमें काव्य-रूप के दृष्टिकोण से महाकाव्य के अनेक तत्व मिलते हैं परंतु फिर भी अधिकांश विद्वान इसे खंडकाव्य के रूप में स्वीकार करते हैं | ‘यशोधरा’ काव्य में विरह-वर्णन सहज एवं स्वाभाविक रूप से हुआ है | साहित्यशास्त्र के अनुसार विरह की दस अवस्थाएँ … Read more

‘यशोधरा’ का कथासार

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘यशोधरा’ की रचना सन 1933 में हुई | ‘यशोधरा’ का उद्देश्य गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा के हार्दिक दुख की मार्मिक अभिव्यक्ति है | यशोधरा की हृदयगत दु:खद भावनाओं की अभिव्यक्ति के निमित्त गुप्त जी ने प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ के कथानक में अपनी कल्पना से अनेक नवीन एवं मौलिक परिवर्तन किए … Read more

मैथिलीशरण गुप्त के काव्य में नारी-चित्रण

मैथिलीशरण गुप्त यद्यपि राष्ट्रीय चेतना के लिए जाने जाते हैं लेकिन फिर भी उनके साहित्य में अन्य काव्यगत प्रवृतियां व विषय-वस्तु का वर्णन भी प्रभावी व व्यापक रूप में हुआ है | उन्होंने इतिहास की उन नारी पात्रों को उच्च शिखर पर बिठाया जिनके लिए हमारा इतिहास प्रायः मौन रहा है | उर्मिला, यशोधरा और … Read more

मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना ( Maithilisharan Gupt Ki Rashtriya Chetna )

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं | उनके काव्य में द्विवेदी युगीन समाज सुधार की भावना, राष्ट्रीय भावना, जन-जागरण की प्रवृत्ति एवं युगबोध विद्यमान है | मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना न केवल द्विवेदी युग बल्कि सम्पूर्ण हिंदी साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है | संभवतः इसी कारण उन्हें राष्ट्रकवि की … Read more

संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( Sandesh Yahan Nahin Main Swarg Ka Laya ) : मैथिलीशरण गुप्त

संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( मैथिलीशरण गुप्त ) : व्याख्या निज रक्षा का अधिकार रहे जन-जन को, सब की सुविधा का भार किंतु शासन को | मैं आर्यों का आदर्श बताने आया, जन-सम्मुख धन को तुच्छ जताने आया | सुख-शांति हेतु में क्रांति मचाने आया, विश्वासी का विश्वास बचाने आया | (1) … Read more

मैथिलीशरण गुप्त ( Maithilisharan Gupt )

जन्म – 3 अगस्त, 1886 ( चिरगांव, झाँसी )प्रति वर्ष 3 अगस्त को उनकी जयंती ‘कवि दिवस’ के रूप में मनायी जाती है | लक्ष्मीकांत शर्मा ने उनकी जयंती को कवि दिवस के रूप में मनाने का विचार दिया था | मृत्यु – 12 दिसम्बर, 1964 ( झाँसी ) पिता – रामचरण गुप्त ( कनकलता … Read more