‘यशोधरा’ काव्य का भाव पक्ष एवं कला पक्ष

मैथिलीशरण गुप्त जी द्विवेदी युग के प्रमुख कवि थे। उन्होंने ‘यशोधरा’ में गाँधी जी के व्यावहारिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। उनका जीवन-सन्देश वैयक्तिक जीवन को परिष्कृत करने वाला और लोक में वासना, कामना और इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने का दिशा-निर्देश करने वाला है। ‘यशोधरा’ काव्य में गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरह-वेदना … Read more

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ में गीत-योजना

‘यशोधरा‘ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रगीतात्मक प्रबंध काव्य है जिसमें सुंदर गीत-योजना के माध्यम से यशोधरा की विरह-भावना का मार्मिक चित्रण किया गया है | मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ में गीत-योजना की समीक्षा करने से पूर्व गीति काव्य के स्वरूप पर विचार करना आवश्यक एवं प्रासंगिक होगा | गीतिकाव्य का अर्थ एवं स्वरूप गीतिकाव्य … Read more

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ के आधार पर यशोधरा का चरित्र-चित्रण

‘यशोधरा‘ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध खंडकाव्य है जिसमें गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरह-वेदना का मार्मिक वर्णन किया गया है | गुप्त जी ने अपनी इस रचना के माध्यम से यशोधरा के प्रेम व त्याग को पाठकों के समक्ष लाकर उसके प्रति उस सम्मानित दृष्टिकोण को विकसित करने की चेष्टा की है … Read more

‘यशोधरा’ काव्य में विरह-वर्णन ( ‘Yashodhara’ Kavya Mein Virah Varnan )

‘यशोधरा’ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध प्रबंध काव्य है जिसमें काव्य-रूप के दृष्टिकोण से महाकाव्य के अनेक तत्व मिलते हैं परंतु फिर भी अधिकांश विद्वान इसे खंडकाव्य के रूप में स्वीकार करते हैं | ‘यशोधरा’ काव्य में विरह-वर्णन सहज एवं स्वाभाविक रूप से हुआ है | साहित्यशास्त्र के अनुसार विरह की दस अवस्थाएँ … Read more

‘यशोधरा’ का कथासार

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘यशोधरा’ की रचना सन 1933 में हुई | ‘यशोधरा’ का उद्देश्य गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा के हार्दिक दुख की मार्मिक अभिव्यक्ति है | यशोधरा की हृदयगत दु:खद भावनाओं की अभिव्यक्ति के निमित्त गुप्त जी ने प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ के कथानक में अपनी कल्पना से अनेक नवीन एवं मौलिक परिवर्तन किए … Read more

मैथिलीशरण गुप्त के काव्य में नारी-चित्रण

मैथिलीशरण गुप्त यद्यपि राष्ट्रीय चेतना के लिए जाने जाते हैं लेकिन फिर भी उनके साहित्य में अन्य काव्यगत प्रवृतियां व विषय-वस्तु का वर्णन भी प्रभावी व व्यापक रूप में हुआ है | उन्होंने इतिहास की उन नारी पात्रों को उच्च शिखर पर बिठाया जिनके लिए हमारा इतिहास प्रायः मौन रहा है | उर्मिला, यशोधरा और … Read more

मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना ( Maithilisharan Gupt Ki Rashtriya Chetna )

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं | उनके काव्य में द्विवेदी युगीन समाज सुधार की भावना, राष्ट्रीय भावना, जन-जागरण की प्रवृत्ति एवं युगबोध विद्यमान है | मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना न केवल द्विवेदी युग बल्कि सम्पूर्ण हिंदी साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है | संभवतः इसी कारण उन्हें राष्ट्रकवि की … Read more