विश्व के जलवायु प्रदेश

विश्व के जलवायु प्रदेश विभिन्न स्थानों पर जलवायु की समानता के आधार पर पृथ्वी तल के प्रमुख विभाग हैं | पृथ्वी पर चार वृहद जलवायु प्रदेश हैं जिन्हें कटिबंध भी कहा जाता है | सामान्य रूप से संसार की जलवायु को 12 प्रमुख जलवायु प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है … Read more

मृदा का वर्गीकरण और मृदा अपरदन

मृदा — मृदा या मिट्टी खनिज और जैव तत्त्वों का वह प्राकृतिक मिश्रण है जिसमें वनस्पति एवं पौधे उत्पन्न करने की क्षमता होती है | यह धरातल के ऊपरी भाग में पाई जाती है | मृदा का वर्गीकरण मृदा के संघटन के आधार पर किया जाता है | मृदा का सामान्य वर्गीकरण मृदा का वर्गीकरण … Read more

भूकंप के कारण, भूकंपीय तरंगें व भूकंप संभावित क्षेत्र

भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल (लिथोस्फीयर) में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकंप के कारण भारी जान माल की हानि होती है | भूकंप ( Earthquake ) भूकंप का साधारण अर्थ है … Read more

वायुमंडल : संघटन तथा परतें

वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर गैसों के मिश्रण का एक विशाल आवरण है जो कई सौ किलोमीटर मोटा है | इस आवरण को ही वायुमंडल कहा जाता है | यह सौर विकिरण की लघु तरंगों के लिए पारदर्शी है लेकिन पार्थिव विकिरण की लंबी तरंगों के लिए अपारदर्शी है | इस प्रकार यह पृथ्वी पर … Read more

सूर्यातप,तापमान, ताप कटिबंध व तापांतर

सूर्यातप, तापमान, ताप कटिबंध व तापांतर के अर्थ, प्रकारों तथा इनको प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है — सूर्यातप पृथ्वी तथा उसके वायुमंडल के लिए समस्त ऊर्जा का स्रोत सूर्य है। सूर्य के तल से ऊष्मा निरन्तर लघु तरंगों (Short Waves) के रूप में विकिरित होती रहती है | सूर्य से … Read more

पारिस्थितिक तंत्र : अर्थ, विशेषताएं, संरचना तथा प्रकार

पारिस्थितिक तंत्र का अर्थ पारिस्थितिक तंत्र ( Ecosystem ) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए जी टान्सले ने 1935 में किया | टॉन्सले के अनुसार पारिस्थितिक तंत्र भौतिक तंत्रों का एक विशेष प्रकार होता है जिसकी रचना जीवों तथा अजैविक संघटकों से होती है | यह अपेक्षाकृत स्थिर दशा में होता है | यह विवृत्त तंत्र … Read more

पवन की उत्पत्ति के कारण व प्रकार

एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर चलने वाली वायु ( Air ) को पवन ( Wind ) कहते हैं | पवन के प्रकारों को जानने से पहले पवन की उत्पत्ति के कारण जानना आवश्यक होगा | पवन की उत्पत्ति के कारण पवन धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण चलती है | जिस … Read more

वायुमंडलीय दाब : अर्थ एवं प्रकार

वायुमंडलीय दाब पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है | अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुपात मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रव स्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है | वायु एक … Read more

आर्द्रता, बादल तथा वर्षण

आर्द्रता, बादल तथा वर्षण वायुमंडल तथा पृथ्वी पर जल उपलब्धता के विभिन्न माध्यम हैं | इनका विस्तृत वर्णन इस प्रकार है — आर्द्रता ( Humidity ) वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं | वायुमंडल में इसकी मात्रा शून्य से 4% तक पाई जाती है | यह वायुमंडल में तीन रूपों में मिलता है … Read more

वाताग्र की उत्पत्ति के कारण व प्रकार

स्पाइलर के अनुसार — “दो विपरीत वायुराशियों के मिलन-स्थल को वाताग्र कहते हैं |” साधारणत: वाताग्र न तो धरातलीय सतह के समानांतर होता है और न ही उस पर लंबवत होता है बल्कि कुछ कोण पर झुका हुआ होता है | पृथ्वी पर सभी स्थानों पर वाताग्र का ढाल एक समान नहीं होता | वास्तव … Read more

चक्रवात और प्रतिचक्रवात

पवनों का ऐसा चक्र जिसमें अंदर की ओर वायुदाब कम और बाहर की ओर अधिक होता है, चक्रवात ( Cyclone ) कहलाता है | यह वृत्ताकार या अंडाकार होता है | चक्रवात और प्रतिचक्रवात के निर्माण में वाताग्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है | चक्रवात में वायु चारों ओर उच्च वायु भार के क्षेत्र से … Read more

महासागरीय धाराएं : उत्पत्ति के कारक व प्रकार

महासागरीय धारा महासागरों के एक भाग से दूसरे भाग की ओर विशेष दिशा में जल के निरंतर प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं | धारा के दोनों किनारों पर तथा उसके नीचे जल स्थित रहता है | दूसरे शब्दों में महासागरीय धाराएं स्थल पर बहने वाली नदियों के समान हैं परंतु महासागरीय धाराएं स्थलीय नदियों … Read more

समुद्री संसाधन और प्रवाल भित्तियां

समुद्री-संसाधन महासागर से अनेक प्रकार के समुद्री संसाधन प्राप्त होते हैं जिन्हें हम मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांट सकते हैं — (1 ) जीवीय संसाधन, (2 ) खनिज संसाधन एवं (3 ) ऊर्जा संसाधन | (1 ) जीवीय संसाधन समुद्री जल में लाखों किस्म के जीव रहते हैं जिनका प्रयोग मनुष्य अपने लाभ … Read more

विश्व की प्रमुख जनजातियाँ

बोरों जनजाति, पापुआन जनजाति, सेमोयाड्स जनजाति, युकागीर जनजाति, पुनन जनजाति, कज्जाक, माया, बोअर, जुलु, अफरीदी, हाजदा, कुंग, अपाचे, एस्किमों, बुशमैन आदि विश्व की प्रमुख जनजातियाँ हैं जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है — बोरों जनजाति बोरो जनजाति पश्चिम अमेजन बेसिन, ब्राजील, पेरू और कोलंबिया के सीमांत क्षेत्रों में मिलती है | यह जनजाति आदिम कृषक के … Read more

मानव प्रजातियों का वर्गीकरण

प्रजाति का तात्पर्य है वर्तमान मानव की जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से है जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता है | किसी प्रजातीय वर्ग के सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात संबंध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी उनका वहन … Read more