आदिकाल : प्रमुख कवि, रचनाएं व नामकरण ( Aadikal ke Pramukh Kavi, Rachnayen Evam Naamkaran )

 

     आदिकाल की प्रमुख रचनाएं एवं नामकरण 

Aadikal ki Pramukh Rachnayen Evam Namkaran

 

▪️ सरहपाद ( 769 ईस्वी ) – दोहाकोश
▪️ स्वयंभू (आठवीं सदी) –  पउम चरिउ, णयकुमार चरिउ, नागकुमार चरिउ
👉 [ पउम चरिउ ( राम कथा)  के कारण स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है | ]

▪️ जोइंदु (आठवीं सदी) –  परमात्मा प्रकाश, योगदान
▪️ पुष्पदंत (10 वीं सदी) –  महापुराण, णयकुमार चरिउ,  जसहर चरिउ
👉  महापुराण (कृष्ण कथा) के कारण पुष्पदंत को अपभ्रंश का व्यास कहा जाता है |

▪️ धनपाल (दसवीं सदी) –  भविष्यत कहा
▪️ देवसेन (10 वीं सदी) –  श्रावकाचार (933 ईसवी), दर्शनसार, तत्त्वसार, लघुनयचक्र
👉  डॉ नगेंद्र के अनुसार श्रावकाचार हिंदी का पहला काव्य ग्रन्थ  ( Hindi Ka Pahla Kavya Granth ) है |
▪️ मुनीराम सिंह (11 वीं सदी ) – पाहुड़ दोहा
▪️ मुनि कनकामर (11 वीं सदी ) –  करकंड़ चरिउ
▪️ कुशल लाभ  (11 वीं सदी) – ढोला मारु रा दुहा
▪️ जिनदत्त सूरी  (12 वीं सदी) – उपदेश रसायन रास
▪️ अब्दुर्रहमान (12 वीं सदी) – संदेश रासक
▪️ नरपति नाल्ह (12 वीं सदी) – बीसलदेव रासो
▪️ सोमप्रभ सूरी (12 वीं सदी) –  कुमारपाल प्रतिरोध ( चंपू काव्य)
▪️ शालिभद्र सूरी (12 वीं सदी) – भरतेश्वर बाहुबली रास (1184 ईस्वी )
👉 गणपति चंद्र गुप्त के अनुसार शलीभद्र सूरी की रचना  भरतेश्वर बाहुबली रास को हिंदी की पहली काव्य रचना मानी जाती है |
▪️ मधुकर कवि ( 12 वीं सदी) –  जयमयंक जस चंद्रिका (1186 ईसवी)
▪️ हेमचंद्र सूरी (12 वीं सदी ) – शब्दानुशासन, छंदानुशासन, कुमारपाल चरित

👉 हेमचन्द्र को कलिकाल सर्वज्ञ ( Kalikal Sarvagya )  कहा जाता है |

▪️ आसुग कवि (12वीं – 13वीं सदी ) – चंदनबाला रास (1280),  जीवदयारास
▪️ जिनधर्म सूरी (12वीं -13वीं सदी) – जंबू स्वामी रास (1200 ईस्वी ), स्थूलीभद्र रास (1200)
▪️ श्रीधर ( 12वीं -13वीं सदी ) – रणमल छंद
▪️ सुमति गणि ( 13वीं सदी) –  नेमिनाथ रास
▪️ विजय सेन सूरी (13वीं सदी ) – रेवंत गिरिराज
▪️ मेरुतुंग ( 13वीं -14वीं सदी ) – प्रबंध चिंतामणि
▪️ अमीर खुसरो ( 13वीं – 14वीं सदी ) – खालिक बारी
▪️ चंदबरदाई ( 14वीं सदी ) –  पृथ्वीराज रासो (1343 ईस्वी )
▪️ शारंगधर ( 14वीं सदी ) – हम्मीर रासो
▪️ लक्ष्मीधर ( 14वीं सदी ) – प्राकृत पैंगलम
▪️ विद्यापति (14वीं – 15वीं सदी ) – कीर्ति लता,  कीर्ति पताका,  पदावली
▪️ जगनिक ( 16वीं – 17वीं सदी ) – परमाल रासो (आल्हा खंड)
▪️ नल्हसिंह भाट ( 17वीं सदी ) – विजयपाल रासो
▪️ दलपति विजय (18वीं सदी ) – खुमाण रासो

  आदिकालीन गद्य साहित्य/ आदिकाल की गद्य रचनाएं 

 ( Aadikal Gadya Sahitya / Aadikal Ki Gadya Rachnayen )

▪️ उद्योतन सूरी – कुवलयमाला कथा (773)

▪️ रोड़ कवि – राउल वेल  (चंपू काव्य)
▪️ पंडित दामोदर शर्मा – उक्ति व्यक्ति प्रकरण (चंपू काव्य)
▪️ ज्योतिरीश्वर – वर्ण रत्नाकर (मैथिली)
▪️ विद्यापति – कीर्ति लता (चंपू काव्य)
आदिकालीन गद्य रचनाएँ कालक्रमानुसार

कुवलयमाला कथा  > राउल वेल > उक्ति व्यक्ति प्रकरण > वर्ण रत्नाकर > कीर्ति लता |

        आदिकाल : नामकरण संबंधी मत 

    ( Aadikal :  Naamkaran Sambandhi Mat )

 

चारण काल – जॉर्ज ग्रियर्सन
आरंभिक काल – मिश्र बंधु
सिद्ध सामंत युग –  राहुल सांकृत्यायन
वीरगाथा काल – आचार्य रामचंद्र शुक्ल
वीर काल – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
अपभ्रंश काल – चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ व धीरेंद्र वर्मा
बीजवपन काल – महावीर प्रसाद द्विवेदी
आदिकाल – हजारी प्रसाद द्विवेदी

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