गोदान में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद ( Godan Mein Aadarshonmukh Yatharthvad )

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद ( Premchand ) को उपन्यास सम्राट के नाम से जाना जाता है | गोदान ( Godan ) उनकी प्रौढ़ रचना मानी जाती है | यह उपन्यास सन 1936 में प्रकाशित हुआ | उनका यह उपन्यास सबसे अधिक आलोचना का विषय रहा |उनके कुछ उपन्यास ठेठ यथार्थवाद लिए हुए हैं लेकिन गोदान … Read more

गोदान में कृषक जीवन ( Godan Mein Krishak Jivan )

गोदान मुंशी प्रेमचंद जी का सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यास है | गोदान ग्रामीण जीवन की कहानी है जिसका नायक होरी एक निर्धन किसान है | होरी की कथा वास्तव में तत्कालीन भारत के अनेक किसानों की दुखद कथा है | किसान अपने परिवार के साथ खेतों में जी तोड़ मेहनत करते हैं परंतु समाज के शोषक … Read more

गोदान का मूल भाव / उद्देश्य या समस्याएं ( Godan Ka Mool Bhav / Uddeshy Ya Samasyayen )

साहित्यकार जब किसी विषय पर लिखता है तो उसका कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता है फिर उपन्यास तो साहित्य की एक ऐसी विधा है जो जीवन के विविध रंगों को हमारे सामने प्रस्तुत करती है | उपन्यास में जीवन की विभिन्न स्थितियों का वर्णन होता है | वे स्थितियां-परिस्थितियां अच्छी भी हो सकती हैं … Read more

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ ( Devnagari Lipi Ki Visheshtayen )

हिंदी व संस्कृत की लिपि देवनागरी है | देवनागरी लिपि भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण लिपि है | संविधान में इसे राज लिपि का पद प्राप्त है | हिंदी व संस्कृत का संपूर्ण साहित्य इसी लिपि में मिलता है | पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं का साहित्य भी इसी लिपि में मिलता है | यह लिपि … Read more

आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएं : एक परिचय ( Adhunik Bhartiy Arya Bhashayen : Ek Parichay )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषाओं की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषाओं के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं :- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएं ( Madhyakalin Bhartiy Arya Bhashayen )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएं : परिचय एवं विशेषताएं/ Prachin Bhartiya Arya Bhashayen : Parichay Evam Visheshtayen

अधिकांश विद्वान 1500 ईस्वी पूर्व के आसपास के काल को भारतीय आर्य भाषा का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : – प्राचीन भारतीय … Read more

एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत ( Erikson’s Psychosocial Development Theory

एरिक्सन के सिद्धांत के अनुसार पूरे जीवन में विकास के आठ चरण क्रमानुसार चलते रहते हैं | प्रत्येक चरण में एक विशिष्ट विकासात्मक मानक होता है जिसे पूरा करने में आने वाली समस्याओं का समाधान करना आवश्यक होता है | 🔹 एरिक्सन के अनुसार समस्या कोई संकट नहीं है बल्कि संवेदनशीलता और सामर्थ्य को बढ़ाने … Read more

मौर्य वंश ( Mauryan Dynasty )

मौर्य काल ( Mauryan Empire ) चंद्रगुप्त मौर्य ( Chandragupt Maurya ) ने 322 ई० पू० में नंद वंश के राजा घनानंद ( Ghananand ) को पराजित कर मगध पर अपनी सत्ता स्थापित की । इसके साथ ही नंद वंश का स्थान मौर्य वंश ने ले लिया । मौर्य वंश के राजाओं ने 322 ई० … Read more

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत

डॉक्टर जीन पियाजे स्विट्जरलैंड के मनोवैज्ञानिक थे | उन्होंने संज्ञानात्मक विकास ( Cognitive Development ) का सिद्धांत दिया | 🔹 उसने स्वयं के बच्चों पर अध्ययन किया | जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते गए उनके मानसिक विकास का वे बारीकी से अध्ययन करते रहे | 🔹 उसने कहा कि बच्चों में बुद्धि का विकास उनके जन्म … Read more

लिव वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास/ Lev Vygotsky’s Theory Of Cognitive Development

लेव वाइगोत्सकी( Lev Vygotsky ) रूस के एक मनोवैज्ञानिक थे | वाइगोत्सकी ने बालक के संज्ञानात्मक विकास में समाज एवं उसके सांस्कृतिक संबंधों को एक महत्वपूर्ण आयाम घोषित किया | पियाजे की तरह वाइगोत्सकी भी यह मानते थे कि बच्चे ज्ञान का निर्माण ( अर्जन ) करते हैं किंतु वाइगोत्सकी के अनुसार संज्ञानात्मक विकास एकाकी … Read more

विलोम शब्द / Vilom Shabd

वक्र – ऋजु गृहीत – अर्पित संशय – निश्चय आदि – अन्त अधम – उत्तम देवता – राक्षस/दैत्य / दानव सुरु – असुर करुण – निष्ठुर संन्यासी – गृहस्थ उपर्युक्त – निम्नांकित बर्बर – सभ्य प्रज्ञ – मूढ़ सम्पदा – विपदा देव – दानव/दैत्य प्रसार – संकीर्ण अंधेरा – उजाला तृषा – तृप्ति आय – … Read more

Type A and Type B Personality Theory

Type A और Type B व्यक्तित्त्व सिद्धांत का प्रतिपादन फ्रीडमन ( Friedman ) ने किया | व्यक्तित्त्व-अ ( Personality A) फ्रीडमन ( Friedman ) के अनुसार व्यक्तित्व-अ ( Personality A) प्रकार के व्यक्तियों में निम्नलिखित लक्षण होते हैं :- 🔹 इस प्रकार के व्यक्ति महत्वाकांक्षी ( Ambitious ) होते हैं | ये एक साथ कई … Read more

समावेशित शिक्षा/ Inclusive Education

समावेशित शिक्षा ( समावेशी शिक्षा ) का तात्पर्य है एक ऐसी पद्धति से है जिसका उद्देश्य समान अवसर तथा सभी की पूर्ण सहभागिता प्राप्त करने के लिए उपयुक्त माहौल उत्पन्न करना है | 🔹 समावेशन का अर्थ है कि स्कूल की संरचना समुदाय के रूप में की जाए जहां सभी बच्चे एक साथ सीख सकें … Read more

अर्थ परिवर्तन के कारण ( Arth Parivartan Ke Karan )

            भाषा में अर्थ परिवर्तन ( Bhasha Me Arth Parivartan ) लगातार चलता रहता है | कारण यह है कि अर्थ का संबंध मन से है और मन विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से प्रभावित होता रहता है | अर्थ परिवर्तन पहले व्यक्तिगत स्तर पर होता है परंतु बाद में यह … Read more

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