अर्थ परिवर्तन के कारण ( Arth Parivartan Ke Karan )

           


भाषा में अर्थ परिवर्तन ( Bhasha Me Arth Parivartan ) लगातार चलता रहता है | कारण यह है कि अर्थ का संबंध मन से है और मन विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से प्रभावित होता रहता है | अर्थ परिवर्तन पहले व्यक्तिगत स्तर पर होता है परंतु बाद में यह सामाजिक स्तर पर  घटित होता है | भारतीय तथा पाश्चात्य भाषा वैज्ञानिकों ने अर्थ-परिवर्तन के कारणों पर गहन मंथन किया है | 

अर्थ परिवर्तन के कारण ( Arth Parivartan Ke Karan )

मुख्य तौर पर अर्थ-परिवर्तन के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :-

1. पीढ़ी परिवर्तन : पीढ़ी परिवर्तन के साथ-साथ शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आता रहता है ; उदाहरण के लिए पहले ‘पत्र’ शब्द का प्रयोग ‘ताड़-पत्र’ या ‘भोजपत्र’ के लिए किया जाता था लेकिन समय तथा पीढ़ी बदलने के साथ-साथ इस शब्द के अर्थ में परिवर्तन हुआ | कागज  का निर्माण होने के बाद उसे पत्र कहा जाने लगा |  बाद में कागज के समान पतले पदार्थों को भी पत्र कहा जाने लगा ;जैसे –  सोने का पत्र, चांदी का पत्र आदि | ‘चिट्ठी’  के लिए भी पत्र का प्रयोग किया जाने लगा है | अत: स्पष्ट है कि पीढ़ी  बदलने के साथ कुछ शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं |

 2. परिवेश परिवर्तन : भौतिक, भौगोलिक व सामाजिक परिवेश  शब्दों के अर्थ में परिवर्तन लाते हैं |( क ) भौतिक परिवेश : भौतिक परिवेश में परिवर्तन आने से अर्थ परिवर्तन होता है ; उदाहरण के लिए अंग्रेजी भाषा के ‘ग्लास’ का अर्थ ‘कांच’ होता है लेकिन अब एक पात्र (बर्तन)  के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है ; जैसे चांदी का गिलास,  सोने का गिलास आदि | (ख ) भौगोलिक परिवेश : भौगोलिक परिवेश में परिवर्तन होने पर भी शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं |  उदाहरण के लिए ‘ठाकुर’  शब्द का प्रयोग उत्तर भारत में क्षत्रिय के लिए होता है, बिहार में नाई के लिए तथा बंगाल में रसोइए के लिए |  इसी प्रकार ‘दादा’  हिंदी भाषा में पिता के पिता को कहते हैं | यह अर्थ संपूर्ण उत्तर भारत में प्रचलित है लेकिन बंगाल में ‘दादा’  भाई को कहते हैं | ( ग ) सामाजिक परिवेश : सामाजिक परिवेश में परिवर्तन आने से भी कई बार शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं उदाहरण के लिए पाठशाला,  मदरसा, स्कूल पहने एक दूसरे के समानार्थक होते थे परंतु आज ‘पाठशाला’ उस स्थान को कहते हैं जिसमें हिंदी और संस्कृत की शिक्षा दी जाती है | ‘मदरसा’  में उर्दू-फारसी का ज्ञान दिया जाता है,  ‘स्कूल’ में अन्य विषयों के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी दिया जाता है | परंतु अब समय के साथ-साथ यह तीनों शब्द एक बार फिर से अपना रूप बदलने लगे हैं |  कुछ भिन्नताओं के होते हुए भी ‘पाठशाला’ और ‘स्कूल’ अब एक दूसरे के समानार्थक नजर आने लगे हैं लेकिन ‘गुरुकुल’ और ‘मदरसा’ अभी भी इनसे भिन्न नजर आते हैं |

 3. भावावेश के कारण : अक्सर भावावेश या उत्तेजना के कारण शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आ जाता है |  भावावेश की स्थिति में हम कई बार ऐसे व्यक्तियों को भी बाप, ताऊ, चाचा, पिता कह देते हैं जो वास्तव में हमारे बाप, ताऊ, चाचा,  पिता आदि  नहीं होते |  कभी-कभी हम उत्तेजना के कारण किसी व्यक्ति को गधा या कुत्ता भी कह देते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे गधे या कुत्ते हैं | ऐसी स्थिति में शब्द अपने मूल अर्थ को छोड़कर नई अर्थ- छाया प्रस्तुत करते हैं | 

4. नम्रता दिखाने के कारण : कभी-कभी हम विनम्रता या शिष्टाचार के लिए भी शब्दों के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं उदाहरण के लिए उर्दू भाषी लोग अपने घर को गरीबखाना तथा दूसरों के घरों को दौलतखाना कह देते हैं | 

5. व्यंग्य के कारण : व्यंग्य का प्रयोग करते हुए भी हम कई बार शब्दों के अर्थ बदल देते हैं जैसे हम अंधे को नयनसुख,  काने को रामदेव व  किसी झूठे व्यक्ति को सत्यवादी हरिश्चंद्र कहते हैं |

 6. लाक्षणिकता के कारण : प्रायः प्रत्येक भाषा में लाक्षणिक प्रयोग होते रहते हैं जो शब्दों को  नए अर्थ प्रदान करते हैं | जैसे :- (क ) उस लड़की से बचना वह ‘नागिन’ है |  ( ख ) मेरे जीवन में ‘फूल’ कहां यहां तो ‘कांटे’ ही ‘कांटे’ हैं |( ग ) मोहन के ‘वज्र’ की छाती है |  इन वाक्यों में नागिन, फूल, कांटे और वज्र शब्द अपने प्रचलित अर्थों को छोड़ कर क्रमशः खतरनाक स्त्री, खुशियां, दुख और मजबूत अर्थ को प्रकट करते हैं |

 7. अन्य भाषाओं का प्रभाव : अन्य भाषाओं के प्रभाव के कारण भी शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आ जाता है उदाहरण के लिए पंजाबी और हरियाणवी भाषाओं के प्रभाव के कारण दिल्ली जैसे महानगरों के लोग भी कहते हैं मच्छर लड़ (काट) रहे हैं या सांप लड़ (काट) गया |

 8. शब्दों के अधिक प्रयोग के कारण : पाय: शब्दों के बार बार प्रयोग से उनकी शक्ति कमजोर पड़ जाती है | उदाहरण के लिए ‘श्रीमान’ शब्द बड़ा ही सार्थक लगता था परंतु आज केवल औपचारिकता बनकर रह गया है |इसी प्रकार ‘बहुत’ शब्द भी अब निरर्थक सा लगता है |यही कारण है कि इसके स्थान पर अब अत्यंत, अत्यधिक शब्दों का प्रयोग होने लगा है | 9. अज्ञानता के कारण : कई बार अज्ञानता के कारण भी  शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आ जाता है | उदाहरण के लिए ‘ख़ालिस’ शब्द का अर्थ ‘शुद्ध’ है परंतु कुछ लोग अज्ञानतावश इसका अर्थ ‘अशुद्ध’मानते हैं और ‘शुद्ध’ के अर्थ में एक नया शब्द ‘निखालिस’ प्रयोग करते हैं | अब शब्दकोश में ‘खालिस’ तथा ‘निखालिस’ दोनों का अर्थ ‘शुद्ध’ दिया जाता है | यही सब ‘फजूल’ के साथ घटित हुआ है | ‘फजूल’  का अर्थ है – अनावश्यक  परंतु कुछ लोग अज्ञानतावश ‘फजूल’ का अर्थ ‘आवश्यक’  समझकर अनावश्यक के अर्थ में एक नया शब्द ‘बेफजूल’ का प्रयोग करते हैं | 

10. सुश्राव्यत्व के कारण : सुश्राव्यत्व का अर्थ है – सुनने में अच्छा लगना |  कुछ शब्द अश्लील, बेहूदा या अमंगलकारी  होते हैं तथा उनका प्रयोग करना ठीक नहीं लगता | ऐसे शब्दों के स्थान पर सुंदर व मंगलसूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है | तब वे शब्द अपना अर्थ बदल लेते हैं; जैसे किसी को चेचक होने पर ‘माता निकलना’ या ‘देवी का आना’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है | इसी प्रकार किसी की मृत्यु होने पर ‘स्वर्गवास’ या ‘पूरा होना’ या ‘गुजर जाना’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है | 

11. व्यक्तिगत धारणा के कारण अर्थ परिवर्तन : व्यक्तिगत धारणा के कारण भी शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आ जाता है ; जैसे ‘भगवान’ शब्द का अर्थ राम-भक्तों के लिए श्रीराम, कृष्ण-भक्तों के लिए श्रीकृष्ण तथा बौद्धों  के लिए महात्मा बुद्ध  है | 

12. आंशिक प्रधानता के कारण : कई बार आंशिक प्रधानता के कारण अर्थ परिवर्तन हो जाता है उदाहरण के लिए ‘अबला’ का अर्थ होता है – निर्बल स्त्री परंतु अब हर स्त्री को अबला कहा जाता है |  इसी प्रकार ‘वामा’  का अर्थ है – ‘सीधे स्वभाव वाली स्त्री’ परंतु अब ‘वामा’ प्रत्येक  स्त्री के लिए प्रयुक्त होता है | 

13. अंधविश्वास के कारण : अंधविश्वास भी अर्थ परिवर्तन का कारण बनता है | जैसे सांप या बिच्छू आदि शब्दों का उच्चारण अशुभ माना जाता है | इसलिए इनके लिए ‘कीड़ा’ शब्द का प्रयोग किया जाता है | एक अन्य उदाहरण है कि भारतीय स्त्री अपने मुख से अपने पति का नाम उच्चारण नहीं करती ऐसी स्थिति में वह उनके लिए ‘स्वामी’ या अन्य आदर सूचक शब्दों का प्रयोग करती है | 

 14. नए शब्दों के निर्माण के कारण : आज के वैज्ञानिक युग में नए-नए आविष्कार होने से नई-नई वस्तुओं का निर्माण हो रहा है जिससे उनके नाम रखने की समस्या उत्पन्न हो रही है | इन पदार्थों या अवधारणाओं के लिए नए नामों का प्रचलन होता है, जैसे – उपग्रह, उपायुक्त,  गुरुत्व,  जड़त्व, अणु,  परमाणु आदि | 

15. पुनरावृति के कारण : शब्दों की पुनरावृत्ति के कारण भी अर्थ परिवर्तन होने लगता है, जैसे ‘हिमगिरि’  का अर्थ है – हिमालय पर्वत | ‘गिरि’ शब्द का अर्थ पर्वत है परंतु कुछ लोग हिमालय पर्वत को ‘हिमगिरि पर्वत’ कहते हैं जबकि ‘गिरि’ और ‘पर्वत’ की पुनरावृति हुई है |  ‘पावरोटी’ भी एक ऐसा ही शब्द है | 


 उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि अर्थ परिवर्तन के आने कारण हो सकते हैं | इन्हीं कारणों से भाषा के अनेक शब्दों के अर्थ परिवर्तित होते रहते हैं | यह प्रक्रिया सतत रूप से चलती रहती है जिससे भाषा समृद्ध होती रहती है |