समावेशित शिक्षा/ Inclusive Education

समावेशित शिक्षा ( समावेशी शिक्षा ) का तात्पर्य है एक ऐसी पद्धति से है जिसका उद्देश्य समान अवसर तथा सभी की पूर्ण सहभागिता प्राप्त करने के लिए उपयुक्त माहौल उत्पन्न करना है |

🔹 समावेशन का अर्थ है कि स्कूल की संरचना समुदाय के रूप में की जाए जहां सभी बच्चे एक साथ सीख सकें |

🔹 समावेशन का अर्थ यह है कि विकलांगताओं से युक्त छात्र नियमित-शिक्षा-क्लास रूम का एक अभिन्न अंग हों |

समावेशित शिक्षा की विशेषता

( Samaveshi Shiksha Ki Visheshtayen )

समावेशित शिक्षा एक विशेष शिक्षा है और इस मान्यता पर आधारित है कि समाज में ऐसे बच्चे भी हैं जिनकी कुछ विशेष आवश्यकताएं हैं |

🔹 “विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ( CWSN – Children With Special Needs )” बच्चों पर विकलांग बच्चों का लेबल लगने से रोकने व विशेष बच्चों की विशेष शैक्षिक आवश्यकता पर सबका ध्यान खींचने के लिए बनाई गई शब्दावली है |

🔹 विशेष का अर्थ है – वे बच्चे जो शारीरिक, मानसिक या व्यवहारिक रूप से स्थानीय समाज द्वारा स्थापित मानदंड से अलग हैं |

🔹 विशेष बच्चों को विशेष शिक्षक, विशेष साधन, विशेष विधियां और कभी-कभी विशेष वातावरण की आवश्यकता होती है | ये विधियां प्राय: “बाल केंद्रित शिक्षण अधिगम विधियां” हैं जिनका लाभ सभी बच्चों को मिल सकता है चाहे वे विकलांग ने भी हों |

🔹 समावेशित शिक्षा विकलांग बच्चों को नियमित विद्यालय में रखने के पक्ष में है | यह उनको समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करती है |

◼️ यूनेस्को के सहयोग से स्पेन की सरकार ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा पर एक विश्व सम्मेलन 7 से 10 जून, 1994 को सलमानका ( Salamanca ) में आयोजित किया जिसमें विशेष शिक्षा के संबंध में फ्रेमवर्क किया गया |

🔹 समावेशित शिक्षा ( Samaveshi Shiksha ) इस बिंदु पर आधारित है कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार है वास्तव में यह एक मानव अधिकार है जो हर किसी को मिलना ही चाहिए | इस प्रकार समावेशी शिक्षा की अवधारणा सभी बच्चों को उनकी भौतिक, बौद्धिक, सामाजिक, भाषायी या अन्य स्थिति को अनदेखा करते हुए विद्यालय में प्रवेश का अधिकार प्रदान करती है |

🔹 समावेशित शिक्षण प्रक्रिया में ऐसी शिक्षण विधियों पर जोर दिया जाता है जिसमें विशेष शिक्षण आवश्यकता वाले बच्चों सहित सभी बच्चे लाभान्वित हो सकें |

🔹 समावेशित शिक्षा से समान अवसर और पूर्ण भागीदारी के लिए पृष्ठभूमि बनती है | इसकी सफलता केवल विद्यालय के स्टाफ, शिक्षक के प्रयत्न से ही नहीं बल्कि साथियों, पालकों, अभिभावकों और स्वयंसेवकों के प्रयत्नों से ही संभव है |

🔹 जहां तक संभव हो सभी बच्चों को चाहे उन्हें कोई भी कठिनाई या उनमें कोई भी अंतर हो साथ-साथ सीखने देना चाहिए यही समावेशित शिक्षा का सिद्धांत है |

बॉब पिल्लई के अनुसार :- “प्रत्येक विद्यार्थी को नियमित विद्यालय में पढ़ने का अधिकार है | शिक्षा एकाधिकार है, दी गई सुविधा नहीं |”

अतः स्पष्ट है कि समावेशित शिक्षा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में किया गया प्रयास है | साथ ही यह बाल मनोविज्ञान के सिद्धांत के अनुकूल भी है क्योंकि इस शिक्षा विधि के तहत जो शैक्षिक वातावरण और शैक्षिक साधन प्रदान किए जाते हैं, वह विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के साथ-साथ सभी बच्चों के लिए समान रूप से लाभकारी हैं | इसके साथ-साथ समावेशित शिक्षा ‘सबके लिए शिक्षा’ के सिद्धांत के अनुकूल भी है |

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