मौर्य वंश ( Mauryan Dynasty )

मौर्य काल
( Mauryan Empire )

चंद्रगुप्त मौर्य ( Chandragupt Maurya ) ने 322 ई० पू० में नंद वंश के राजा घनानंद ( Ghananand ) को पराजित कर मगध पर अपनी सत्ता स्थापित की । इसके साथ ही नंद वंश का स्थान मौर्य वंश ने ले लिया । मौर्य वंश के राजाओं ने 322 ई० पू० से 184 ई० पू० तक मगध पर शासन किया । बृहद्रथ ( Brihdrath ) मौर्य वंश का अंतिम शासक था जिसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 184 ई० पू० में उसकी हत्या करके शुंग वंश ( Shung Vansh ) की स्थापना की और मौर्य वंश के महान युग का अंत हो गया ।

मौर्य वंशावली

  1. चंद्रगुप्त मौर्य
  2. बिंदुसार
  3. अशोक
  4. अशोक के उत्तराधिकारी – जालौक ,सम्प्रति ,दशरथ ,बृहस्पति व बृहद्रथ |

1 चंद्रगुप्त मौर्य ( 322 ई० पू ० से 298 ई० पू०)

• जन्म – 345 ई० पू०
• चंद्रगुप्त 322 ई० पू० में नंद वंश के राजा घनानंद को पराजित मगध का राजा बना | इसके साथ ही मगध में मौर्य वंश की स्थापना हुई ।
• उसने 305 ई० पू० में सेल्यूकस को हराया । इस युद्ध का वर्णन ‘एप्पियस’ ने किया है ।सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलन( कार्नेलिया ) का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से किया और काबुल , कंधार , हरात और मकरान के राज्य भेंट के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य को दिए ।
• चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन गुरु भद्र बाहु से जैन धर्म की दीक्षा ली ।
• मैगस्थनीज़ सल्यूकस का राजदूत था जो 302 ई० पू ० से 298 ई० पू० तक चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा । उसने ‘इण्डिका’ ( Indika ) नामक पुस्तक की रचना की ।
• कौटिल्य ( Kautilya ) चन्द्रगुप्त मौर्य का प्राधानमंत्री था | उसे चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है | उसका वास्तविक नाम विष्णु गुप्त था | उसने ‘अर्थशास्त्र’ ( Arthshastra )की रचना की जो मौर्य वंश के इतिहास की जानकारी का महत्त्वपूर्ण स्रोत है |
• चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ई० पू० में श्रवणबेलगोला ( कर्नाटक ) में निराहार रहने के कारण हुई ।
• बौद्ध साहित्य के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने 24 वर्ष (322 ई० पू० से 298 ई० पू० ) तक शासन किया ।

• जैन साहित्य के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने शासन के अंतिम वर्षों में अपने पुत्र बिंदुसार को शासन सौंप दिया और जैन भिक्षु भद्रबाहु ( Bhadrabahu ) के साथ मैसूर ( कर्नाटक ) चला गया ।
• एरियन और पलूटार्क ने चंद्रगुप्त मौर्य के लिए ‘एंड्रोकोटस’ नाम प्रयुक्त किया है ।
• ग्रीक साहित्य में उसे ‘सैंड्रोकोटस’ नाम से जाना जाता है । सर विलियम जोन्स ने सैंड्रोकोटस को ही चंद्रगुप्त मौर्य माना है ।
• जूनागढ़ स्थित ‘सुदर्शन झील’ का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य ने करवाया था ।
• साम्राज्य विस्तार : चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में मसूर तक तथा पूर्व में बंगाल से लेकर उत्तर -पश्चिम में हिंदुकुश पर्वत तक था ।

2. बिंदुसार (298ई०पू० से 273ई० पू० )

• चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र बिंदुसार ( Bindusar ) मौर्य वंश का दूसरा शासक था । उसने 298ई० पू० से 273 ई० पू० तक शासन किया ।
• जैन ग्रंथों में बिंदुसार को ‘सिंहसेन’ कहा गया है ।
• जैन परम्परा के अनुसार उसकी माता का नाम ‘दुर्घरा’ था ।
• महावंश टीका के अनुसार उसकी पत्नी का नाम ‘धम्मा’ या ‘वम्मा’ तथा अशोकावदान के अनुसार ‘सुभद्रांगी’ बताया गया है । संभवत: उसकी अनेक पत्नियाँ थी ।
• यूनानी ग्रंथों में बिंदुसार को अमित्रोकेडिज या अमित्रोपेंटस कहा गया है जिसका अर्थ है – अमित्रघात ( शत्रुओं का नाश करने वाला )।
• एथीनियस के अनुसार बिंदुसार ने सीरिया के यूनानी शासक एंटियोकस से मदिरा , सूखे अंजीर व एक दार्शनिक भेजने की अपील की थी ।
• स्ट्रैबो के अनुसार सीरिया के यूनानी शासक एंटियोकस ने बिंदुसार के दरबार में ‘डाइमेकस’ नामक दार्शनिक भेजा जिसे मैगस्थनीज़ का उत्तराधिकारी माना जाता है ।
• बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला में दो विद्रोह हुए । पहले विद्रोह का दमन करने के लिए उसने अशोक को तथा दूसरे विद्रोह का दमन करने के लिए सुसीम को भेजा ।
• बौद्ध विद्वान तारानाथ ने बिंदुसार को 16 राज्यों का विजेता बताया है ।
• पुराणों के अनुसार उसने 24 वर्ष तथा महावंश के अनुसार 27 वर्ष शासन किया |

3. सम्राट अशोक ( 269 ई० पू० से 232 ई० पू० )

• अशोक ( Ashoka ) मौर्य वंश का तीसरा शासक था । उसका जन्म 304 ई० पू० में पाटलिपुत्र में हुआ । उसके पिता का नाम बिंदुसार तथा माता का नाम सुभद्रांगी था । वह 273 ई० पू० में मगध का शासक बना । माना जाता है कि अशोक बिंदुसार की पसंद नहीं था । बिन्दुसार राजकुमार सुसीम ( Susim ) को राजा बनाना चाहता था । बौद्ध साहित्य के अनुसार अशोक को सिंहासन हासिल करने के लिए अपने 99 भाइयों का वध करना पड़ा । यही कारण है कि अशोक का वास्तविक राज्यारोहण 269 ई० पू० माना जाता है ।

अशोक की रानियाँ

असंघमिता ( Asanghmita ) अशोक की मुख्य रानी ( पत्नी ) थी । तिसारख ( Tisarakh ) भी अशोक की पत्नी थी । इसने एक बौद्ध-भिक्षु को हानि पहुँचाई थी ।
• इलाहाबाद अभिलेख ( रानी का अभिलेख ) में कौरवाकी ( Kaurwaki ) को अशोक की पत्नी बताया गया है ।
• दिव्यावदान में पद्मावती ( Padmavati ) को अशोक की एक पत्नी बताया गया है । कुणाल इसका पुत्र था ।

अशोक के विभिन्न नाम व उपाधियाँ

• अशोक’ सम्राट अशोक का व्यक्तिगत नाम था । मास्की तथा गुर्जरा अभिलेख में यह तथ्य वर्णित है ।
• कंधार अभिलेख के अनुसार ‘पियदस्सी’ अशोक का अधिकारिक नाम था ।
• देवानाम प्रिय’ अशोक की राजकीय उपाधि थी । प्रियदस्सी या पियदस्सी राजा ‘ बराबर की गुफ़ाओं में मिले अभिलेख में अंकित है | जूनागढ़ अभिलेख में ‘अशोक मौर्य’ , पुराणों में ‘अशोकवर्धन’ तथा भाब्रू अभिलेख में ‘मगध का राजा’ कहा गया है |

अशोक के शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ

• उसके शासन के 9वें वर्ष में (261 ई० पू० ) कलिंग की लड़ाई हुई जिसमें अशोक विजयी हुआ लेकिन भीषण रक्तपात ने अशोक का हृदय-परिवर्तन कर दिया और वह युद्ध का रास्ता त्याग कर मानव सेवा की ओर तत्पर हो गया । इस युद्ध के पश्चात अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया |
• अपने शासन के 10वें वर्ष में अशोक ने बौद्ध-गया की यात्रा की ।
• अपने शासन के 13वें वर्ष में अशोक ने ‘राजुक’ ( प्रांतीय स्तर का उच्च अधिकारी ) की नियुक्ति की । इसी वर्ष में अशोक के वृहद शिलालेखों का लिखा जाना आरम्भ हुआ । इसी वर्ष बराबर-गुहा आजीवकों शासन के 14वें वर्ष में अशोक ने धम्म-महामात्रों की नियुक्ति की ।
• शासन के 21वें वर्ष में रूमनदेई की यात्रा का उल्लेख मिलता है ।

अशोक के अभिलेख

• अशोक के 14 वृहद शिलालेख 8 स्थानों से प्राप्त हुए हैं : शाहबाजगढ़ी व मनसेरा ( पाकिस्तान ), कलसी ( देहरादून ) , गिरनार ( गुजरात ), धौली ( पुरी ) , नौगढ/जौगढ़ ( गंजम,उड़ीसा ) , एर्रागुडी ( कुर्नुल , आँध्रप्रदेश ), सोपारा ( ठाणे , महाराष्ट्र )।
• अशोक के 13 लघु शिलालेख मिले हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं : रूपनाथ ( मध्यप्रदेश ), गुर्जरा ( मध्यप्रदेश ), सहसराम ( बिहार ), भाब्रू (राजस्थान ), मास्की व सिद्धपुर ( आँध्रप्रदेश )।
• अशोक के 7 स्तम्भ लेख 6 स्थानों से प्राप्त हुए हैं जिनमें से प्रमुख हैं : टोपरा ( दिल्ली ), दिल्ली ( पहले मेरठ ), प्रयाग ( पहले कोशांबी में ), रामपुरवा ( बिहार ) ।
• अशोक के गुहा अभिलेखों की संख्या 3 है । ये लेख बिहार में गया के निकट बराबर की गुफ़ाओं में हैं । चार गुफ़ाओं में से तीन पर लेख अंकित हैं । इनसे धार्मिक सहिष्णुता की जानकारी मिलती है ।

  1. अशोक का साम्राज्य : अशोक का साम्राज्य उत्तर में हिमालय की तलहटी से लेकर दक्षिण में मैसूर तक तथा पूर्व में बंगाल से लेकर पश्चिम में कंधार ( अफ़ग़ानिस्तान ) तक था ।
  2. अशोक का साम्राज्य पाँच प्रांतों में बँटा था : 1.उत्तर -पश्चिम प्रांत( उत्तरापथ ) की राजधानी तक्षशिला थी ।
  3. दक्षिण प्रांत ( दक्षिणापथ ) की राजधानी स्वर्णगिरि थी ।
  4. पूर्वी प्रांत ( कलिंग ) की राजधानी तोशाली/ तोसली थी ।
  5. पश्चिमी प्रांत ( अवन्ति ) की राजधानी उज्जयिनी / उज्जैन थी ।
  6. मध्य देश की राजधानी पाटलिपुत्र थी ।

अशोक के शासनकाल के प्रमुख अधिकारी

• अग्रमात्य : सम्राट का सबसे प्रमुख मंत्री व सहायक ।
• महामात्र : विभिन्न भागों के अध्यक्ष ।
• राजुक : प्रांतीय स्तर के उच्च अधिकारी ।
• युत्त या युक्त : राजस्व एकत्र करने वाला अधिकारी ।
• प्रादेशिक : ज़िले का अधिकारी

अशोक से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

• अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी ,खरोष्ठी , ग्रीक व अरमाइक लिपि का प्रयोग हुआ है ।
• ग्रीक व अरमाइक लिपि का अभिलेख अफ़ग़ानिस्तान से ( शार-ए-कूना ) ,खरोष्ठी लिपि के अभिलेख उत्तर पश्चिम पाकिस्तान से और ब्राह्मी लिपि के अभिलेख भारत से मिले हैं ।
• शार-ए-कूना ( अफ़ग़ानिस्तान ) से मिला अभिलेख दो लिपियों ( ग्रीक व अरमाइक ) में है ।
• शाहबाज़गढ़ी व मनसेरा ( पाकिस्तान ) के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में हैं ।
• अशोक के अभिलेखों को 1837 ई० में जेम्स प्रिंसेप ( James Prinsep ) ने पढ़ा ।
• मास्की व गुर्जरा अभिलेख में ‘अशोक’ नाम मिलता है जबकि अधिकांश अभिलेखों में ‘देवानामप्रिय पियदस्सी’ नाम मिलता है ।
• भाब्रू शिलालेख जो बैराट पर्वत की चोटी पर था से अशोक के बौद्ध धर्म ग्रहण करने का प्रमाण मिलता है ।
• रामपुरवा स्तम्भ लेख ( प्रथम ) के शीर्ष पर एकल सिंह बना है ।
• रामपुरवा स्तम्भ (द्वितीय ) के शीर्ष पर एक वृषभ बना है । यह स्तम्भ लेख विहीन है ।
• रूमिनदई ( नेपाल ) का स्तम्भ अभिलेख सबसे छोटा स्तम्भ-अभिलेख (6.2 मीटर ) है । इसके शिखर पर घोड़ा बना है ।
• नेपाल की तराई में अशोक के दो अभिलेख मिले हैं – रुमिनदई व निग्विला ।
• अशोक के अभिलेखों की समानता ईरानी सम्राट डेरियस प्रथम से की जा सकती है ।
• दूसरे व सातवें अभिलेख में अशोक के धम्म की व्याख्या है ।
• 13वें अभिलेख में कलिंग की लड़ाई व अशोक के ह्रदय-परिवर्तन का उल्लेख मिलता है ।
• अशोक के एर्रगुड़ि अभिलेख ( कुर्नुल, कर्नाटक ) में ब्राह्मी लिपि दाएँ से बाएँ लिखी गयी है ।
• रानी का स्तम्भ अभिलेख ( कौशाम्बी का स्तम्भ लेख ) में अशोक की रानी कौरुवाकी द्वारा दिए गए दान का वर्णन मिलता है ।मुग़ल सम्राट जहांगीर यह स्तम्भ अभिलेख कौशाम्बी से इलाहाबाद लाया था ।
• टोपरा और मेरठ के अभिलेखों को फ़िरोज़शाह तुग़लक़ दिल्ली ले आया था ।
• सातवाँ स्तम्भ लेख ( प्रयाग ) सबसे बड़ा है ।
• दिव्यावदान में अशोक की पत्नी का नाम तिष्यरक्षिता ( तिसारख ) पद्मावती बताया गया है । पद्मावती का पुत्र कुणाल था ।
• अशोक ने अपने शासनकाल के 9वें वर्ष में (261 ई० पू० ) कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग की राजधानी तोसलि पर अधिकार कर लिया । कलिंग का राजा नन्दराज माना जाता है परंतु अधिकाँश इतिहासकार इस तथ्य से सहमत नहीं हैं ।
• मथुरा के बौद्ध-भिक्षु उपगुप्त ( Upagupt ) ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी ।
• अशोक ने बराबर की गुफ़ाओं ( गया के निकट , बिहार ) में आजीवकों के रहने के लिए चार गुफ़ाओं का निर्माण करवाया ।
• अशोक ने पुत्र महेन्द्रवर्मन तथा पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा ।
तीसरी बौद्ध संगीति का आयोजन 250 ई० पू० में अशोक के शासनकाल में हुआ । इसकी अध्यक्षता मोगलीपुत्र तिस्स ने की । इस संगिति में ‘अभिधम्म पिटक’ का संकलन हुआ ।

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