पल्लव वंश ( Pallava Dynasty )

                                पल्लव वंश 
                      ( Pallava Dynasty )
 
पल्लव वंश दक्षिण भारत का एक प्रमुख राजवंश था | इसने छठी सदी से नौवीं सदी तक शासन किया | इनकी राजधानी कांची ( Kanchi ) थी | पल्लव वंश का संस्थापक सिंह विष्णु था जिसने 565 ई० से 600  ई० तक शासन किया । इसकी राजधानी काँची ( Kanchi ) (तमिलनाडु) थी ।
 
🔹सिंह विष्णु वैष्णव धर्म का अनुयायी था । मामल्लपुरम का वराह मंदिर उसके काल में बनाया गया था ।
 

🔹संस्कृत महाकवि भारवी ( Bharavi ) उसके दरबार की शोभा था । उसने ‘किरातार्जुनीयम'( Kiratarjuniyam ) नामक महाकाव्य की रचना की ।

◾पल्लव वंश के अन्य प्रमुख राजा थे : महेंद्रवर्मन प्रथम ( 600-630 ), नरसिंह वर्मन प्रथम ( 630-668 ) ,महेंद्र वर्मन द्वितीय ( 668-670 ) , परमेश्वर वर्मन प्रथम ( 670-680 ) , नरसिंह वर्मन द्वितीय ( 704-728 ) , नंदी वर्मन द्वितीय ( 731-795 ) ।

महेंद्र वर्मन प्रथम ( 600-630 ) पल्लव वंश का महान शासक था । उसने ‘मत्त विलास’ , ‘विचित्र चित्र’ व ‘गुणभर’ जैसी उपाधियाँ धारण की ।

🔹 महेंद्र वर्मन महान निर्माता , कवि व संगीतज्ञ था । उसने ‘मत्तविलास प्रहसन’ हास्य-ग्रंथ की रचना की । रुद्राचार्य   ( Rudrachary ) उसके संगीत गुरु थे ।

नरसिंह वर्मन प्रथम (630-668 ) पल्लव  वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था । उसने चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय को परास्त कर वातापी ( बादामी ) पर अपना अधिकार किया तथा ‘वातापीकोंड‘ की उपाधि धारण की । इस विजय के पश्चात उसने ‘महामल्ल’ की उपाधि भी धारण की

🔹महाबलीपुरम के रथ मंदिरों का निर्माण नर सिंह वर्मन प्रथम ने करवाया ।
🔹रथ मंदिरों की संख्या सात है । सबसे छोटा रथ मंदिर द्रोपदी का है । इसमें अलंकरण नहीं मिलता ।

▪अरबों के आक्रमण के समय पल्लवों का शासक नरसिंह वर्मन द्वितीय( 704-728 ) था ।
उसने ‘राजसिंह’ , आगमप्रिय, व ‘शंकर भक्त’ की उपाधि धारण की । उसने काँची के कैलाशनाथ मंदिर ( Kailashnath Mandir ) का निर्माण करवाया जिसे ‘राजसिध्देश्वर मंदिर’ भी कहा जाता है । काँची के कैलाशनाथ मंदिर से स्थापत्य की द्राविड शैली की शुरुआत मानी जाती है ।
🔹संस्कृत के प्रख्यात कवि दंड़िन / दण्डी ( Dandin )  इसके दरबार की शोभा थे । दंड़िन ने ‘दशकुमारचरितम‘ की रचना की ।
नंदीवर्मन द्वितीय ने 731-795 ई० तक शासन किया । वह वैष्णव धर्म का अनुयायी था । उसने काँची के ‘मुक्तेश्वर मंदिर’ तथा ‘बैकुंठ पेरूमल‘ मंदिर का निर्माण करवाया । प्रसिद्ध वैष्णव संत ‘तिरुमंगई अलवार’ नंदीवर्मन द्वितीय के समकालीन था ।
▪पल्लव वंश का अंतिम शासक अपराजित वर्मन था । उसने 879-897 ई० तक शासन किया ।

▪पल्लव वंश नयनार व अलवार भक्ति आंदोलनों के लिए चर्चित रहा ।

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