राष्ट्रकूट वंश ( Rashtrakuta Dynasty )

⚫️ राष्ट्रकूट वंश ⚫️
 
राष्ट्रकूट वंश का प्रादुर्भाव 8वीं सदी के पूर्वार्द्ध में हुआ | इस वंश की स्थापना बादामी के चालुक्य वंश के राजा कीर्ति वर्मन द्वितीय को परास्त कर दंति दुर्ग ने की | इस वंश ने लगभग 200 वर्षों तक शासन किया | अंत में कल्याणी के चालुक्यों ने इस वंश का अंत किया |

◾वातापी / बादामी के राष्ट्रकूट वंश का अंतिम शासक कीर्तिवर्मन द्वितीय था जिसे इसके सामंत दंतिदुर्ग ने परास्त कर एक नये राजवंश राष्ट्रकूट वंश की स्थापना की ।
🔹दंतिदुर्ग ( 735-756 ) ने 752  ई० में राष्ट्रकूट वंश की स्थापना की । राष्ट्रकूट साम्राज्य की राजधानी मान्यखेट ( कर्नाटक ) थी ।
🔹कृष्ण प्रथम 756 ई० में शासक बना | उसने  756 से 773 ईo तक शासन किया। वह राष्ट्रकूट वंश का महानतम शासक था । उसने बादामी के चालुक्य , वेंगी के चालुक्य और मैसूर के गंगों को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिये बाध्य कर दिया । उसने एलोरा के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया ।
, 🔹कृष्ण प्रथम (773-780 )का उत्तराधिकारी गोविन्द द्वितीय था | वह एक अयोग्य शासक था | उसने कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं की |
🔹ध्रुव ( 780-793 ) राष्ट्रकूट वंश का प्रथम शासक था जिसने कन्नौज पर अधिकार करने हेतु त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया और प्रतिहार नरेश वत्सराज एवं पाल नरेश धर्मपाल को पराजित किया । ध्रुव को धारावर्ष भी कहा जाता है । उसने धारावर्ष,   निरुपम, श्री वल्लभ,  काली वल्लभ जैसी उपाधियाँ धारण की |
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🤔 8वीं सदी के दौरान पाल वंश , प्रतिहार वंश व राष्ट्रकूट वंश के मध्य कन्नौज पर नियंत्रण स्थापित करने के लिये एक लम्बा संघर्ष चला जिसे त्रिपक्षीय संघर्ष के नाम से जाना जाता है ।
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🔹गोविंद तृतीय (793-814 ) ने त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेकर पाल वंश के धर्मपाल, प्रतिहार वंश के नाग भट्ट द्वितीय को पराजित किया । उसने पल्लव , पांडय व गंग वंश के संघ को भी पराजित किया ।
🔹अमोघवर्ष (814-878 ) जैन धर्म का अनुयायी था । जैन धर्म का अनुयायी होते हुए भी वह हिन्दू धर्म का सम्मान करता था | वह महालक्ष्मी का भक्त था | ऐसा माना जाता है की एक बार उसने अपनी अंगुली देवी को  चढ़ा दी थी | उसने कन्नड़ भाषा में  ‘प्रश्नोत्तर मालिका’ तथा ‘कविराज मार्ग’ की रचना की । उसके दरबारी कवि जिनसेन ने ‘आदि पुराण’ नामक ग्रन्थ लिखा | अरब यात्री सुलेमान ने अपने वृतांत में उसकी प्रशंसा की है  |उसने तुंगभद्रा नदी में जल-समाधि लेकर अपने जीवन का अंत किया ।
🔹राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक कृष्ण तृतीय ( 939-967) था । राज्यारोहण के समय उसने ‘अकालवर्ष’ की उपाधि धारण की | कांची तथा तंजौर को जीतने के बाद उसने ‘कांचीयुमतंजयुमकोंड’ की उपाधि धारण की | उसके दरबार में कन्नड़ भाषा के महान कवि ‘पोन्न’ थे जिसने ‘शांति पुराण’ की रचना की । कृष्ण तृतीय ने चोल नरेश परांतक प्रात को पराजित कर रामेश्वर तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया ।
🔹  चालुक्य नरेश तैलप द्वितीय ने 993 ईo में राष्ट्रकूट वंश के अंतिम शासक कर्क द्वितीय को  पराजित कर कल्याणी के चालुक्य वंश की स्थापना की और राष्ट्रकूट वंश का अंत हो गया |इस प्रकार राष्ट्रकूट वंश ने 735 ईo से 993 ईo तक शासन किया |

◾एलोरा एवं एलिफ़ेंटा गुहामंदिरों का निर्माण राष्ट्रकूटों के शासनकाल में हुआ ।
🔹एलोरा में चट्टानों को काटकर बनायी गयी 34 गुफाएँ हैं । इनमें  1 से 12 तक बौद्धों , 13 से 29 तक हिंदुओं एवं 30 से 34 तक जैन धर्म से सम्बंधित हैं । गुहा संख्या 15 में विष्णु को नरसिंह के रूप में दिखाया गया है ।
🔹राष्ट्रकूट वंश के शासक शैव , वैष्णव , शाक्त व जैन धर्म के अनुयायी थे ।
🔹राष्ट्रकूट वंश की शासन-प्रणाली में आधुनिक जिले को ‘विषय’ कहा  जाता था जिसमें एक हजार से लेकर चार हजार तक गाँव होते थे | इसका प्रधान ‘विषयपति’ होता था |

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