रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय

जीवन-परिचय — श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं | वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे | उन्होंने गद्य तथा पद्य की विभिन्न विधाओं पर अपनी लेखनी चला कर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया घाट गाँव में 23 सितंबर, सन् 1908 … Read more

विभिन्न साहित्यकारों का जीवन परिचय

कबीरदास सूरदास तुलसीदास मीराबाई कवि बिहारी घनानंद रसखान भारतेन्दु हरिश्चन्द्र बालमुकुंद गुप्त अयोध्यासिंह उपाध्याय महावीर प्रसाद द्विवेदी मैथिलीशरण गुप्त प्रेमचंद आचार्य रामचंद्र शुक्ल हजारी प्रसाद द्विवेदी राहुल सांकृत्यायन विद्यानिवास मिश्र हरिशंकर परसाई महादेवी वर्मा जयशंकर प्रसाद सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ सुमित्रानंदन पंत रामधारी सिंह दिनकर भारत भूषण अग्रवाल सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ नरेश मेहता डॉ धर्मवीर … Read more

कामायनी : आनंद सर्ग ( जयशंकर प्रसाद ) – सार / कथ्य / प्रतिपाद्य या मूल भाव

‘आनंद’ जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य ‘कामायनी’ का अंतिम सर्ग है। पाठ्यक्रम में संकलित आनंद सर्ग का सार निम्नलिखित है : मानव के सहयोग से इड़ा ने सारस्वत प्रदेश को सुव्यवस्थित कर दिया था। जिसका परिणाम यह निकला कि वे सभी लोग आपसी वैमनस्य का त्याग कर एक परिवार की तरह मिलजुल कर रहने लगे … Read more

संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( मैथिलीशरण गुप्त ) : सार /कथ्य / प्रतिपाद्य

‘सन्देश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया’ प्रस्तुत कविता राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के महाकाव्य ‘साकेत’ के आठवें सर्ग का अंश है। श्रीराम, सीता एवं लक्ष्मण चित्रकूट में ठहरे हुए हैं। सीता जी अपनी पर्णकुटी के आस-पास के पेड़-पौधों को पानी दे रही हैं। श्रीराम ने उस समय सीता को अपने इस संसार में आने के … Read more

भारत-भारती (मैथिली शरण गुप्त): सार /कथ्य / मूल भाव / मूल संवेदना या चेतना

‘भारत-भारती’ ( Bharat Bharati ) कविता मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख कविता है। कवि ने इस कविता को तीन खण्डों में विभाजित किया है – अतीत खण्ड, वर्तमान एवं भविष्य खण्ड। प्रस्तुत काव्यांश अतीत खण्ड का आरम्भिक भाग है। इस कविता में कवि ने भारतवर्ष की प्राचीन का चित्रण किया है। इसके माध्यम से कवि ने … Read more

जयद्रथ वध : सार / कथ्य / प्रतिपाद्य

‘जयद्रथ वध’ नामक कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि ने जयद्रथ के वध तथा उसके पश्चात पांडव सेना में विजयोल्लास का चित्रण किया है। जब अभिमन्यु द्रोणाचार्य द्वारा रचित चक्रव्यूह में अकेला प्रवेश कर गया तब कौरव सेना के साथ योद्धाओं ने अभिमन्यु को चारों तरफ से घेर लिया | … Read more

पद्मावत : नखशिख खण्ड ( Padmavat : Nakhshikh Khand )

का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओही का सिंगार ओही पै छाजा।। प्रथमहि सीस कस्तूरी केसा। बलि बासुकि को औरु नरेसा || भंवर केश वह मालती रानी। बिसहर लुरहीं लेहिं अरघानी।। बेनी छोरी झारु जौं बारा। सरग पातर होइ अंधियारा || कंवल कुटिल केस नाग करे। तरंगहिं अंतिम भुंग बिसारे॥ बेधे जानु मलैगिरि बासा। सीस चढ़े … Read more

भाषा और वाक् ( Bhasha Aur Vaak )

सामान्य अर्थ में भाषा और वाक् में कोई विशेष अंतर नहीं हैं | आरम्भ में भाषा के लिये ही वाक् शब्द का प्रयोग किया जाता था | लेकिन कालांतर में भाषा और वाक् को दो भिन्न अर्थो में प्रयोग किया जाने लगा | भाषा — अतः भाषा वह साधन है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने … Read more

भाषा और बोली में अंतर ( Bhasha Aur Boli Men Antar )

भाषा और बोली में स्पष्ट विभाजक रेखा खींचना बहुत कठिन कार्य है दोनों ही भावाभिव्यक्ति के माध्यम हैं । जब बोली किन्हीं कारणों से प्रमुखता प्राप्त कर लेती है तो भाषा कहलाती है | संक्षेप में बोली का स्वरूप भाषा की अपेक्षा सीमित होता है | वह भाषा की अपेक्षा छोटे भू-भाग में बोली जाती … Read more

विद्यापति पदावली : बसंत ( Vidyapati Padavali : Basant )

माघ मास सिरि पंचमी गँजाइलि नवम मास पंचम हरुआई । अति घन पीड़ा दुःख बड़ पाओल बनसपती भेति धाई हे ।। सुभ खन बेरा सुकुल पक्ख हे दिनकर उदित – समाई । सोरह सम्पुन बतिस लखन सह जनम लेल ऋतुराई हे ।। नाचए जुबतिजना हरखित मन जनमल बाल मधाई हे। मधुर महारस मंगल गावए मानिनि … Read more

विद्यापति पदावली : नखशिख खण्ड ( Vidyapati Padavali : Nakhshikh Khand )

पीन पयोधर दूबरि गता । मेरु उपजल कनक-लता || ए कान्हु ए कान्हु तोरि दोहाई । अति अपूरुब देखलि साई || मुख मनोहर अधर रंगे। फूललि मधुरी कमल संगे || लोचन – जुगल भृंग अकारे । मधुक मातल उड़ए न पारे|| भउँहक कथा पूछह जनू । मदन जोड़ल काजर-धनू || भन विद्यापति दूति बचने । … Read more

विद्यापति पदावली : वंदना ( Vidyapati Padavali : Vandana )

नन्दक नन्दन कदम्बक तरु-तर धिरे धिरे मुरलि बजाव । समय- संकेत-निकेतन बइसल बेरि बेरि बोलि पठाव । सामरि, तोरा लागि ‘अनुखन विकल मुरारि । जमुना के तिर उपवन उद्वेगल फिरि फिरि ततहि निहारि । गोरस बेंचए अवइत जाइत जनि जनि पूछ बनमारि । तोहे मतिमान, सुमति, मधुसूदन बचन सुनह किछु मोरा । मनइ विद्यापति सुन … Read more

‘पद्मावत’ का महाकाव्यत्व ( Padmavat Ka Mahakavyatv )

‘पद्मावत’ ( Padmavat ) मालिक मुहम्मद जायसी ( Malik Mohammad Jaysi ) द्वारा रचित सर्वाधिक प्रसिद्ध सूफी महाकाव्य है | तथापि इस रचना के काव्य-रूप को लेकर विद्वानों में मतभेद है | वस्तुत: उन्होंने अपना काव्य -ग्रन्थ में भारतीय प्रबंध-काव्य शैली व मनसवी शैली के ; दोनों का निर्वहन किया है | इसके साथ-साथ उन्होंने … Read more

कबीर की भक्ति-भावना ( Kabir Ki Bhakti Bhavna )

‘भक्ति’ शब्द की उत्पत्ति ‘भज्’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है – भजना अर्थात् भजन करना | ‘ ‘भक्ति’ की कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैं : (क) ‘शांडिल्य भक्ति सूत्र’ के अनुसार ईश्वर में परम अनुरक्ति का नाम ही भक्ति है | (ख) शंकराचार्य ने उत्कंठा युक्त निरंतर स्मृति को भक्ति कहा है | … Read more

‘ठेस’ कहानी का मूल भाव, उद्देश्य व प्रतिपाद्य / शीर्षक का औचित्य

‘ठेस’ ( Thes ) कहानी फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishvarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक कहानी है | प्रस्तुत कहानी का शीर्षक संक्षिप्त, सार्थक तथा उपयुक्त है | प्रस्तुत शीर्षक कहानी के मूल भाव तथा उद्देश्य को उजागर करता है | इस कहानी में लेखक ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि … Read more

error: Content is proteced protected !!