काव्य के भेद / प्रकार ( Kavya Ke Bhed / Prakar )

संस्कृत काव्यशास्त्र में ‘काव्यादर्श’ के रचयिता दण्डी ने कहा है कि वाणी के वरदान से ही मानव जीवन की विकास यात्रा पूरी होती है | वाणी के कारण मनुष्य अपने अतीत के ज्ञान को सुरक्षित रखता है तथा वर्तमान ज्ञान व अनुभवों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाता है | प्राचीन काल में वाणी के … Read more

काव्य-प्रयोजन : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप ( Kavya Prayojan : Arth, Paribhasha, Swaroop )

काव्य सोद्देश्य रचना होती है | वैसे तो संसार में प्रत्येक घटना व प्रत्येक कार्य का कोई न कोई उद्देश्य आवश्यक होता है लेकिन बिना उद्देश्य ( प्रयोजन ) के काव्य की कल्पना नहीं की जा सकती | सामान्यत: काव्य-रचना के उपरांत जो फल या परिणाम प्राप्त होता है, उसे काव्य-प्रयोजन कहा जाता है | … Read more

काव्य हेतु : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप और प्रासंगिकता या महत्त्व ( Kavya Hetu : Arth, Paribhasha V Swaroop )

काव्य-हेतु का अर्थ ( Kavya Hetu Ka Arth ) सामान्यत: उन तत्वों को जो काव्य-रचना के मूल कारण होते हैं, काव्य हेतु कहा जाता है | इनको निमित्त कारण भी कहते हैं | निमित्त कारण उन कारणों को कहते हैं जो काव्य-रचना के निमित्त होते हैं अर्थात जिनके बिना काव्य रचना नहीं हो सकती | … Read more

काव्य : अर्थ, परिभाषा( काव्य लक्षण ) और स्वरूप ( Kavya : Arth, Paribhasha V Swaroop )

काव्य के स्वरूप को जानने से पूर्व काव्य के अर्थ, परिभाषा व लक्षणों को जानना प्रासंगिक होगा | संस्कृत के काव्य शास्त्रियों ने प्रायः कवि-कर्म को काव्य कहा है | अतः ‘कवि’ शब्द से ही ‘काव्य’ की उत्पत्ति मानी जा सकती है | ‘कवि’ शब्द ‘कु’ धातु में ‘इच्’ प्रत्यय लगने से बना हैै | … Read more

हिंदी पत्रकारिता का उद्भव एवं विकास ( Hindi Patrakarita Ka Udbhav Evam Vikas )

प्राक्कथन पत्रकारिता का संबंध समाचार पत्रों से है | समाचार पत्र समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाते हैं | समाचार पत्र किसी घटना या सूचना को मुद्रित रूप में पाठकों के सामने लाते हैं | इस प्रकार देश के किसी कोने की घटना की सूचना दिल्ली या चंडीगढ़ के समाचार पत्रों के … Read more

राधा की विरह-वेदना (पवनदूती) ( Radha Ki Virah Vedna ) : अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ( BA – 3rd Semester )

‘पवन दूती’ शीर्षक काव्य अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा रचित खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य ‘प्रियप्रवास’ का अवतरण है | इस कविता का प्रमुख विषय राधा के विरह का चित्रण करना है | श्री कृष्ण मथुरा के राजा कंस के आमंत्रण पर मथुरा चले गए परंतु पुन: लौटकर नहीं आए | इधर राधा श्री कृष्ण के … Read more

इंटरनेट : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, स्वरूप और उपयोगिता ( Internet : Arth, Paribhasha, Visheshtayen, Swaroop Aur Mahattv / Upyogita )

इंटरनेट इंटरनेशनल नेटवर्क ( International Network ) का संक्षिप्त रूप है | इंटरनेट एक ऐसा विश्वव्यापी कंप्यूटर नेटवर्क है जिसमें विस्तृत जानकारी एकत्रित कर कंप्यूटर पर उपलब्ध कराई जाती है | इंटरनेट सर्किट द्वारा एक दूसरे से जुड़े हुए छोटे-छोटे नेटवर्कों और दूसरे कंप्यूटरों का संगठित समूह है जिसमें व्यापारिक, शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा व्यक्तिगत आंकड़ों … Read more

भारत-भारती ( Bharat Bharati ) : मैथिलीशरण गुप्त

मानस-भवन में आर्यजन, जिसकी उतारें आरती – भगवान ! भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती | हो भद्रभावोदभाविनी वह भारती हे भगवते ! सीतापते ! सीतापते !! गीतामते ! गीतामते || (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘भारत भारती’ नामक कविता से अवतरित है | इस कविता के रचयिता राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण … Read more

भारत छोड़ो आंदोलन : आरंभ, कारण, कार्यक्रम व महत्व ( Bharat Chhodo Andolan : Karan, Karykram, Arambh, Mahattv )

भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे अंतिम का सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन था यह आंदोलन 1942 ईस्वी में महात्मा गांधी जी ने चलाया | इस आंदोलन का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है :- भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण ( Bharat Chhodo Andolan Ke Pramukh Karan ) भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित … Read more

द्विवेदी युग : समय-सीमा, प्रमुख कवि तथा प्रवृत्तियाँ ( Dvivedi Yug : Samay Seema, Pramukh Kavi V Pravrittiyan )

हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है |  भक्तिकाल की समय-सीमा … Read more

जयद्रथ वध ( Jaydrath Vadh ) : मैथिलीशरण गुप्त ( सप्रसंग व्याख्या )

जयद्रथ वध ( मैथिलीशरण गुप्त ) : व्याख्या उन्मत्त विजयोल्लास से, सब लोग मत-गयन्द-से, राजा युधिष्ठिर के निकट पहुंचे बड़े आनंद से | देखा युधिष्ठिर ने उन्हें जब, जान ली निज जय तभी, सुख-चिन्ह से ही चित्त की बुध जान लेते हैं सभी || तब अर्जुनादिक ने उन्हें बढ़कर प्रणाम किया वहां, सिर पर उन्होंने … Read more

सविनय अवज्ञा आंदोलन : कारण, कार्यक्रम, प्रगति और महत्त्व ( Savinay Avagya Andolan : Karan, Karykram, Pragti Aur Mahattv )

सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 ईस्वी में महात्मा गांधी ने चलाया | इस आंदोलन का विस्तृत वर्णन किस प्रकार है :- सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख कारण ( Savinay Avagya Aandolan ke Pramukh Karan ) 1. साइमन कमीशन साइमन कमीशन 1928 ईस्वी में भारत आया | यह कमीशन 1919 ईस्वी के सुधारों का जायजा लेने आया … Read more

असहयोग आंदोलन : कारण, आरंभ व प्रसार, कार्यक्रम और महत्व ( Asahyog Andolan : Karan, Karykram, Arambh, Prasar V Mahattv )

असहयोग आंदोलन 1920 ईस्वी में महात्मा गांधी ने चलाया |असहयोग आंदोलन का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है :- असहयोग का अर्थ असहयोग का सामान्य अर्थ है – सहयोग ने करना | असहयोग आंदोलन का मुख्य कार्यक्रम सरकार का हर क्षेत्र में असहयोग करना था | सरकारी उपाधियों का त्याग करना, सरकारी अदालतों को त्याग देना, … Read more

संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( Sandesh Yahan Nahin Main Swarg Ka Laya ) : मैथिलीशरण गुप्त

संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( मैथिलीशरण गुप्त ) : व्याख्या निज रक्षा का अधिकार रहे जन-जन को, सब की सुविधा का भार किंतु शासन को | मैं आर्यों का आदर्श बताने आया, जन-सम्मुख धन को तुच्छ जताने आया | सुख-शांति हेतु में क्रांति मचाने आया, विश्वासी का विश्वास बचाने आया | (1) … Read more

1905 ईo से 1922 ईo के मध्य भारत में सांप्रदायिक राजनीति का विकास

उन्नीसवीं सदी के आरंभ में भारत में सांप्रदायिकता के चिह्न नजर नहीं आते थे परंतु 1890 ईस्वी के बाद हिंदू-मुसलमानों में मनमुटाव बढ़ने लगा | कांग्रेस की स्थापना के पश्चात अंग्रेज मुसलमानों का समर्थन करने लगे थे ताकि कांग्रेस के प्रभाव को कम किया जा सके | इस प्रकार अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज … Read more

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