सत्ता की अवधारणा ( Satta Ki Avdharna )

सत्ता का अर्थ

( Concept Of Authority )

सत्ता को अंग्रेजी में अथॉरिटी ( Authority ) कहते हैं | यह शब्द लैटिन के ऑक्टोरिटस से निकला है | इस शब्द का संबंध प्राचीन रोम की राजनीतिक संस्था सीनेट के साथ रहा है | यह संस्था बुजुर्गों का संगठन थी जो कानूनों को स्वीकृति देता था | उसकी स्वीकृति के बाद कानून तर्क के आधार पर कानून बन जाता था | अतः जब राज्य की शक्ति को जनता का समर्थन या स्वीकृति मिल जाती है तो उसे सत्ता कहते हैं | स्पष्ट है कि सत्ता में कोई व्यक्ति या कोई संस्था अपने अधीन लोगों पर अपने निर्णय लागू करती है और वे लोग उन निर्णयों को खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं |

सत्ता की परिभाषाएँ ( Satta Ki Paribhashayen )

सत्ता के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए सत्ता की कुछ परिभाषा पर विचार करना आवश्यक है : –

🔹 इनसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेज के अनुसार – ” सत्ता शक्ति को प्रकट करते हैं तथा अपने अधीनस्थ व्यक्तियों से आज्ञा पालन करवाती है |”

🔹 अरेन के अनुसार – ” सत्ता वह शक्ति है जो स्वीकृति पर आधारित है |”

🔹 रॉबर्ट केo डहल के अनुसार – ” उचित शक्ति को प्रायः सत्ता कहा जाता है |”

अतः स्पष्ट है कि सत्ता और राज्य का वही संबंध है जो आत्मा का शरीर से | सत्ता राज्य की आत्मा है | बिना आत्मा के जैसे शरीर निर्जीव है ठीक उसी प्रकार बिना सत्ता के राज्य शक्तिहीन है | बिना सत्ता के राज्य अपने अस्तित्व को खो देता है | राज्य की शक्तियां उससे छिन जाती हैं |

अतः जब राज्य की शक्ति को जनता का समर्थन मिल जाता है तो उसे सत्ता कहा जाता है | उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम यह भी देखते हैं कि सत्ता और शक्ति में गहरा संबंध है परंतु दोनों में व्यापक अंतर भी है |

सत्ता और शक्ति में अंतर ( Difference Between Power and Authority )

सत्ता और शक्ति के बीच का अंतर तथा समानता निम्न बिंदुओं से समझी जा सकती है : –

1. शक्ति बल पर जबकि सत्ता नियमों पर आधारित है

सत्ता और शक्ति दोनों नियंत्रण स्थापित करते हैं परंतु शक्ति का आधार बल है | कई बार हानि पहुंचाने की भावना भी इसमें निहित होती है | शक्ति निर्णयों को बलपूर्वक लागू करवाती है | इसके विपरीत सत्ता में नियमों व कानूनों के आधार पर निर्णय लागू किए जाते हैं | शक्ति में दबाव या दमन निहित है जबकि सत्ता सहमति पर आधारित है|

2. शक्ति वैध और अवैध भी परंतु सत्ता सदैव वैध

शक्ति वैध भी हो सकती है और अवैध भी परंतु सत्ता सदैव वैध होती है | मान लो सैनिक विद्रोह करके एक जनरल तानाशाह बन जाता है और जनता अनिच्छापूर्वक उसके शासन में रहती है तो ऐसी स्थिति में उसके पास शक्ति तो है परंतु सत्ता नहीं क्योंकि न तो उसे जनता का समर्थन प्राप्त है और न ही संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त है | इसके विपरीत जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति के पास सत्ता भी है और शक्ति भी क्योंकि उसे जनता का समर्थन भी प्राप्त है और संविधान की मान्यता भी |

3. शक्ति अन्यों के व्यवहार को प्रभावित करने की क्षमता है जबकि सत्ता अन्यों की स्वीकृति प्राप्त करने की क्षमता है

शक्ति अन्यों के व्यवहार को प्रभावित करने की क्षमता है अर्थात शक्ति के द्वारा व्यक्तियों को अपनी इच्छानुसार चलाया जाता है | उन्हें वही कार्य करने के लिए बाध्य किया जाता है जो हम चाहते हैं | जबकि सत्ता अन्यों की स्वीकृति को पाने की क्षमता है | सत्ता में जबरन निर्णय लादने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि लोग उन निर्णयों को स्वयं स्वीकार करते हैं और उनके अनुसार स्वेच्छा से आचरण करते हैं |

4. सत्ता में विवेक का अंश होता है, शक्ति में नहीं

सत्ता का मूल तत्व विवेक है क्योंकि सत्ता में विवेक के आधार पर अपने विचारों से जनता को सहमत कराया जाता है, अपनी योजनाएं लागू की जाती हैं, जनता द्वारा स्वीकार करवाई जाती हैं ; धन या बल के द्वारा नहीं | इसके विपरीत शक्ति में अन्यों के व्यवहार को अपने अनुसार ढालने का प्रयास किया जाता है | इसके लिए उचित या अनुचित हर प्रकार के हथकंडे को अपनाया जाता है | विवेकशील प्रयास शक्ति का मुख्य तत्व नहीं है |

5. उचित शक्ति ही सत्ता है

रॉबर्ट डहल का कथन है – “उचित शक्ति को प्रायः सत्ता का नाम दिया जाता है |” इस कथन का अर्थ है कि जब शक्ति का कोई उचित आधार होता है तो वह सत्ता हो जाती है | उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को कानून द्वारा कुछ अधिकार दिए जाते हैं तो उसकी शक्ति का आधार वैधानिक हो जाता है | अत: वह सत्ता है |

6. सत्ता शक्ति की तुलना में बहुद्देश्यीय है

शक्ति की तुलना में सत्ता बहुद्देशीय है | सत्ता का क्षेत्र विस्तृत है जबकि शक्ति का क्षेत्र सीमित है | सत्ता का प्रयोग सामान्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है जबकि शक्ति का प्रयोग विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है |

उपर्युक्त विवेचन के आलोक में यह स्पष्ट है कि शक्ति और सत्ता में कुछ समानताएं भी हैं और असमानताएं भी | दोनों ही लोगों के व्यवहार को अपने अनुसार बदलने का उद्देश्य रखती हैं | दोनों में ही कुछ अधिकारों का प्रयोग किया जाता है परंतु सत्ता में साधन वैधानिक हैं तो शक्ति में गैर-वैधानिक, सत्ता में अधिकारों का आधार उचित है तो शक्ति में अनुचित | संक्षेप में कहा जा सकता है कि सत्ता में शक्ति भी निहित है परंतु शक्ति में यह आवश्यक नहीं कि उसमें सत्ता का तत्व भी हो |

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