अधिगम : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं और कारक( Learning : Meaning, Definition, characteristics and Factors )

 

        अधिगम ( Learning )

 मानव जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता रहता है| सीखना या अधिगम बच्चे के विकास को प्रभावित करता है। मानव का विकास अधिगम के द्वारा होता है।

              अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा

( Meaning and Definition of Learning )

 विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम की अलग-अलग दृष्टिकोण से परिभाषा दी है :-

🔷 व्यवहारवादियों के अनुसार

               अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार में परिवर्तन ही सीखना या अधिगम है |

🔷 संपूर्णवाद या गेस्टाल्टवाद दृष्टिकोण के अनुसार

                             संपूर्ण ढांचे का अवलोकन करके ज्ञान प्राप्त करना ही अधिगम है अर्थात संपूर्ण स्थिति के प्रति क्रिया करना ही सीखना है |

🔷 हरमिक  दृष्टिकोण के अनुसार

                      लक्ष्य को केंद्रित करके ज्ञान प्राप्त करना ही सीखना है |यह मैक्डूगल की देन है |

🔷 प्रयत्न एवं भूल सिद्धांत के अनुसार

                                इस दृष्टिकोण के अनुसार मनुष्य अनेक प्रयास करता है तथा कई भूले करता है तब जाकर कुछ सीख पाता है | इसका प्रतिपादन थार्नडाइक (Thorndike ) ने किया था |

🔷 स्किन्नर ( Skinner ) के अनुसार

                   व्यवहार के अर्जन में प्रगति की प्रक्रिया को अधिगम कहते हैं |
 
◼️ उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि अधिगम या सीखना जीवन पर्यंत चलने वाली एक ऐसी क्रिया है जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य के व्यवहार में विभिन्न अनुभवों के माध्यम से प्रगतिशील परिवर्तन आता रहता है |
 

                अधिगम की विशेषताएं

     ( Characteristics of Learning ) 

👉 निरंतर चलने वाली प्रक्रिया
👉 व्यवहार में परिवर्तन
👉 सार्वभौमिक प्रक्रिया
👉 समायोजन की प्रक्रिया
👉 लक्ष्य केंद्रित प्रक्रिया
👉 विकास की प्रक्रिया
👉 प्रिया और वातावरण का परिणाम
👉 शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति
👉 व्यक्तिगत व सामाजिक आवश्यकताओं से संबद्ध
👉 व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास
👉 अनुसंधान में सहायक
👉 उद्दीपन व अनुक्रिया में संबंध
 

                अधिगम की प्रक्रिया

         ( Process of Learning )

 अधिगम की प्रक्रिया को निम्नलिखित सुल्तानों के माध्यम से समझा जा सकता है :-
1️⃣ अभिप्रेरणा  : वह हर कार्य जिसे मनुष्य करना चाहे किसी ने किसी अभिप्रेरणा से संचालित होता है। छात्र इसलिए पढ़ते हैं कि परीक्षा में पास होकर अच्छी नौकरी हासिल कर सकें पूर्णविराम मनुष्य की आवश्यकताएं अनेक प्रेरक उत्पन्न करती हैं।
2️⃣ उद्देश्य : किसी कार्य को सीखने का कोई न कोई उद्देश्य होता है। मनुष्य उस क्रिया को नहीं सीखना चाहता जो उसके उद्देश्य की पूर्ति ने करती हो। वस्तुतः उद्देश्य सीखने की क्रिया को दिशा प्रदान करते हैं।
3️⃣ बाधाएं : उद्देश्य की प्राप्ति के दौरान अनेक प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न होते हैं जिन्हें बाधाएं कहा जाता है।
4️⃣ विभिन्न अनुक्रियाएं : बाधाओं को दूर करने के लिए अधिगमकर्ता विभिन्न अनुक्रियाएं करता है लेकिन सभी अनुक्रियाएं सही नहीं होती |
5️⃣ पुनर्बलन : पुनर्बलन के अंतर्गत अभी सभी क्रियाएं तथा तथ्य आ जाते हैं जिनसे विवश होकर विद्यार्थीया अन्य मनुष्य को क्रियाएं करनी पड़ती हैं : जैसे अध्यापक या स्वामी का आदेश,  स्वयं की इच्छा, बड़ों का सम्मान, सामाजिक मर्यादा आदि | जो अनुक्रिया संतोषजनक किया सुखद होती है वह पुनर मलिक हो जाती है। उसी प्रकार की स्थिति उत्पन्न होने पर व्यक्ति वैसी ही अनुक्रिया दोहराता है |
6️⃣ सामान्यीकरण ( एकीकरण ) : इस चरण सोपान में अधिगमकर्ता नवीन सफल प्रतिक्रिया वह पहले सीखी गई क्रियाओं में समन्वय स्थापित करता है। इसे नवीन ज्ञान का पूर्व ज्ञान से जोड़ना भी कहते हैं। ऐसा करने से नवीन प्रतिक्रिया उसके ज्ञान का एक अंग बन जाती है और उसका संपूर्ण ज्ञान एकीकृत हो जाता है |
 

          अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक

         ( Factors Affecting Learning )

 अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों को तीन भागों में बांटा जा सकता है – व्यक्तिगत कारक, कार्य संबंधी कारक, विधि संबंधी कारक |

 ◼️ व्यक्तिगत कारक

👉 परिपक्वता
👉 अभिप्रेरणा
👉 रुचि
👉 तत्परता व क्षमता
👉 शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
👉 भोजन व औषधियां

◼️ कार्य संबंधी कारक

👉 कार्य का कठिनाई स्तर
👉 कार्य की समानता
👉 कार्य की रोचकता

◼️ विधि संबंधी कारक

👉 अभ्यास
👉 करके सीखना
👉 सीखने की विधियां
👉 सीखने का समय
👉 सामयिक परीक्षाएं
 
    
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