सक्रिय / नैमित्तिक अनुबंधन सिद्धांत ( Sakriya Ya Naimittik Anubandhan Siddhant )

सक्रिय या नैमित्तिक अनुबंधन सिद्धांत

( Sakriya Ya Naimittik Anubandhan Siddhant )

सक्रिय अनुबंधन सिद्धांत को नैमित्तिक अनुबंधन सिद्धांत भी कहते हैं | इस अनुबंधन सिद्धांत को क्रिया-प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत ही कहा जाता है |

                      🔷  अर्थ  🔷

                    ( Meaning )

  इस अनुबंधन की मूल धारणा है कि सीखने वाले की क्रिया का पुनर्बलन ( Reinforcement ) हो जाता है | यह स्थिति किसी वातावरण में क्रियाशील (सक्रियता) होने पर होती है |
स्किनर ( Skinner ) के अनुसार दो प्रकार के व्यवहार होते हैं-अनुक्रिया तथा सक्रियता ( Operant ) | अनुक्रिया का संबंध उद्दीपन से होता है | सक्रियता (सक्रिय व्यवहार)  का संबंध किसी ज्ञात उद्दीपन से नहीं होता |
अनुक्रिया की दर ही सक्रिय शक्ति की माप है |
 

         सक्रिय /नैमित्तिक अनुबंधन सिद्धांत

(Sakriya ya Naimittik Anubandhan Sidhant )
 
 अगर कोई बच्चा अपना गृहकार्य कर लेता है तो उसके माता-पिता उसकी प्रशंसा करते हैं और बच्चा उस कार्य को करना सीख जाता है लेकिन बच्चा अगर कोई प्लेट तोड़ देता है तो उसे डांटा जाता है या उसे सजा दी जाती है और बालक इस तरह के व्यवहार को दोबारा न करना सीख जाता है | दूसरे शब्दों में हम वह व्यवहार करना सीख जाते हैं जिसमें परिणाम सकारात्मक होते हैं (सकारात्मक पुनर्बलन ) और वह व्यवहार करना छोड़ देते हैं जो हमें नकारात्मक परिणाम ( नकारात्मक पुनर्बलन)  देते हैं |
🔹 व्यावहारिक अनुबंधन की इस विधि में प्राणी उस व्यवहार को दोहराते हैं जिसका परिणाम सकारात्मक होता है और उस व्यवहार से बचते हैं जिसका परिणाम नकारात्मक होता है |

                           🔷 प्रयोग 🔷

    ( Skinner’s Experiment on a Rat )

 
 क्रिया-प्रसूत अनुबंधन ( Kriya Prasut Anubandhan / Operant ) सिद्धांत के सबसे बड़े पक्षधर बी एफ स्किनर हैं | उसने चूहे पर प्रयोग किया | उसने एक डिब्बे का निर्माण करवाया जिसे स्किनर बॉक्स कहा जाता है | इस डिब्बे में सामने की दीवार पर एक लीवर लगा था | लिवर को दबाना वह अनुक्रिया थी, जो चूहे को सिखानी थी |एक भूखे चूहे को बॉक्स में बंद कर दिया गया | चूहे ने अंदर जाकर अनेक प्रकार की क्रियाएं की | कुछ देर बाद अचानक उस से लीवर दब गया और उसके सामने की प्लेट में खाना आकर गिर गया | भोजन खाने के बाद चूहे ने दोबारा क्रियाएं की | कुछ देर बाद उससे वह लीवर दोबारा दब गया | पुन: प्लेट में भोजन गिर गया | (भोजन – पुरस्कार)
 अंत में चूहा यह सीख गया कि लीवर को दबाने पर भोजन मिलता है |  यह उसके लिए एक संतुष्टि प्रदान करने वाला परिणाम था | दूसरे शब्दों में चूहे द्वारा लिवर को दबाना भोजन (पुनर्बलन) प्रदान करने वाला निमित्त (  साधन /कारण ) बन गया |
 चूहे का लीवर दबाना एक पुनर्बलित अनुक्रिया
( Reinforced Response )  थी |
🔹 इसको “यांत्रिक अनुबंधन”   ( Instrumental Conditioning ) भी कहा जाता है तथा “क्रिया-प्रसूत”( Operant Conditioning )   भी कहा जाता है |
 

                पुनर्बलन और प्रेक्षण द्वारा सीखना

 स्किनर के अनुसार मानव द्वारा सीखे गए अधिकांश व्यवहार की व्याख्या हम क्रिया-प्रसूत अनुबंधन के सहयोग से कर सकते हैं | क्रिया-प्रसूत अनुबंधन में पुनर्बलन की निर्णायक भूमिका है |  पुनर्बलन के दो प्रकार हैं – सकारात्मक पुनर्बलन व नकारात्मक पुनर्बलन |
 ◼️ प्रेक्षणात्मक ( Observational ) अधिगम : दूसरों के व्यवहार को देखकर उनके कौशलों को अपनाना इस विधि में निहित है |
◼️ वाचिक अधिगम या शाब्दिक अधिगम : वाचिक अधिगम का शाब्दिक अधिगम का अर्थ है – किसी अवधारणा को पढ़कर सीखना | भाषा को सीखने की प्रक्रिया वाचिक या शाब्दिक अधिगम कहलाता है |
 
 

 प्राचीन / शास्त्रीय अनुबंधन  व नैमित्तिक / सक्रिय अनुबंधन  में अंतर

( Shastriya Anubandhan Evam Sakriya Anubandhan Mei Antar )

 
👉 प्राचीन अनुबंधन में निर्भरता एक उद्दीपक तथा दूसरे उद्दीपक के बीच होती है जबकि नैमित्तिक अनुबंधन में निर्भरता अनुक्रिया और अनुक्रिया के परिणामों के बीच होती है |
👉 प्राचीन अनुबंधन में स्वाभाविक उद्दीपन ( US )  प्रबलन का कार्य करता है जबकि नैमित्तिक अनुबंधन में किसी निश्चित अनुक्रिया को ही प्रबलन प्रदान किया जाता है |
👉 प्राचीन अनुबंधन में उत्तेजना पुनर्बलन का काम करती है जबकि सक्रिय अनुबंधन में अनुक्रिया और पुनर्बलन के बीच सीधा संबंध होता है |
 

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