शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत ( Pavlov’s Classical Conditioning Theory )

       

     शास्त्रीय अनुबंधन अधिगम सिद्धांत

  ( Shastriya Anubandhan Siddhant )

 अनुबंधन का सिद्धांत ( Conditioning Theory) व्यवहारवाद की देन है |
 व्यवहारवादियों ने बताया कि जिस प्रकार का व्यवहार सीखना हो उसी प्रकार का उद्दीपन उस व्यक्ति को दिया जाता है | बार-बार दिया जाने वाला उद्दीपन एक क्रिया को (अनुक्रिया को) उत्पन्न करता है | अनुक्रिया के रूप में होने वाला यह व्यवहार उस उद्दीपन से अनुबंधित हो जाता है |

▪️ अनुबंधन के अधिगम सिद्धांत को सहचर्य ( Theory Of  Association )  या  संबंधवाद का सिद्धांत              ( Theory of Connectionism )  भी कहते हैं |

 ▪️ अधिगम के क्षेत्र में अधिकांश अनुक्रियाएं उद्दीपक का परिणाम होती हैं |पैवलॉव ( Pavlov )  के प्रसिद्ध प्रयोग में घंटी का बजाना कृत्रिम उद्दीपक है |  उसके परिणामस्वरूप कुत्ते का उसी प्रकार लार टपकाना जैसे वह भोजन की स्थिति में करता था, अधिगम व्यवहार का उदाहरण है | यह व्यवहार उस कृत्रिम उद्दीपक (घंटी ) से अनुबंधित हो गया

 अनुबंधन का सिद्धांत ( Anubandhan Ka Siddhant )

( Pavlov’s Classical Conditioning Theory )

 अनुबंधन के सिद्धांत का प्रतिपादन सन 1904 ईसवी में एक रूसी मनोवैज्ञानिक आई पी पैवलॉव ( I.P. Pavlov ) ने किया था | इस क्षेत्र में किए गए कार्य के लिए उन्हें 1904 ईस्वी  में नोबल पुरस्कार भी मिला |
▪️  पैवलॉव के सिद्धांत ( Pavlov’s Theory ) के अनुसार प्राकृतिक उद्दीपक के साथ-साथ एक कृत्रिम उद्दीपक को जोड़ देने से कुछ समय बाद कृत्रिम उद्दीपक से उसी अनुक्रिया को पैदा किया जा सकता है जो प्राकृतिक उद्दीपक से पैदा होती है |

                   पैवलॉव का प्रयोग 

      ( Pavlov’s Experiment on a Dog )

पैवलॉव ने अपना प्रयोग एक कुत्ते को लेकर किया प्रयोग का आरंभ इस प्रकार से किया गया |  कुत्ते को खाना देते समय एक घंटी बजाई जाती थी | खाना देखकर कुत्ते के मुंह में लार का आना स्वाभाविक था | इस प्रयोग में दो उद्दीपन एक साथ प्रयोग किए जाते थे | फिर अचानक कुछ परिवर्तन किया गया घंटी बजाई गई लेकिन भोजन नहीं दिया गया लेकिन कुत्ते के मुंह में लार उतनी ही आयी |

भोजन    +    घंटी —> लार ( स्वाभाविक अनुक्रिया )
( प्राकृतिक  ( कृत्रिम
 उद्दीपन )    उद्दीपन )

   घंटी —————> लार ( अनुबंधित अनुक्रिया )

 इस प्रयोग में पैवलॉव ने यह निष्कर्ष निकाला कि सीखने का संबंध अनुबंधन से है |

🔹 अन्य प्रयोग : वाटसन ( J B Watson ) द्वारा 12 माह के बच्चे पर किया गया प्रयोग |
 इस प्रयोग में बच्चा जब खरगोश को छूता था तो जोरदार आवाज पैदा की जाती थी |  एक समय ऐसा आया कि बच्चा खरगोश को देखकर ही डरने लगा |

      शास्त्रीय प्राचीन अनुबंधन के आवश्यक तत्व

(Shastriya Prachin Anubandhan ke Avashyak Tatva )

1️⃣ उद्दीपन की तीव्रता : उद्दीपन जितना तीव्र होगा अनुबंधन की क्रिया उतनी ही सरलता से होगी | भूखे कुत्ते के लिए भोजन उद्दीपक था |
2️⃣ उद्दीपनों एक साथ होना : दोनों उद्दीपन प्राकृतिक और कृत्रिम एक साथ होने चाहिए | घंटी बजते ही भोजन देना चाहिए |
3️⃣ विलोप : अगर घंटी बजने के बाद भोजन नहीं दिया गया तो लार निकलने की क्रिया का लोप हो जाएगा |
4️⃣ तत्काल पुनर्स्थापना : अनुबंधित क्रिया का लोप  हो जाने पर यदि फिर इस प्रयोग को दोहराया जाए तो कुछ समय बाद स्वत: पुनर्स्थापना हो जाता है |
5️⃣ अवरोध : कई बार बाहरी कारक अनुबंधन में अवरोध पैदा करते हैं |बाहरी अवरोध या रुकावट को नियंत्रित करने के लिए पैवलॉव ने अपना प्रयोग ध्वनि रहित कक्ष में संपन्न किया |
6️⃣ सामान्यीकरण : समान उद्दीपनों के लिए समान अनुक्रिया को सामन्यीकरण की संज्ञा दी गई है |अनुबंधित उद्दीपन के समान अन्य उद्दीपन भी अनुबंधित अनुक्रिया को उत्पन्न करने में समर्थ होते हैं |
7️⃣ विभेदीकरण : दोनों उद्दीपनों में अंतर सीखना ही विभेदीकरण |

8️⃣ अन्य तत्व : इसके अतिरिक्त आयु, मानसिक स्वास्थ्य व बुद्धि, अभिप्रेरणा और पुनरावृति जैसे कुछ अन्य तत्व भी हैं  जो प्राचीन या शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत को प्रभावित करते हैं |

                शैक्षिक उपयोगिता

        ( Educational Utility )

👉 भ्रमों को दूर करने में सहायक | मान लीजिए बच्चा विश्वास करता है कि जब बिल्ली रास्ता काट देती है तो मुझे दंड मिलता है |ऐसी अवस्था में बच्चे को दंड न दिया जाए तो उसका अंधविश्वास दूर हो जाएगा |
👉 सभ्यता व संस्कृति के विकास में सहायक
👉 समायोजन में सहायक
👉 अच्छी आदतों का विकास
👉 बुरी आदतों का उन्मूलन
👉 भाषा सीखने में सहायक
👉 अनुशासन में सहायक
👉 दोहराई पर बल
👉 प्रभावशाली अधिगम में सहायक
👉 अभिप्रेरणा में सहायक

        अनुबंधन सिद्धांत के दोष या सीमाएं

( Shastriya Anubandhan Siddhant Ke Dosh ya Simayen )

🔹 उच्च विचारों व तार्किक  प्रक्रिया को समझाने में असफल
🔹 यह अधिगम स्थाई नहीं है |
🔹 इसका प्रयोग बच्चों व पशुओं पर अधिक होता है |
🔹 यह सिद्धांत तत्परता,  प्रभाव, वातावरणीय कारक तथा भौतिक कारकों की व्याख्या नहीं करता |

              प्राचीन / शास्त्रीय अनुबंधन के घटक

  ( Prachin Anubandhan Sidhant Ke Ghatak )

🔷 अननुबंधित उद्दीपक ( Unconditioned Stimulus )
🔷 अननुबंधित क्रिया ( Unconditioned Response )
🔷 अनुबंधित उद्दीपक ( Conditioned Stimulus )
🔷 अनुबंधित अनुक्रिया ( Conditioned Response )

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