पुनर्जागरण का अर्थ, परिभाषा एवं उदय के कारण

पुनर्जागरण ( Renaissance ) प्राचीन यूनान में रोम की सभ्यताओं से प्रेरित था | यह 14वीं सदी में इटली से शुरू हुआ तथा 17वीं सदी तक सारे यूरोप में फैल गया | इस आंदोलन को ‘रेनेसां'( Renaissance ) की संज्ञा दी जाती है |

पुनर्जागरण का अर्थ एवं परिभाषा ( Meaning Of Renaissance )

पुनर्जागरण का अर्थ एवं परिभाषा

यूरोप में पुनर्जागरण के लिए रेनेसां ( Renaissance ) शब्द का प्रयोग किया जाता है | ‘रेनेसां’ फ्रेंच भाषा का शब्द है | यह लैटिन भाषा के ‘रेनेस्कोर’ से बना है | ‘रेनेसां’ का शाब्दिक अर्थ है – फिर से जागना | मोटे तौर पर पुनर्जागरण बौद्धिक व सांस्कृतिक आंदोलन था जिसकी प्रेरणा का आधार प्राचीन यूनान और रोम की उपलब्धियां थी |

‘रेनेसां'( Renaissance ) के व्युत्पत्तिपरक अर्थ को जानने के पश्चात पुनर्जागरण की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है — “पुनर्जागरण वह बौद्धिक आंदोलन था जिसमें प्राचीन उपलब्धियों का आश्रय लेकर वर्तमान समय में आई धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक रूढ़ियों को दूर करने व पुनः विकास व समृद्धि की ओर अग्रसर होने का आग्रह किया गया |”

पुनर्जागरण ( Renaissance ) के उदय के कारण

पुनर्जागरण के प्रेरक कारकों, उत्तरदायी कारणों, शक्तियों व परिस्थितियों का वर्णन निम्नलिखित है —

(1) धर्म युद्ध का प्रभाव

ईसाई धर्म के पवित्र स्थान जेरूसलम को लेकर ईसाईयों तथा मुसलमानों के बीच हुए युद्धों को धर्म युद्ध कहा जाता है | यह युद्ध 1095 ईस्वी से 1295 ईस्वी के बीच लड़े गए | इन युद्धों के अनेक प्रभाव पड़े | इन युद्धों में अनेक सामंत मारे गए | सामंतों ने धन के बदले कुछ नगरों को स्वतंत्र कर दिया | इससे सामंतवाद को आघात पहुंचा | दूसरा ; धर्म युद्धों ने व्यापार व वाणिज्य को प्रोत्साहित किया | नए नगरों का उदय व नए मध्यम वर्ग का उदय हुआ | तीसरा ; धर्म युद्धों ने यात्राओं व भौगोलिक खोजों को बढ़ावा दिया | ये सब बातें पुनर्जागरण का कारण बनी |

(2) राष्ट्रीय राज्यों का उदय

सामंतवाद के पतन तथा पुनर्जागरण ( Renaissance ) का एक प्रमुख प्रेरक तत्व था — राष्ट्रीय राज्यों का उदय | शक्तिशाली सम्राटों ने सामंतों का दमन शुरू कर दिया | अब सम्राटों ने स्थायी सेना रखना शुरू कर दिया तथा सामंतों की सैनिक शक्तियों को समाप्त कर दिया | उनके दुर्गों को नष्ट कर दिया गया | इन शासकों ने व्यापार, वाणिज्य, उद्योग और भौगोलिक खोजों को प्रोत्साहन दिया जिससे वाणिज्यवाद व पूंजीवाद का जन्म हुआ | फलत: पुनर्जागरण का विकास हुआ |

(3) नगरों में व्यापारी वर्ग का उदय

मध्यकाल में इटली के वेनिस और जेनेवा जैसे नगर थे जो बाद में और अधिक समृद्ध होने लगे | मध्यकाल में व्यापारिक मेलों की शुरुआत भी होने लगी थी | इन मेलों में इंग्लैंड की मदिरा तथा एशिया के मसाले व रेशम की खूब मांग थी | इससे व्यापारिक आदान-प्रदान बढ़ने लगा | व्यापारी वर्ग का उदय हुआ | फलत: वेनिस, जेनेवा, लंदन, पेरिस, लियो, बोर्दो, फ्रैंकफर्ट, म्यूनिख, एम्स्टर्डम जैसे नगरों का उदय हुआ | ये नगर सामंतवाद की क़ब्रगाह व पुनर्जागरण के केंद्र के रूप में उभरे |

(4) मुद्रा का प्रचलन

मुद्रा के प्रचलन ने सामंतवाद की जड़ें हिला दी और पूंजीवाद को प्रोत्साहन दिया | नगरों की स्थापना, व्यापार में वृद्धि और भौगोलिक खोजों के कारण मुद्रा-प्रणाली का प्रसार हुआ | सामंत भी अपनी जमीन ठेके पर देने लगे | वे नकद धन लेकर दासों को स्वतंत्र भी करने लगे | फलत: एक ऐसा स्वच्छंद वातावरण तैयार होने लगा जिससे पुनर्जागरण ( Renaissance ) को बल मिला |

(5) भौगोलोक खोजें

उत्तर मध्यकाल में अनेक भौगोलिक खोजें हुई | इसका कारण यह था कि 1453 ईस्वी में तुर्कों ने कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया था | इससे एशिया और यूरोप के बीच मार्ग अवरुद्ध हो गया | एशिया से वैज्ञानिक उन्नति मसाले, कपड़े आदि आने बंद हो गए | अतः यूरोपवासी नए मार्गों की खोज में निकल पड़े | 1492 इसी में कोलंबस ने अमेरिका की तथा 1498 में वास्को-डी-गामा ने भारत की खोज की | इससे व्यापार व वाणिज्य का विकास हुआ, सामंतवाद को आघात पहुँचा और पुनर्जागरण को प्रोत्साहन मिला |

(6) वैज्ञानिक उन्नति

मध्यकाल में विज्ञान विकास की ओर अग्रसर था | इस अवधि में कॉपरनिकस ने सौर प्रणाली की व्याख्या की | केपलर ने कॉपरनिकस के सिद्धांत की पुष्टि की | गैलीलियो ने दूरबीन की खोज की | न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का प्रतिपादन किया | इन नई खोजों ने एक नए युग का सूत्रपात किया |

(7) छापेखाने का प्रारंभ

15वीं सदी में जर्मनी के गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस की खोज की | छापेखाने की खोज के परिणामस्वरुप सरलता से व तेजी से पुस्तकें छपने लगी और ज्ञान का प्रसार होने लगा | अंधविश्वास और रूढ़ियां कम होने लगी और तर्क का महत्व बढ़ गया | सामंतवाद का अंत होने लगा और नए युग का आगमन होने लगा | इस प्रकार मुद्रण कला ने पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त किया |

(8) लोकभाषाओं का विकास

15वीं व 16वीं सदी में लोकभाषाओं अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी आदि का विकास हुआ | इन भाषाओं में ग्रीक व रोमन साहित्य छपने लगा | इससे जनसाधारण इस साहित्य से परिचित होने लगा जिसके परिणामस्वरूप पुनर्जागरण को बल मिला |

उपर्युक्त विवेचन के आलोक में हम कह सकते हैं कि पुनर्जागरण ( Renaissance ) लाने में अनेक तत्त्वों का योगदान है परंतु इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राज्यों का उदय, वैज्ञानिक उन्नति, भौगोलिक खोजों, छापेखाने का आविष्कार आदि को माना जा सकता है | इन सभी तत्वों ने सामूहिक रुप से पुनर्जागरण ( Renaissance ) की आधारशिला तैयार की |

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