राष्ट्रकूट वंश ( Rashtrakuta Dynasty )

⚫️ राष्ट्रकूट वंश ⚫️   राष्ट्रकूट वंश का प्रादुर्भाव 8वीं सदी के पूर्वार्द्ध में हुआ | इस वंश की स्थापना बादामी के चालुक्य वंश के राजा कीर्ति वर्मन द्वितीय को परास्त कर दंति दुर्ग ने की | इस वंश ने लगभग 200 वर्षों तक शासन किया | अंत में कल्याणी के चालुक्यों ने इस वंश … Read more

वाकाटक वंश व चालुक्य वंश ( Vakataka And Chalukya Dynasty )

       वाकाटक वंश व चालुक्य वंश  ◾वाकाटक वंश ने तीसरी शताब्दी से छठी शताब्दी ई० तक दक्षिणापथ में शासन किया । इनका मूल स्थान बरार ( विदर्भ ) था । यह राजवंश ब्राह्मण था ।▪अजन्ता गुहालेख से वाकाटक वंश के शासकों की राजनैतिक उपलब्धियों का विवरण मिलता है ।▪वाकाटक वंश की स्थापना 255 … Read more

सिन्धु घाटी की सभ्यता और राजनीतिक स्वाँग

प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के नाम पर जो नाम जबरन हमारे मन- मस्तिष्क में आरोपित कर दिया गया है वह है – वैदिक सभ्यता परंतु इतिहास का एक सामान्य छात्र भी भली भाँति जानता है कि सिन्धु घाटी की सभ्यता   ( सिंधु-सरस्वती सभ्यता ) इससे भी प्राचीन व इससे कहीं अधिक विकसित सभ्यता थी … Read more

संवेदनहीनता के उद्घोष

सत्रहवीं लोकसभा के प्रथम दिवस औवेसी के शपथ ग्रहण करते समय हिन्दुवादी राजनीतिक दलों  द्वारा “श्री राम”के नारे लगाना और प्रत्युत्तर में औवेसी द्वारा अल्लाह हु अकबर , जय हिंद , जय भीम और जय मीम के नारे लगाना हमारी राजनीतिक घटिया पन और मानसिक औछापन उजागर कर गया , साथ ही धर्म के विरुद्ध … Read more

संस्कृति की आड़ में

लोगों को गौ मूत्र के रूप में कैन्सर की अचूक दवा देकर स्वयं विदेशों में इलाज कराने वाले जिस प्रकार वैश्विक संस्कृति के इस दौर में मध्यक़ालीन भारत की साँझी संस्कृति को दरकनार कर प्राचीन भारतीय संस्कृति के वर्तमान समय में पूर्णत:   अनावश्यक तत्त्वों को महिमामंडित कर ज़बरन आरोपित करने का अभियान चला रहे … Read more

आवश्यकता एक और सामाजिक आंदोलन की

जनता का,जनता के लिए,जनता के द्वारा शासन ही लोकतंत्र है -अब्राहिम लिंकन की यह उक्ति लोकतंत्र के वर्तमान स्वरूप के संदर्भ में सर्वथा असंगत प्रतीत होती है क्योंकि आज लोकतंत्र एक विशिष्ट धनी वर्ग के हाथों की कठपुतली बन कर रह गया है । शासक और शासित के बीच की खाई स्पष्ट रूप से देखी … Read more

अलौकिक प्रेम की मृगतृष्णा

भक्तिपरक रचनाओं में प्रायः अलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति मिलती है । सगुण व निर्गुण भक्ति काव्य दोनों में ही विभिन्न रूपकों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की महत्ता प्रतिपादित की गई है । सगुण काव्य में जहाँ राधा-कृष्ण या गोपियों के प्रसंगों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है वहीं निर्गुण काव्य में … Read more

आधुनिकता के लिथड़ों में लिपटी रूढ़िवादिता

कहने को हम आज इक्कीसवीं सदी के अत्याधुनिक समाज में जी रहे हैं और अपनी छद्मआधुनिकता का दम्भ भरते हैं परंतु न चाहते हुए भी हमें ये स्वीकारना होगा की जैसे-जैसे हम आधुनिक हो रहे हैं वैसे – वैसे हमारी रूढ़िवादिता और अधिक रूढ़ होती जा रही है । हम अपनी आधुनिक शिक्षा के दम … Read more