यूरोप महाद्वीप ( Europe )

यूरोप उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे छोटा महाद्वीप है | यह पूर्व में यूराल पर्वत और कैस्पियन सागर द्वारा एशिया से अलग होता है | ◾️ यूरोप में नवीन वलित पर्वतओं में आल्पस पर्वत और काकेशस पर्वत प्रमुख हैं | ◾️ काकेशस में यूरोप का सर्वोच्च पर्वत शिखर एलब्रुश है ( जिसकी ऊंचाई 5642 मीटर है … Read more

तुलसीदास के पदों की व्याख्या

( यहाँ KU /MDU /CDLU द्वारा निर्धारित बी ए प्रथम सेमेस्टर – हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित तुलसीदास के पदों की सप्रसंग व्याख्या की गई है | ) दैहिक दैविक भौतिक तापा | राम राज नहिं काहुहि ब्यापा || सब नर करहिं परस्पर प्रीति | चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती || … Read more

मीराबाई का साहित्यिक परिचय

मीराबाई भक्तिकालीन हिंदी साहित्य की सगुण भक्तिधारा की कृष्णकाव्य धारा की प्रमुख कवयित्री हैं | मीराबाई का साहित्यिक परिचय निम्नलिखित बिंदुओं में दिया जा सकता है — जीवन-परिचय मीराबाई भक्तिकालीन कृष्णकाव्य धारा की प्रसिद्ध कवियत्री हैं | इनके आराध्य श्री कृष्ण हैं | इनका जन्म राव दादू जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर … Read more

कवि बिहारी का साहित्यिक परिचय ( Kavi Bihari Ka Sahityik Parichay )

जीवन-परिचय कवि बिहारी रीतिकाल के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते हैं | इनका जन्म संवत् 1652 ( 1595 ईस्वी ) में ग्वालियर के निकट बसुआ गोविंदपुर गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम केशवराय था इन्होंने रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि केशवदास से काव्य और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण की … Read more

सूरदास के पदों की व्याख्या ( बी ए हिंदी – प्रथम सेमेस्टर )

यहाँ हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा बी ए प्रथम सेमेस्टर ( हिंदी ) की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित सूरदास के पदों की सप्रसंग व्याख्या दी गई है | अविगत-गति कछु कहत न आवै | ज्यों गूंगे मीठे फल कौ रस अन्तरगत ही भावै | परम स्वाद सबही सु निरन्तर अमित तोष उपजावै … Read more

लोक प्रशासन पर संसदीय नियंत्रण

लोकतांत्रिक देशों में प्रशासन पर विधायिका ( व्यवस्थापिका या संसद ) का नियंत्रण होता है | विधायिका सब प्रशासनिक शक्तियों का स्रोत है | विधायिका ही सरकारी नीति निर्धारित करती है, प्रशासन का स्वरूप और क्षेत्र निश्चित करती है | इस प्रकार लोक प्रशासन पर संसदीय नियंत्रण बना रहता है | व्यवस्थापिका ( विधायिका ) … Read more

बजट : अर्थ, परिभाषा, प्रकार, महत्त्व व निर्माण-प्रक्रिया

बजट वित्तीय प्रशासन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपकरण है | इसे वित्तीय प्रशासन का केंद्र बिंदु माना जाता है | बजट के माध्यम से राज्य की वित्तीय स्थिति प्रकट होती है | बजट के माध्यम से ही किसी सरकार की आर्थिक नीतियों की झलक मिलती है | बजट की अवधारणा को समझने से पूर्व इसके अर्थ … Read more

प्रशिक्षण का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य / महत्व व प्रकार ( Prashikshan Ka Arth, Paribhasha, Uddeshya / Mahatva V Prakar )

प्रशिक्षण का अर्थ है – किसी विशेष कला या व्यवसाय में निर्देश या अनुशासन | सामान्य शब्दों में जब किसी अधिकारी के कौशल में वृद्धि करने के लिए कुछ निर्देश दिए जाते हैं तो उसे प्रशिक्षण कहते हैं | ग्लैडन के अनुसार — “किसी व्यक्ति के कौशल, शक्ति या बुद्धि में वृद्धि तथा उसके विचारों … Read more

पदोन्नति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं व आधार या सिद्धांत

पदोन्नति का अर्थ जानने के लिए इसकी व्युत्पत्ति को जानना आवश्यक होगा | पदोन्नति को अंग्रेजी भाषा में ‘प्रमोशन’ ( Promotion ) कहते हैं जो लैटिन भाषा के ‘प्रियोवीर’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है – पद, स्तर या सम्मान में वृद्धि होना या आगे बढ़ना | पदोन्नति की परिभाषा ( Padonnati Ki paribhasha … Read more

मैक्स वेबर का नौकरशाही सिद्धांत ( Max Weber’s Theory of Bureaucracy )

मैक्स वेबर जर्मनी का एक समाजशास्त्री था | उसने नौकरशाही का व्यवस्थित अध्ययन किया | उसने नौकरशाही का इतना तर्कपूर्ण विवेचन किया कि नौकरशाही और मैक्स वेबर एक दूसरे के पर्याय बन गए | उसने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक और आर्थिक संगठन के सिद्धांत’ में नौकरशाही के आदर्श रूप का वर्णन किया है | मैक्स वेबर … Read more

नौकरशाही का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, कार्य एवं महत्व

नौकरशाही को अंग्रेजी भाषा में ब्यूरोक्रेसी ( Bureaucracy ) कहते हैं जो फ्रांसीसी भाषा के दो शब्दों ‘ब्यूरो’ और ‘क्रेसी’ से निकला है | ‘ब्यूरो’ का अर्थ है – डेस्क अर्थात लिखने की मेज तथा ‘क्रेसी’ का अर्थ शासन होता है | इसलिए नौकरशाही को ‘डेस्क सरकार’ भी कहते हैं | वास्तव में नौकरशाही सेवकों … Read more

नेतृत्व का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं व कार्य

नेतृत्व एक ऐसा गुण है जो व्यक्तियों को किसी संगठन के प्रति निष्ठावान बनाए रखता है | यह व्यक्तित्व का जादू तथा प्रभावित करने की कला है जिसके द्वारा वह एक संगठन की समस्त शक्तियों को उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है | नेतृत्व की परिभाषा ( Netritva Ki Paribhasha … Read more

केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप व गुण-दोष )

संगठन के संबंध में कई समस्याएं हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण समस्या यह है कि प्रशासकीय संगठन को केंद्रीयकृत रखा जाए या विकेंद्रीकृत | किसी संगठन के प्रशासन में शक्तियों का केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण उस संगठन के स्वरूप को निर्धारित करता है | प्रशासन की समस्त शक्तियां पद सोपान की विभिन्न श्रेणियों से होती हुई अगर … Read more

पद सोपान की अवधारणा : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं व गुण-दोष

पद सोपान की अवधारणा को जानने के लिए इसके अर्थ तथा परिभाषा को जानना आवश्यक होगा | पद सोपान का अर्थ ( Pad Sopan Ka Arth ) ‘पद सोपान’ का शाब्दिक अर्थ है – श्रेणीबद्ध प्रशासन | अंग्रेजी में इसे ‘Hierarchy’ कहते हैं जिसका अर्थ होता है – निम्नतर पर उच्चतर का शासन | इस … Read more

नवीन लोक प्रशासन की अवधारणा : अर्थ, उद्देश्य एवं विशेषताएँ

1968 ईस्वी के पश्चात लोक प्रशासन के क्षेत्र में नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ और इन्हीं विचारों को नवीन लोक प्रशासन की संज्ञा दी गई | 1971 ईस्वी में फ्रैंक मैरिनी द्वारा संपादित पुस्तक ‘नवीन लोक प्रशासन की दिशाएं – मिन्नोब्रुक परिप्रेक्ष्य’ के प्रकाशन के साथ ही नवीन लोक प्रशासन की अवधारणा को मान्यता प्राप्त … Read more

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