स्वरों का वर्गीकरण

देवनागरी लिपि की मानक वर्णमाला में 12 स्वर हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, ऑ | स्वरों का वर्गीकरण मुख्यतः तीन आधार पर किया जा सकता है — 1️⃣ मात्रा के आधार पर 2️⃣ प्रयत्न के आधार पर 3️⃣ स्थान के आधार पर 1️⃣ मात्रा के आधार पर … Read more

भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप

भाषा का मूल अर्थ – बोलना या कहना है | साधारण शब्दों में मानव-मुख से निकलने वाली ध्वनियों को भाषा कहा जाता है | लेकिन मानव मुख से निकलने वाली प्रत्येक ध्वनि भाषा नहीं होती | वास्तव में मानव-मुख से निकलने वाली वह सार्थक ध्वनियां जो विचारों या भावों का संप्रेषण करती हैं, भाषा कहलाती … Read more

भाषा के विविध रूप / भेद / प्रकार ( Bhasha Ke Vividh Roop / Bhed / Prakar )

सामान्य शब्दों में भाषा शब्द का प्रयोग मनुष्य की व्यक्त वाणी के लिए किया जाता है | भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है और दूसरों के विचार समझ पाता है | यद्यपि कुछ कार्य संकेतों और शारीरिक कष्टों के द्वारा किया जा सकता है लेकिन यह पर्याप्त … Read more

पारिभाषिक शब्दावली : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

पारिभाषिक शब्द अंग्रेजी के ‘टेक्निकल’ शब्द का हिंदी अनुवाद है | ‘टेक्निकल’ शब्द ग्रीक भाषा के ‘टेक्निक्स’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है – विशिष्ट कला का या विज्ञान का या कला के बारे में |इस आधार पर पारिभाषिक शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी विशिष्ट कला या विज्ञान की किसी शाखा से … Read more

कवि बिहारी की काव्य-कला ( Kavi Bihari Ki Kavya Kala )

बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि हैं | रीतिसिद्ध काव्य-परंपरा के यह सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं | इनकी एक मात्र रचना ‘बिहारी सतसई’ है जिसमें 713 दोहे हैं | कवि बिहारी की काव्य-कला का विवेचन भाव पक्ष और कला पक्ष इन दो दृष्टिकोणों से किया जा सकता है | कवि बिहारी का भाव पक्ष या … Read more

आदिकाल का नामकरण और सीमा निर्धारण ( Aadikaal Ka Naamkaran aur Seema Nirdharan)

आदिकाल का नामकरण और सीमा-निर्धारण विद्वानों के बीच विवाद का विषय है | हिंदी साहित्य के इतिहास पर विमर्श करने वाले विद्वानों एवं लेखकों ने इस संबंध में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए हैं | मिश्र बंधुओं, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि विद्वानों ने इस विषय में अपने अलग-अलग विचार … Read more

तुलसीदास की भक्ति-भावना ( Tulsidas Ki Bhakti Bhavna )

तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं | उन्हें राम काव्यधारा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है | तुलसीदास जी मूलतः एक भक्त हैं | राम-भक्ति ही उनके जीवन का एकमात्र ध्येय है | श्री राम की भक्ति में रम कर उन्होंने जो कुछ भी लिखा वह काव्य बन गया | यही … Read more

सूरदास का श्रृंगार वर्णन ( Surdas Ka Shringar Varnan )

सूरदास जी भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं | उन्हें कृष्ण काव्य धारा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है | उन्हें वात्सल्य सम्राट के रूप में जाना जाता है परंतु वात्सल्य के समान श्रृंगार वर्णन में भी सूरदास जी ने कमाल किया है | यही कारण है कि अनेक विद्वान उन्हें श्रृंगार रस … Read more

सूरदास का वात्सल्य वर्णन ( Surdas Ka Vatsalya Varnan)

सूरदास भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की कृष्ण काव्यधारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं | उनका श्रृंगार वर्णन एवं वात्सल्य वर्णन संपूर्ण हिंदी साहित्य में अनूठा है | सूरदास जी से पहले हिंदी साहित्य में किसी कवि ने वात्सल्य वर्णन करने का कार्य नहीं किया | सूरदास जी पहले कवि हैं जिन्होंने वात्सल्य वर्णन किया और इतने प्रभावशाली … Read more

आदिकाल / वीरगाथा काल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ ( Aadikal / Veergathakal Ki Pramukh Visheshtaen )

हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | सम्वत 1050 से सम्वत 1375 तक का साहित्य आदिकाल के नाम से जाना जाता है | आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस काल को वीरगाथा काल की संज्ञा दी है | परंतु परंतु इस काल में मिली … Read more

काव्य के प्रमुख तत्त्व ( Kavya Ke Pramukh Tattv )

काव्य की विभिन्न परिभाषाओं का अध्ययन करने पर काव्य के चार प्रमुख तत्त्व सामने आते हैं – भाव तत्त्व, कल्पना तत्त्व, बुद्धि तत्त्व और शैली तत्त्व | कविता के लिए यह सभी तत्त्व आवश्यक हैं परंतु अधिकांश विद्वान भाव तत्त्व और शैली तत्त्व को प्रमुख मानते हैं | क्योंकि अनुभूति के बिना कविता निस्सार और … Read more

काव्य : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप ( बी ए हिंदी – प्रथम सेमेस्टर )( Kavya ka Arth, Paribhasha Avam Swaroop )

काव्य – अभिनव गुप्त ने काव्य के विषय में लिखा है ‘कवनीय काव्यम’ अर्थात जो कुछ वर्णनीय है, वही काव्य है | अंग्रेजी भाषा में कवि का पर्याय शब्द ‘Poet’ है जिसका अर्थ है – निर्माता या रचनकर्त्ता | अंग्रेजी में काव्य को ‘Poem’ कहते हैं जिसका अर्थ है – निर्माण या रचना | इस … Read more

काव्य गुण : अर्थ, परिभाषा और प्रकार ( Kavya Gun : Arth, Paribhasha Aur Swaroop )

काव्य गुण – काव्य के सौंदर्य एवं अभिव्यंजना शक्ति को बढ़ाने वाले तत्त्वों को काव्य गुण कहा जाता है | डॉ नगेन्द्र के अनुसार – “गुण काव्य के उन उत्कर्ष साधक तत्वों को कहते हैं जो मुख्य रूप से रस के और गौण रूप से शब्दार्थ के नित्य धर्म हैं |” काव्य गुणों की संख्या … Read more

तुलसीदास का साहित्यिक परिचय ( Tulsidas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – तुलसीदास जी भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की रामकाव्य धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं | तुलसीदास जी की जन्म-तिथि व जन्म-स्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है | परंतु फिर भी अधिकांश विद्वान मानते हैं कि इनका जन्म 1532 ईस्वी में उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ | इनके पिता … Read more

सूरदास का साहित्यिक परिचय ( Surdas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – सूरदास जी भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की कृष्ण काव्य धारा के सर्वाधिक प्रमुख कवि हैं | उन्हें अष्टछाप का जहाज कहा जाता है | उनकी जन्म-तिथि तथा जन्म-स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है फिर भी अधिकांश विद्वान मानते हैं कि सूरदास का जन्म सन 1478 ईस्वी ( सम्वत 1535 ) में हुआ … Read more

error: Content is proteced protected !!