जेट वायुधाराएं ( Jet Streams )

                     जेट वायुधाराएं 
                   ( Jet Streams )
 
जेट वायुधाराएं ( Jet Streams ) या जेट वायुधाराएं  ऊपरी वायुमंडल में  विशेषत: समताप मंडल में तेज गति से प्रवाहित होने वाली हवाएँ हैं | इनके प्रवाह की दिशा जल धाराओं की तरह ही निश्चित होती है | तेज गति से चलने के कारण इन धाराओं को जेट-स्ट्रीम का नाम दिया गया है |जेटस्ट्रीम धरातल से ऊपर अर्थात  6  से 14 किलोमीटर की ऊंचाई पर लहरदार रूप में चलने वाली एक वायु धारा है | इस वायुधारा का संबंध  धरातल में चलने वाली पवनों के साथ भी जोड़ा गया है |

जेट वायुधाराएं ( Jet Streams )

जेट-स्ट्रीम का भारतीय मानसून पर प्रभाव

वैसे तो भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं  जैसे अक्षांशीय स्थिति और आकार,  उच्चावच की विभिन्नता,  वायुदाब और पवन की समय-अनुसार बदलती प्रकृति, जल और स्थल का वितरण,  समुद्र से निकटता या दूरी आदि परंतु इन सब के साथ-साथ जेट वायु धाराओं का प्रभाव भी  भारतीय जलवायु पर पड़ता है |

जेट वायुधाराएं ( Jet Streams ) के भारतीय मानसून पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने के लिए जेट स्ट्रीम के विभिन्न प्रकारों को जानना आवश्यक होगा |

जेट स्ट्रीम के प्रकार ( Types Of Jet Streams ) 
1.  पश्चिमी जेट स्ट्रीम: 20 डिग्री से  35 डिग्री उत्तर
2.पूर्वी जेट स्ट्रीम : 8 डिग्री से 35 डिग्री उत्तर

1️⃣ पश्चिमी जेट स्ट्रीम: यह स्थाई जेटस्ट्रीम है |  यह साल भर चलती है | इसके प्रवाह की दिशा पश्चिमोत्तर भारत से लेकर दक्षिण पूर्व भारत की और होती है | पश्चिमी जेट-स्ट्रीम का संबंध सूखी,  शांत और शुष्क हवाओं से है | यह शीतकाल की आंशिक वर्षा के लिए उत्तरदायी  है |

2️⃣ पूर्वी जेट स्ट्रीम: पश्चिमी जेट वायुधाराएं ( Western Jet Streams ) के ठीक विपरीत पूर्वी जेट-स्ट्रीम की दिशा दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमोत्तर भारत की ओर है | यह अस्थाई है और इसका प्रभाव जुलाई, अगस्त, सितंबर में देखा जा सकता है | पूर्वी जेट-स्ट्रीम भारत में मूसलाधार वर्षा के लिए उत्तरदायी  है | मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि  संपूर्ण भारत में जितनी भी वर्षा होती है उसका 74% हिस्सा जून से सितंबर महीने तक होता है | यह पूर्वी जेट वायुधाराएं ( Eastern Jet Streams ) से ही संभव हो पाता है |
पूर्वी जेट हवा गर्म होती है इसलिए इसके प्रभाव से सतह  की हवा गर्म होने लगती है और गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती है | इससे पश्चिमोत्तर भारत सहित पूरे भारत में एक निम्न-वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है |  इस निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर अरब सागर से नमी युक्त उच्च वायुदाब की हवाएं चलती हैं | अरब सागर से चलने वाली यही नमी युक्त हवा भारत में दक्षिण पश्चिमी मानसून के नाम से जानी जाती है |

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