पर्यावरण संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय / वैश्विक प्रयास

पर्यावरण असंतुलन बढ़ने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रयास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे हैं जिनमें से कुछ का वर्णन इस प्रकार है —

पर्यावरण संरक्षण के प्रयास
पर्यावरण संरक्षण के प्रयास

(1) स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन ( 1972 ईस्वी )

इस शिखर सम्मेलन में सभी देशों को विशिष्ट जीव-जंतुओं और पौधों से संबंधित संरक्षण कार्यक्रम प्रारंभ करने और इसके लिए पर्यावरण विभाग के गठन की सलाह दी गई |

इसके पश्चात भारत में भी प्रोजेक्ट टाइगर कार्यक्रम ( 1973 ) चलाने का निर्णय लिया गया एवं वायु प्रदूषण से संबंधित कानून बनाए गए |

इस संबंध में UNEP ( United Nations Environment Programme ) का गठन किया गया जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक तकनीक एवं पूंजी संबंधी सलाह देना था |

इस सम्मेलन में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय भी लिया गया | इसके पश्चात प्रति वर्ष 5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है |

(2) रियो-डी-जेनेरियो सम्मेलन ( पृथ्वी सम्मेलन 1992 )

1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में आयोजित हुए सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए विचार विमर्श किया गया |

इस सम्मेलन में 21वीं सदी के लिए पर्यावरणीय विकास हेतु कार्यक्रम निर्धारित किए गए एवं इसे ‘एजेंडा 21’ नाम दिया गया | यह चार प्रमुख भागों में बांटा था —

(क ) विकासशील देशों से संबंधित कार्यक्रम के अंतर्गत गरीबी निवारण व जनसंख्या नियंत्रण को अनिवार्य माना गया क्योंकि इसके समाधान के बिना वहां पारिस्थितिकी विकास कार्यक्रम लगभग असंभव है |

(ख ) सबको प्रयाप्त खाद्य, स्वच्छ जल व सामाजिक सुरक्षा की उपलब्धता |

(ग ) पूंजी स्थानांतरण को उदार बनाने पर बल देना |

(घ ) जैव विविधता का सर्वेक्षण और संकटग्रस्त जीवों के संरक्षण पर बल |

रियो-डी-जेनेरियो सम्मेलन में चार अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए जो क्रमशः तापमान नियंत्रण, वन्य संरक्षण, जैव विविधता, एवं सतत विकास ( Sustainable Development ) से संबंधित हैं |

तापमान नियंत्रण के संबंध में दिसंबर 1997 में क्योटा में हुए ‘पृथ्वी-5 सम्मेलन’ में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए एवं यूरोप के प्रत्येक देश को 8%, संयुक्त राज्य अमेरिका को 7%, जापान को 6% ग्रीन हाउस गैसों का स्तर कम करने को कहा गया |

चीन, रूस, भारत, ब्राजील इंडोनेशिया आदि देशों के लिए भी उत्सर्जन मानक निर्धारित किए गए एवं यह निश्चित किया गया कि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का स्तर किसी भी स्थिति में 1990 ईस्वी के दशक से ऊपर नहीं जाना चाहिए |

16 फरवरी, 2005 से क्योटो प्रोटोकोल लागू हो गया |

क्योटो संधि के अनुपालन करते हुए न्यूजीलैंड ने मई, 2005 में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगाने हेतु अपने यहां कार्बन टैक्स का प्रावधान किया |

ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण हेतु इस प्रकार का कर लगाने वाला न्यूजीलैंड विश्व का पहला देश है |

इंडोनेशिया के बाली द्वीप के ‘नुसा दुआ’ में दिसंबर, 2007 को संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सम्मेलन में 190 देशों के प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया | इस सम्मेलन में 2012 में समाप्त हो रहे ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ के स्थान पर नई संधि के बारे में विचार किया गया | इसमें ‘क्योटो प्रोटोकोल’ से आगे की रणनीति बनाने व ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के मामले में विश्वव्यापी सहमति कायम करने पर बल दिया गया |

(3) जोहांसबर्ग ( दक्षिण अफ्रीका ) शिखर सम्मेलन – 2002

यह सम्मेलन सतत विकास पर विशेष रूप से आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन था जिसे ‘World Summit on Sustainable Development’ के नाम से जाना जाता है | इसे ‘पृथ्वी-10 सम्मेलन’ भी कहा जाता है क्योंकि रियो-डी-जनेरियो में 1992 ईस्वी में दिए गए ‘एजेंडा-21’ के कार्यान्वयन की यह दस वर्षीय समीक्षा थी |

इसमें जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण हेतु क्योटो प्रोटोकॉल को अनिवार्य व समयबद्ध रूप से लागू करने पर बल दिया गया |

इस सम्मेलन में जैव विविधता को बनाए रखने एवं प्रजाति विनाश की स्थिति पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु 2015 ईस्वी का लक्ष्य निर्धारित किया गया | गैर परंपरागत ऊर्जा के व्यापक प्रयोग हेतु भी वर्ष 2015 ईस्वी का लक्ष्य रखा गया |

ग्लोबल वार्मिंग के हॉट स्पॉट

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ( I. P. C. ) ने स्पष्ट किया है कि वैश्विक तापन से आज संपूर्ण पृथ्वी संकट में है तथा ऐसे स्थान जो लंबे समय से संतुलित पारिस्थितिक दशाओं वाले रहे हैं वहां पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है |

वैज्ञानिकों ने ऐसे स्थलों को विश्व तापन के हॉट स्पॉट्स के रूप में चिह्नित किया है | इनकी संख्या वर्तमान में 20 है | इनमें उत्तरी अमेरिका में ग्रीनलैंड, रॉकी पर्वत, अलास्का के क्षेत्रों में हिमनदों का पिघलना व टेक्सास में तापीय लहरों का प्रभाव शामिल है |

वेनेजुएला में भी आधे से अधिक हिमनद पिघलने की आशंका है, अफ्रीका का किलिमंजारो पर्वत, चीन के नेंशान पर्वत एवं भारत की गंगोत्री के हिमनद भी सर्वाधिक संकट की स्थिति में हैं |

हिम के पिघलने से सागर जलस्तर में वृद्धि हो रही है जिससे चीन, फिजी एवं बांग्लादेश के तटीय भाग डूबने के कगार पर हैं | इसके अलावा सेशेल्स, मॉरीशस आदि भी खतरे की स्थिति में हैं |

कार्बन क्रेडिट की अवधारणा

कार्बन क्रेडिट ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए उन्हें मौद्रिक रूप देने का एक तरीका है | एक क्रेडिट हासिल करने वाले व्यक्ति को 1 टन अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने का अधिकार होगा |

इसके लिए भारत में ‘राष्ट्रीय स्वच्छ विकास प्रणाली प्राधिकरण’ की स्थापना की गई है |

ग्रीन जी. एन. पी.

यह एक दी हुई समयावधि में प्रति व्यक्ति उत्पादन की वह अधिकतम संभावी मात्रा है जो कि देश की प्राकृतिक संपदा को स्थिर बनाए रखते हुए प्राप्त की जा सकती है |

ग्रीन जी. एन. पी. ( Green Gross National Product ) की अवधारणा का प्रारंभ 1995 में किया गया था एवं इसके अंतर्गत 192 देशों को शामिल किया गया था | ऑस्ट्रेलिया व इथियोपिया का ग्रीन जी. एन. पी. की सूची में क्रमश: प्रथम व अंतिम स्थान है | इस सूची में भारत 173 वें स्थान पर है |

अतः स्पष्ट है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे हैं | आवश्यकता केवल इन प्रावधानों को ईमानदारी से लागू करने कि है |

विश्व की प्रमुख जनजातियाँ

मानव प्रजातियाँ

जनजातियां, खानाबदोश और एक जगह बसे समुदाय ( कक्षा-7) ( Tribes, Nomads And Settled Communities )

पृथ्वी के प्रमुख स्थल रूप ( भूगोल, कक्षा-6) ( Major Landforms Of The Earth ) ( NCERT, geography,Class 6, Chapter 6 )

एशिया महाद्वीप ( Asia Continent )

अफ्रीका महाद्वीप ( Africa )

यूरोप महाद्वीप ( Europe )

उत्तरी अमेरिका ( North America )

दक्षिण अमेरिका ( South America )

ऑस्ट्रेलिया ( Australia )

अंटार्कटिक महाद्वीप ( Antarctica )

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