राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति ( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )

 ⚫️ राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )  🔷 राजभाषा का अर्थ : राजभाषा का अर्थ है – राज्य की भाषा अर्थात सामान्य शब्दों में किसी राज्य के  सरकारी कामकाज की भाषा को राजभाषा कहते हैं |  एक भाषाविद के अनुसार : ” … Read more

स्वन : अर्थ, परिभाषा, प्रकृति/स्वरूप व वर्गीकरण ( Svan : Arth, Paribhasha, Prakriti /Swaroop V Vargikaran )

       स्वन की अवधारणा : अर्थ, परिभाषा व प्रकृति      ( Svan  : Arth,  Paribhasha Evam Prakriti )   ‘स्वन’ शब्द के लिए हिंदी में प्राय:  ‘ध्वनि’ शब्द का प्रयोग किया जाता है | ‘ध्वनि’ शब्द ‘ध्वन’ धातु में ‘इ’ प्रत्यय लगने से बना है | ध्वनि का अर्थ है- आवाज करना या … Read more

वाग्यंत्र का अर्थ व विभिन्न वागवयवों के कार्य ( Vagyantra ka Arth v Vibhinn Vagangon Ke Karya )

     ⚫️ ध्वनि उत्पादन में वाक अवयवों की भूमिका ⚫️ ( Dhvani Utpadan Men Vaak Avyavon Ki Bhumika ) ◼️ मानव जब ध्वनि का उच्चारण करता है तो वह अपने वाग्यंत्रों के विभिन्न वागगों का प्रयोग करता है | औच्चारिकी नामक शाखा के अंतर्गत हम वागंगों अथवा वागवयवों का अध्ययन करते हैं | वागवयव  दो … Read more

भाषा : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप ( Bhasha :Arth, Paribhasha, Visheshtayen Evam Svaroop )

    ⚫️ भाषा : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप ⚫️( Bhasha : Arth, Paribhasha, Visheshtayen Evam Svaroop ) भाषा मानव का अर्जित संस्कार है जिसे वह जन्म से प्राप्त नहीं करता | मानव जिस समुदाय में रहता है उसी से भाषा को अर्जित करता है | उदाहरण के रूप में यदि बच्चे का जन्म … Read more

हिंदी-साहित्य के आधुनिक काल की परिस्थितियां ( Hindi Sahitya Ke Adhunik Kal Ki Paristhitiyon )

 हिंदी साहित्य के आधुनिक काल की परिस्थितियां ( Hindi Sahitya :Adhunik Kaal Ki Paristhitiyan ) हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल,  मध्यकाल व आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्यकाल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल ( … Read more

छायावाद : अर्थ, परिभाषा व प्रवृत्तियां ( Chhayavad : Arth, Paribhasha V Pravrittiyan )

  हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल ,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है | भक्तिकाल की … Read more

रीतिकाल : परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Reetikal : Parampara Evam Pravritiyan )

             रीतिकाल : परंपरा एवं प्रवृतियां     ( Reetikal : Parampara Evam Pravrityan )   हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल,  मध्यकाल व आधुनिक काल | मध्यकाल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल ( Reetikal ) के नाम … Read more

रीतिसिद्ध काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Reetisiddh kavya: Parampara Evam Pravritiya )

              रीतिसिद्ध काव्य परंपरा    हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बाँटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल व आधुनिक काल | मध्यकाल के पूर्ववर्ती काल को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है |  रीतिकाल की समय-सीमा संवत 1700 से संवत … Read more

रीतिमुक्त काव्य : परंपरा व प्रवृत्तियां ( Reetimukt Kavya: Parampara Evam Pravrittiya )

हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है अधिकार मध्यकाल और आधुनिक काल | मध्य काल के उत्तर भर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है | हिंदी साहित्य में संवत 1700 से संवत 1900  तक का काल रीतिकाल है जिसमें तीन प्रकार का साहित्य मिलता है – रीतिबद्ध … Read more

रीतिकाल : समय-सीमा व नामकरण ( Reetikal: Samay Seema v Naamkaran )

रीतिकाल: समय-सीमा व नामकरण   ( Reetikal Ka Naamkaran )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है : आदिकाल , मध्यकाल व आधुनिक काल । आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से स० 1375  तक माना जाता है । मध्यकाल को दो भागों में बाँटा गया है ; पूर्ववर्ती … Read more

आदिकाल की परिस्थितियां ( Aadikal Ki Paristhitiyan )

                आदिकाल की परिस्थितियां               ( Aadikal Ki Paristhitiyan ) हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है : आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | मध्यकाल को भक्तिकाल और रीतिकाल में बांटा जा सकता है |आदिकाल की समय सीमा … Read more