राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति ( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )

 ⚫️ राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति
( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )

 🔷 राजभाषा का अर्थ : राजभाषा का अर्थ है – राज्य की भाषा अर्थात सामान्य शब्दों में किसी राज्य के  सरकारी कामकाज की भाषा को राजभाषा कहते हैं |

 एक भाषाविद के अनुसार : ” देश के राजकाज को चलाने के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है उसे राजभाषा कहते हैं |”

 हमारे देश में समय-समय पर अलग-अलग भाषाएं राजभाषा के रूप में प्रचलित रही हैं उदाहरण के लिए अशोक के समय में पालि, राजपूत काल में हिंदी तथा मुगल काल में फ़ारसी  राजभाषा थी | आगे चलकर अंग्रेजों ने भी भारत में काफ़ी समय तक फारसी को ही राजभाषा के रूप में अपनाया |

 15 अगस्त,  1947 को भारत स्वतंत्र हुआ |तब हिंदी को राजभाषा बनाने के प्रयास शुरू हो गए कुछ लोगों ने इसका विरोध किया | गैर हिंदी भाषी लोगों को भय था कि यदि हिंदी राजभाषा बन गई तो उच्च पदों पर केवल हिंदी भाषी लोगों का अधिकार हो जाएगा | इस प्रकार संविधान सभा के सामने राजभाषा का प्रश्न एक चुनौती बन गया | काफी समय तक यह विवाद चलता रहा | अंततः 14 सितंबर, 1949 को एक लंबी विचार विमर्श के पश्चात हिंदी को भारत की राजभाषा स्वीकार किया गया | तभी से 14 सितंबर का दिन प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है |

 राजभाषा के संबंध में गांधी जी ने कुछ विचार रखे थे जो इस प्रकार थे – 1. राजभाषा ऐसी होनी चाहिए जो देश के अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती हो |
2. राजभाषा ऐसी होनी चाहिए जिससे संपूर्ण देश आसानी से समझ व सीख सके |
3. राजभाषा ऐसी होनी चाहिए जिसे सरकारी कर्मचारी आसानी से सीख सकें |
4. राजभाषा ऐसी होनी चाहिए जो देश में राजनैतिक,  धार्मिक,  सामाजिक और आर्थिक संपर्क का माध्यम बन सके |

 यह सही है कि राजभाषा बनने के लिए निर्धारित सभी गुण हिंदी भाषा में भी नहीं मिलते लेकिन अन्य भाषाओं की अपेक्षा केवल हिंदी ही भारत की एक ऐसी भाषा है जो पूरे भारत को एक सूत्र में बांध सकती है | शायद इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान सभा में हिंदी को भारत की राजभाषा चुना गया |

            🔷 हिंदी की संवैधानिक स्थिति 🔷
        ( Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )

 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा स्वीकार किया गया तथा 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू होते ही हिंदी भारत की राजभाषा बन गई |

 राजभाषा के रूप में हिंदी का वर्णन संविधान के निम्नलिखित भागों व अनुच्छेदों में है : 1. भारतीय संविधान के भाग 5, अनुच्छेद 120 में संसद की भाषा का प्रावधान है |
2. भारतीय संविधान के भाग 6,  अनुच्छेद 210 में राज्य की विधानसभाओं की भाषा का प्रावधान है |
3. भारतीय संविधान के भाग 17 में 4 अध्यायों में राजभाषा का उल्लेख है :-
🔹 प्रथम अध्याय, अनुच्छेद 343, 344.
🔹 द्वितीय अध्याय, अनुच्छेद 343, 346,  347.
🔹 तृतीय अध्याय,  अनुच्छेद 348, 349.
🔹 चतुर्थ अध्याय, अनुच्छेद 350, 351.

 इस प्रकार संविधान के भाग 17 में अनुच्छेद 343 से अनुच्छेद 351 तक राजभाषा हिंदी का वर्णन है जिसका विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है :-

    ◼️ ( क ). प्रथम अध्याय, अनुच्छेद 343 (भाग 17) ◼️

🔹 संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी |
🔹 अंको का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा |
🔹 संविधान लागू होने के आरंभ से 15 वर्ष तक राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा प्रयोग की जाती रहेगी |

   ◼️ ( ख ). प्रथम अध्याय, अनुच्छेद 344 (भाग 17) ◼️

🔹 संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी भाषा के अधिक से अधिक प्रयोग पर बल |
🔹 अंग्रेजी भाषा के प्रयोग को कम करना |
🔹 लोक सेवाओं में गैर-हिंदी भाषी लोगों को न्याय मिले |

◼️दूसरा अध्याय, अनुच्छेद 345, 346, 347 (भाग 17)◼️

🔹 इन अनुच्छेदों के अंतर्गत राज्य विधानमंडल राज्य के राजकीय प्रयोजनों के लिए भारतीय भाषाओं में से किसी एक या अनेक या हिंदी को चुन सकेगा |
🔹 दो राज्य आपस में संचार के लिए हिंदी को चुन सकते हैं |

◼️ तीसरा अध्याय, अनुच्छेद 348, 349 (भाग 17) ◼️

🔹 अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय की सब कार्यवाही या संसद के विधेयक, अधिनियम, राज्य विधान मंडलों के विधेयक व अधिनियम, आदेश,  नियम आदि के प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी भाषा में होंगे |
🔹 अनुच्छेद 349 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि अनुच्छेद 348 के खंड 1 में वर्णित परियोजनाओं में से किसी के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा संबंधी कोई विधेयक बिना राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के संसद के किसी सदन में प्रस्तावित नहीं किया जा सकता |

◼️ चतुर्थ अध्याय, अनुच्छेद 350, 351 (भाग 17) ◼️

🔹 अनुच्छेद 350 तथा अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार की बात कही गई है |इनमें हिंदी भाषा के विकास की बात भी कही गई है |मुख्यतः संस्कृत से तथा अन्य भाषाओं से नए शब्द ग्रहण किए जाएं ताकि हिंदी समृद्ध हो सके |

 इसके अतिरिक्त राजभाषा आयोग (1955), राजभाषा अधिनियम (1963), राजभाषा संशोधन अधिनियम (19867), राजभाषा अधिनियम (1976) में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं |

👉 इस प्रकार भारतीय संविधान में न केवल हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया है अपितु अन्य भारतीय भाषाओं के हितों का ध्यान भी रखा गया है |साथ ही अंग्रेजी भाषा की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी गई है |संक्षेप में भारतीय संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार हिंदी को भारत की राजभाषा तथा देवनागरी लिपि को राजकीय लिपि स्वीकार किया गया है | साथ ही यह भी स्वीकार किया गया है कि संविधान के आरंभ होने से 15 वर्षों की अवधि तक राजकीय कार्यों में अंग्रेजी का प्रयोग होता रहेगा |

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