बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या ( Biharilal Ke Dohon Ki Vyakhya )

( यहाँ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या दी गई है | ) मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरिक सोइ | जा तन की झाईं परैं स्यामु हरित-दुति होइ || (1) प्रसंग — प्रस्तुत दोहा हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित … Read more

कबीरदास के पदों की व्याख्या ( बी ए – हिंदी, प्रथम सेमेस्टर )

( यहाँ KU, MDU, CDLU विश्वविद्यालयों द्वारा बी ए प्रथम सेमेस्टर -हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित ‘कबीरदास’ के पदों की सप्रसंग व्याख्या दी गई है | ) सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार | लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावणहार || (1) प्रसंग — प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘मध्यकालीन … Read more

आदिकाल का नामकरण और सीमा निर्धारण ( Aadikaal Ka Naamkaran aur Seema Nirdharan)

आदिकाल का नामकरण और सीमा-निर्धारण विद्वानों के बीच विवाद का विषय है | हिंदी साहित्य के इतिहास पर विमर्श करने वाले विद्वानों एवं लेखकों ने इस संबंध में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए हैं | मिश्र बंधुओं, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि विद्वानों ने इस विषय में अपने अलग-अलग विचार … Read more

तुलसीदास की भक्ति-भावना ( Tulsidas Ki Bhakti Bhavna )

तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं | उन्हें राम काव्यधारा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है | तुलसीदास जी मूलतः एक भक्त हैं | राम-भक्ति ही उनके जीवन का एकमात्र ध्येय है | श्री राम की भक्ति में रम कर उन्होंने जो कुछ भी लिखा वह काव्य बन गया | यही … Read more

सूरदास का श्रृंगार वर्णन ( Surdas Ka Shringar Varnan )

सूरदास जी भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं | उन्हें कृष्ण काव्य धारा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है | उन्हें वात्सल्य सम्राट के रूप में जाना जाता है परंतु वात्सल्य के समान श्रृंगार वर्णन में भी सूरदास जी ने कमाल किया है | यही कारण है कि अनेक विद्वान उन्हें श्रृंगार रस … Read more

वस्तुनिष्ठ प्रश्न ( हिंदी ) बी ए प्रथम वर्ष, प्रथम सेमेस्टर ( Objective Type Questions, BA Hindi,1st Semester )

◼️ कबीरदास का जन्म कब हुआ? उत्तर – 1398 ईस्वी ( काशी में ) 🔹 कबीरदास की मृत्यु कब हुई? उत्तर – 1518 ईस्वी ( मगहर में ) 🔹 कबीर की पत्नी का क्या नाम था? उत्तर – लोई | 🔹 कबीरदास के पुत्र-पुत्री का नाम बताओ | उत्तर – कमाल और कमाली | 🔹 … Read more

सूरदास का वात्सल्य वर्णन ( Surdas Ka Vatsalya Varnan)

सूरदास भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की कृष्ण काव्यधारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं | उनका श्रृंगार वर्णन एवं वात्सल्य वर्णन संपूर्ण हिंदी साहित्य में अनूठा है | सूरदास जी से पहले हिंदी साहित्य में किसी कवि ने वात्सल्य वर्णन करने का कार्य नहीं किया | सूरदास जी पहले कवि हैं जिन्होंने वात्सल्य वर्णन किया और इतने प्रभावशाली … Read more

आदिकाल / वीरगाथा काल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ ( Aadikal / Veergathakal Ki Pramukh Visheshtaen )

हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | सम्वत 1050 से सम्वत 1375 तक का साहित्य आदिकाल के नाम से जाना जाता है | आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस काल को वीरगाथा काल की संज्ञा दी है | परंतु परंतु इस काल में मिली … Read more

काव्य के प्रमुख तत्त्व ( Kavya Ke Pramukh Tattv )

काव्य की विभिन्न परिभाषाओं का अध्ययन करने पर काव्य के चार प्रमुख तत्त्व सामने आते हैं – भाव तत्त्व, कल्पना तत्त्व, बुद्धि तत्त्व और शैली तत्त्व | कविता के लिए यह सभी तत्त्व आवश्यक हैं परंतु अधिकांश विद्वान भाव तत्त्व और शैली तत्त्व को प्रमुख मानते हैं | क्योंकि अनुभूति के बिना कविता निस्सार और … Read more

काव्य : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप ( बी ए हिंदी – प्रथम सेमेस्टर )( Kavya ka Arth, Paribhasha Avam Swaroop )

काव्य – अभिनव गुप्त ने काव्य के विषय में लिखा है ‘कवनीय काव्यम’ अर्थात जो कुछ वर्णनीय है, वही काव्य है | अंग्रेजी भाषा में कवि का पर्याय शब्द ‘Poet’ है जिसका अर्थ है – निर्माता या रचनकर्त्ता | अंग्रेजी में काव्य को ‘Poem’ कहते हैं जिसका अर्थ है – निर्माण या रचना | इस … Read more

काव्य गुण : अर्थ, परिभाषा और प्रकार ( Kavya Gun : Arth, Paribhasha Aur Swaroop )

काव्य गुण – काव्य के सौंदर्य एवं अभिव्यंजना शक्ति को बढ़ाने वाले तत्त्वों को काव्य गुण कहा जाता है | डॉ नगेन्द्र के अनुसार – “गुण काव्य के उन उत्कर्ष साधक तत्वों को कहते हैं जो मुख्य रूप से रस के और गौण रूप से शब्दार्थ के नित्य धर्म हैं |” काव्य गुणों की संख्या … Read more

छंद ( Chhand )

दोहा छंद ( Doha Chhand ) लक्षण – दोहा मात्रिक अर्द्धसम छंद है | इस छंद में कुल 4 चरण होते हैं | विषम चरणों में ( पहले और तीसरे चरण में ) 13 -13 और सम चरणों ( दूसरे और चौथे चरणों में ) में 11 -11 मात्राएं होती हैं | प्रत्येक पंक्ति के … Read more

तुलसीदास का साहित्यिक परिचय ( Tulsidas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – तुलसीदास जी भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की रामकाव्य धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं | तुलसीदास जी की जन्म-तिथि व जन्म-स्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है | परंतु फिर भी अधिकांश विद्वान मानते हैं कि इनका जन्म 1532 ईस्वी में उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ | इनके पिता … Read more

व्यंजना शब्द-शक्ति की परिभाषा एवं भेद ( Vyanjana Shabd Shakti : Arth, Paribhasha Evam Bhed )

जहां शब्द का अर्थ अभिधा तथा लक्षणा शब्द-शक्तियों के द्वारा नहीं निकलता वहाँ शब्द की गहराई में छिपे हुए अर्थ को प्रकट करने वाली शक्ति व्यंजना शब्द-शक्ति कहलाती है | इससे जो अर्थ प्रकट होता है, उसे व्यंग्यार्थ कहते हैं | ‘व्यंजना’ शब्द ‘वि+अंजना’ से बना है जिसका अर्थ है – विशेष दृष्टि | इसका … Read more

लक्षणा शब्द-शक्ति का अर्थ व प्रकार ( Lakshna Shabd Shakti Ka Arth V Prakar )

मुख्यार्थ के बाधित होने पर जब किसी अन्य अर्थ का बोध होता है तो उस अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं तथा वह शब्द-शक्ति जो यह अर्थ प्रकट करवाती है उसे लक्षणा शब्द-शक्ति कहते हैं | उदाहरण – सुरेश तो निरा बंदर है | इस वाक्य में सुरेश को बंदर बताया गया है जबकि वास्तव में … Read more