मुहम्मद तुगलक की हवाई योजनाएं

मुहम्मद तुगलक की हवाई योजनाएं
मुहम्मद तुगलक की हवाई योजनाएं

मुहम्मद तुगलक ने 1325 ई० से 1351 ई० तक शासन किया। उसे इतिहास में ‘विचारवान’ कहा जाता है। इतिहास कुछ विचित्र घटनाओं से भरा हुआ है। अलाऊद्दीन खलजी व अकबर अनपढ़ होते हुए भी महान कहलाए। मुहम्मद तुगलक शिक्षित होते भी ‘मूर्ख’ कहलाया। उसके सभी कार्य महान उद्देश्यों से प्रेरित होकर किए गए। परन्तु उसकी कार्य-विधि में कुछ भूलें हो गईं। अतः उसकी सारी योजनाएं असफल हो गईं। वह प्रजा की भलाई चाहता था, परन्तु उसकी योजनाओं ने जनता के कष्टों को बढ़ा दिया | उसकी सोच अच्छी थी , परन्तु उसमें दृढ़ संकल्प का अभाव था। उसमें धैर्य की कमी थी | वह किसी भी योजना को अधिक समय नहीं देता था तथा शीघ्र ही एक योजना को छोड़कर दूसरी योजना पर लग जाता था | यही कारण है कि उसकी विद्वता उसके कोई काम नहीं आई। मुहम्मद तुगलक की हवाई योजनाएं यद्यपि असफल रही परन्तु इतिहास प्रसिद्ध हैं |

मुहम्मद तुगलक की हवाई योजनाएं

मुहम्मद तुगलक ने निम्नलिखित योजनाएँ बनाई —

(1) राजधानी परिवर्तन (Shifting of Capital)

1327 ई० में सुलतान ने दिल्ली के स्थान पर देवगिरी (दौलताबाद) को अपनी राजधानी बनाया। यह उसका एक बहुत बड़ा कार्य माना जाता है। राजधानी बदलना तो कोई नई बात नहीं थी। यह योजना युक्ति विरुद्ध भी नहीं थी। इस योजना का उद्देश्य राज्य की भलाई करना था। राजधानी परिवर्तन के कुछ कारण भी थे, जो निम्नलिखित हैं —

(i) देवगिरी उसके साम्राज्य के लगभग बीच में था और वहाँ से प्रशासन करने की सुविधा थी।

(ii) देवगिरी मंगोलों के आक्रमण से बहुत दूर था। अतः अधिक सुरक्षित था।

(iii) दक्षिण भारत धन-सम्पदा से भरा हुआ था और सुलतान उससे लाभ उठाना चाहता था।

(iv) दक्षिण विद्रोही था। अतः वहाँ सुलतान की निजी उपस्थिति की आवश्यकता थी।

(v) सुलतान को दिल्ली में गुमनाम पत्र आते थे, जिनमें सुलतान को गालियाँ दी जाती थीं।

सुलतान ने सभी दिल्ली निवासियों को आदेश दिया कि वे देवगिरी चलें। देवगिरी नगर को सजाया गया। रास्ते में अस्थायी झोंपड़ियाँ, छायादार वृक्ष और खाने का मुफ्त प्रबन्ध किया गया। यात्रियों को सभी सुविधाएं दी गईं, परन्तु मार्ग में 700 मील की यात्रा के कारण और शारीरिक व मानसिक पीड़ा के कारण काफी लोग मर गए। कुछ दौलताबाद पहुँचकर मर गए। जब वहाँ की जलवायु ठीक नहीं लगी और परिणाम भी विपरीत सिद्ध होने लगे तो पुनः दिल्ली को राजधानी बनाया गया।

इस प्रकार एक अच्छी योजना असफल हो गई। उचित तो यही था कि कार्यालय, मन्त्री एवं कर्मचारी ही देवगिरी चले जाते। दिल्ली को खाली करना उसकी एक महान भूल थी।

असफलता के कारण (Causes of Failures)

मुहम्मद तुगलक की राजधानी-परिवर्तन की असफलता के कारण निम्नलिखित थे —

(i) दौलताबाद कभी आबाद नहीं हुआ, क्योंकि लोग दिल्ली को नहीं भुला सकते थे।

(ii) मंगोलों ने अधिक आक्रमण किए, क्योंकि राजधानी बहुत दूर थी।

(ii) दिल्ली के मुसलमान दक्षिण के हिन्दू वातावरण में नहीं ढल सके।

(iv) जनता के कष्ट भी इस योजना को ले डूबे।

(v) इस परिवर्तन से उत्तरी भारत में विद्रोह होने लगे। अतः दिल्ली को ही राजधानी बनाया गया। पुनः जन-धन की हानि हुई।

दौलताबाद सुलतान की गलत दिशा में लगाई गई शक्ति का स्मारक था। इससे सुलतान का कोष खाली हो गया। अब वह जनता में अप्रिय होने लगा। सुलतान की योजना गलत नहीं थी, बल्कि योजना को कार्यरूप देना गलत था।

(2) सांकेतिक मुद्रा (Token Currency)

मुहम्मद तुगलक को ‘मुद्राओं का राजकुमार’ कहा जाता है। उसने सोने और चाँदी के सुन्दर सिक्के प्रचलित किए। 1330 ई० में सुलतान ने तांबे की सांकेतिक मुद्रा जारी करने का प्रयोग किया।

मुहम्मद तुगलक द्वारा सांकेतिक मुद्रा जारी करने के निम्नलिखित कारण थे —

(i) राज्यकोष में बहुमूल्य धातुएं नहीं थीं। युद्धों एवं विद्रोहों के कारण शाही कोष खाली हो चूका था।

(ii) अकाल के कारण राज्य की आय काफी कम हो गई थी।

(iii) सैनिक एवं प्रशासन के खर्च के लिए रुपए की आवश्यकता थी।

(iv) सुलतान को नए प्रयोग करने का चाव था। वह भारतीय मुद्रा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ना चाहता था।

(v) चीन और ईरान में भी उस समय सांकेतिक मुद्रा जारी हुई थी। सुलतान ने उनका अनुकरण किया।

तांबे के सिक्कों को राजमुद्रा घोषित किया गया। इन सिक्कों का मूल्य, सोने तथा चाँदी के सिक्कों के बराबर रखा गया। यह योजना थोड़े ही दिन चली। इससे राज्य को अपार आर्थिक हानि उठानी पड़ी। अन्त में इसे बन्द कर दिया गया। सुलतान का एक और अच्छा प्रयास असफल हुआ।

असफलता के कारण (Causes of Failure)

सांकेतिक मुद्रा की असफलता के कारण निम्नलिखित थे —

( i) टकसाल पर एकाधिकार रखने के लिए कोई पग नहीं उठाया गया। लोगों ने घरों में तांबे के सिक्के बना लिए। हर हिन्दू और सुनार का घर टकसाल बन गए। ताँबे के सिक्कों से कर चुकाया जाने लगा।

(i) व्यापार समाप्त हो गया, क्योंकि तांबे के सिक्के लेने से हर किसी ने इन्कार कर दिया।

(ii) काफ़ी हानि हो जाने के बाद सुलतान को गलती का आभास हुआ। यह घोषणा की गई कि लोग ताँबे के सिक्कों को सरकारी कोष में जमा करवाकर चाँदी के सिक्के ले लें। बहुत संख्या में ताँबे के सिक्के बनाकर उनके बदले में चाँदी के सिक्के ले लिए गए। ताँबे के सिक्कों का ढेर लग गया। उन्हें गैर-कानूनी घोषित करके भूमि में गड़वा दिया गया।

(3) दोआब में कर-वृद्धि की योजना (Planning of Tax Increase in Doab)

सुलतान मुहम्मद तुगलक ने दोआब में कर-वृद्धि की योजना भी बनाई। जिन कारणों से उसने योजना बनाई, वे निम्नलिखित हैं —

(i) सुलतान दानशील था। उसने बहुत-सा रुपया कवियों, निर्धनों में बाँट दिया। उसका कोष खाली था और उसे रुपए की आवश्यकता थी |

(i) विजय अभियानों और सुधार योजनाओं के लिए भी रुपए की आवश्यकता पड़ी।

(iii) दोआब उपजाऊ क्षेत्र था। वहाँ के हिन्दू अधिक धनी थे। अतः वे अधिक कर दे सकते थे |

1380 ई० में थोड़ा-सा राजस्व कर बढ़ाया गया। (बरनी के अनुसार 10 गुणा, फरिश्ता के अनुसार तीन गुणा) यह कर ऐसे समय में बढ़ाया गया जब लोग इसे नहीं दे सकते थे।

असफलता के कारण (Causes of Failures)

दोआब में कर-वृद्धि की असफलता के निम्नलिखित कारण थे —

(i) उस वर्ष दोआब में भयंकर अकाल पड़ गया और लोगों ने कर देने से इन्कार कर दिया।
(ii) सुलतान क्रोधित हो गया और उसने किसानों के घरों और खेतों को आग लगवा ही। बरनी के अनुसार लाखों लोग मारे गए, किसान विद्रोही हो गए और उनकी कमर टूट गई। अनेक किसान जंगलों में भाग गए।

एक उपजाऊ और समृद्ध क्षेत्र पर कर बढ़ाना कोई अनुचित कार्य नहीं था। सुलतान अलाऊद्दीन खिलजी ने भी ऐसा किया था। परन्तु लोग कर बढ़ाने से नहीं, अपितु अकाल से उत्पन्न स्थिति से विद्रोही बने |

जब सुलतान को वास्तविक स्थिति का ज्ञान हुआ तो उसने कर वापिस ले लिया। उसने किसानों को फिर बसाने के लिए उनकी सहायता की परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

(4) कृषि विभाग की स्थापना

यह भी मुहम्मद तुगलक का एक महत्वपूर्ण प्रयोग था। इस विभाग का नाम ‘दीवाने कोही’ रखा गया। इसका उद्देश्य कृषि-योग्य भूमि का विस्तार करना था। 60 वर्ग मील भूमि छाँटकर बारी-बारी से विभिन्न फसलें उगाई गईं। भूमि-हीन किसानों को इस भू-खण्ड से भूमि दी गई। भूमि की देखभाल करने के लिए अनेक रक्षक अधिकारी नियुक्त किए गए। इस योजना पर भारी धनराशि खर्च की गई।

असफलता के कारण (Causes of Failures)

कृषि विभाग की असफलता के कारण निम्नलिखित हैं —

(i) प्रयोग के लिए चुनी हुई भूमि पथरीली थी।

(ii) यह प्रयोग केवल तीन वर्ष तक चला। अतः कोई ठोस लाभ नहीं हो सका।

(ii) यह प्रयोग पूर्णतः नया था। सुलतान ने इस ओर निजी ध्यान नहीं दिया तथा कर्मचारी भी इसे उचित कार्यरूप नहीं दे सके।

(iv) योजना का रुपया कर्मचारी हड़प कर गए। कुछ रुपया किसानों ने अपनी निजी आवश्यकताओं पर खर्च कर दिया।

(5) मुहम्मद तुगलक की विजय योजनाएं

मुहम्मद तुगलक ने साम्राज्य विस्तार के लिए कुछ विजय योजनाएँ बनाई जिनका वर्णन निम्नलिखित प्रकार है —

(i) सुलतान सारे संसार को जीतना चाहता था। पहले उसने ईरान-विजय की योजना बनाई। उसने 3 लाख 70 हज़ार सैनिकों की एक विशाल सेना तैयार की। सेना को एक वर्ष का वेतन पहले ही दे दिया गया। मंगोल ईरान से आक्रमण करते थे। अतः योजना बुरी नहीं थी, परन्तु यह योजना एक वर्ष बाद त्याग दी गई। वेतन पाने वाली सेना तोड़ दी गई। इस सेना ने अपने ही राज्य में लूटमार आरम्भ कर दी | राज्य में अराजकता फ़ैल गई | इस प्रकार सुलतान की यह योजना भी असफल रही | प्रजा में उसकी छवि और ख़राब हो गई |

(ii ) सुलतान ने इसके पश्चात कराचल ( कुल्लू ) विजय की योजना बनाई | इसका मुख्य उद्देश्य चीन की तरफ से होने वाले आक्रमणों से राज्य की रक्षा करना था परन्तु अचानक मौसम ख़राब हो गया | वर्षा और बर्फबारी ने सैनिकों को बीमार कर दिया | वैसे भी पहाड़ी परिस्थितियों का सामना करना सैनिकों के लिए आसान नहीं था | मजबूरन सेना को वापस लौटना पड़ा | वापस लौटती सेना पर कराचल के निवासियों ने पत्थरों से हमला कर दिया | ऐसा माना जाता है कि 10 हजार सैनिकों में से केवल दस सैनिक ही जीवित वापस लौट पाये |

इस प्रकार सुल्तान की यह योजना भी सही ढंग से क्रियान्वित न होने के कारण विफल हो गई | हमले के लिए पहाड़ी परिस्थितियों का अभ्यास आवश्यक था | साथ ही हमले के लिए सही मौसम का चुनाव करना भी जरूरी था |

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि मुहम्मद तुगलक एक विचारवान शासक था | शिक्षित होने के कारण संभवत: उसने विभिन्न देशों की शासन प्रणाली तथा योजनाओं को पढ़ा होगा और उन्हीं योजनाओं में से उसने कुछ योजनाओं को अपने राज्य में लागू करने का प्रयास किया | मुहम्मद तुगलक की हवाई योजनाएं वास्तव में अच्छी योजनाएं थी जो राज्य की शान्ति तथा समृद्धि के लिए आवश्यक थी परन्तु सही क्रियान्वयन और धैर्य के अभाव में वे योजनाएं असफल हो गई | वह जीवन भर नए प्रयोग करता रहा परन्तु उसने न तो इन प्रयोगों को करने से पहले सही तैयारी की और न ही उन योजनाओं को सफल करने के लिए धैर्य का परिचय दिया | यही कारण है कि मुहम्मद तुगलक को शिक्षित व विचारवान होते हुए इतिहास में ‘पढ़े लिखे मूर्ख’ का तमगा हासिल हुआ |

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