स्वच्छता की नौटंकी

स्वच्छता की नौटंकी नौटंकी के नित नये आयाम गढे जा रहे हैं | गौ रक्षा और देशभक्ति के स्वांग के बाद जिस तरह से  स्वच्छता अभियान के नाम पर रसातल में पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था और अनेक सरकारी उपक्रमों की बर्बादी की अपार सफलता के बाद,  देश हित के अनेक आवश्यक मुद्दों को दरकिनार करके पहले से स्वच्छ स्थानों पर गन्दगी का ढेर लगाकर नौटंकीबाज सफाई का ढोंग रचा रहे हैं वह प्रचार तंत्र के घटियापन के साथ-साथ उस भारतीय जनता के मानसिक दिवालियापन को भी इंगित करता  है जो  इस  नौटंकी पर मुग्ध हो रही है |जैसे ही किसी नौटंकीबाज के आगमन की  सूचना मिलती है सफाई कर्मचारी अपने काम पर जी जान से जुट जाते हैं परन्तु तब वे क्षोभ मिश्रित हास्य से फट पड़ते हैं जब उसी स्थान पर चुन कर अच्छा सा कचरा ( शायद सुगन्धित पुष्प या इत्र भी बिखेरे जाते हों ) बिखेर दिया जाता है और सैंकड़ों लोगों का समूह चापलूस मिडिया के साथ उसे साफ करने के नाम पर फिर से इधर उधर बिखेर जाता है | स्वच्छता  अभियान के नाम पर हर वर्ष लाखों कर्मचारियों को उनके वास्तविक काम से विमुख कर स्वच्छता का ढोंग करने के लिए बाध्य किया जाता है और फिर कुछ बेक़सूर अफसरों को निलंबित कर प्रशासनिक विफलता को छिपाने के साथ-साथ पक्षपात के लिए लालायित मिडिया के सहयोग से  ईमानदारी का तमगा भी हथिया ले जाते हैं |
अब देखना ये है कि कब तक सत्ता के दुरुपयोग, नकली आंकड़ों व  पक्षपाती मिडिया के  सहयोग से ये नौटंकी जारी रहती है | वैसे हर नाटक की  तरह  इस नाटक का पर्दा भी गिरना तय है और आशा है कि लोगों को दिग्भ्रमित  करने वाले इस तिलिस्मी नाटक का यह संभवत: अंतिम अंक हो |
 

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