भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भगत सिंह का योगदान ( Bhartiy Rashtriy Andolan Me Bhagat Singh Ka Yogdan )

भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी तथा महान विचारक थे | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका अद्वितीय योगदान है | छोटी आयु में ही उन्होंने ऐसे महान कार्य किए कि विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति भयभीत हो गई | उन्होंने ‘नौजवान भारत सभा’ तथा ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ जैसे क्रांतिकारी संगठनों की स्थापना की | … Read more

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान ( Bhartiy Rashtriy Andolan Me Subhash Chandra Bose Ka Yogdan )

नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक महान क्रांतिकारी तथा महान विचारक थे | उनके जीवन तथा उनकी उपलब्धियों का वर्णन इस प्रकार है : – प्रारंभिक जीवन सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक नामक स्थान पर हुआ | उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस तथा माता का नाम प्रभावती देवी … Read more

भारत छोड़ो आंदोलन : आरंभ, कारण, कार्यक्रम व महत्व ( Bharat Chhodo Andolan : Karan, Karykram, Arambh, Mahattv )

भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे अंतिम का सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन था यह आंदोलन 1942 ईस्वी में महात्मा गांधी जी ने चलाया | इस आंदोलन का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है :- भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण ( Bharat Chhodo Andolan Ke Pramukh Karan ) भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित … Read more

राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में सहायक तत्व या कारक ( Rashtriya Andolan Ke Vikas Mein Sahayak Tattv Ya Karak )

1857 ईo क्रांति असफल हो गई थी परंतु इस क्रांति के पश्चात भारत में राष्ट्रीयता का तेजी से विकास होने लगा | 1857 ईo की क्रांति ने लोगों को इस बात का एहसास करा दिया कि अगर वे संगठित होकर अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन करें तो वह दिन दूर नहीं जब अंग्रेजों को भारत से … Read more

सांप्रदायिकता : अर्थ, परिभाषा, उद्भव एवं विकास ( Sampradayikta Ka Arth, Paribhasha, Udbhav Evam Vikas )

उन्नीसवीं सदी के अंत तक राष्ट्रवाद के साथ-साथ सांप्रदायिकता का विकास होने लगा था | इसके विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय आंदोलन की एकता के लिए खतरा उत्पन्न होने लगा था | सांप्रदायिकता के उद्भव और विकास को जानने से पहले इसके अर्थ को जानना आवश्यक है | सांप्रदायिकता का अर्थ ( Sampradayikta Ka Arth ) … Read more

1857 ईo की क्रांति के पश्चात प्रशासनिक व्यवस्था में परिवर्तन

1858 ईस्वी में भारत में प्रशासनिक व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन किए गए | भारत में कंपनी के शासन का अंत कर दिया गया और भारत का शासन ब्रिटेन की संसद के अधीन कर दिया गया | 1858 ईo में प्रशासनिक व्यवस्था में किए गए परिवर्तनों का वर्णन इस प्रकार : – (क ) केंद्रीय प्रशासन … Read more