भारत के प्राकृतिक प्रदेश : तटीय मैदान तथा द्वीप समूह

भारत के तटीय मैदान भारत की तटरेखा लगभग 6,000 किमी. लम्बी है, जो पश्चिम में कच्छ के रन (Rann of Kutch) से पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा तक विस्तृत है। प्रायद्वीपीय पठार की पश्चिमी एवं पूर्वी सीमा तथा भारतीय तटरेखा के बीच स्थित सँकरे मैदान को तटीय मैदान कहते हैं | पश्चिमी तटरेखा एवं पश्चिमी घाट … Read more

भारत के प्राकृतिक प्रदेश : प्रायद्वीपीय पठार

भारत का प्रायद्वीपीय पठार एक अनियमित त्रिभुजाकार आकृति का है, जिसका आधार उत्तर की ओर है और शीर्ष दक्षिण में कन्याकुमारी द्वारा बनाया जाता है। इसकी उत्तरी सीमा एक अनियमित रेखा है, जो कच्छ से अरावली पर्वत के पश्चिम छोर को छूती हुई दिल्ली के निकट पहुँचती है। इसके बाद यह यमुना तथा गंगा के … Read more

भारत के प्राकृतिक प्रदेश : विशाल उत्तरी मैदान

हिमालय पर्वत के दक्षिण में सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों की निक्षेप क्रिया द्वारा निर्मित एक विशाल मैदान स्थित है, जिसे भारत का विशाल उत्तरी मैदान कहते हैं। सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा निर्मित होने के कारण इसे सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी कहते हैं। गंगा और सिंधु नदियों के मुहाने के बीच पूर्व … Read more

भारत के प्राकृतिक प्रदेश : हिमालय पर्वत

भारत के उच्चावच अथवा धरातल या भू-आकृतिक लक्षणों में अत्यधिक विविधता पाई जाती है। यहाँ पर कहीं तो ऊँचे गगनचुम्बी पर्वत हैं, तो कहीं पर सपाट मैदान और प्राचीन चट्टानों वाले पठार विद्यमान है। भारत में सम्पूर्ण क्षेत्रफल का 10.7% पर्वतीय भाग (2135 मीटर ऊँचे), 18.6% पहाड़ियां (305 से 2.135 मीटर ऊँचे), 27.7% पठारी क्षेत्र … Read more

भारत की भूगार्भिक संरचना

भूगर्भिक संरचना पर किसी प्रदेश का उच्चावच अथवा धरातल तथा वहां की मृदा की बनावट निर्भर करती है | भूगार्भिक संरचना के अध्ययन से ही हमें भूगर्भ में छिपे हुए बहुमूल्य खनिजों की जानकारी मिलती है | अतः किसी भी देश का भौगोलिक अध्ययन करने से पूर्व वहां की भौगोलिक संरचना का ज्ञान होना अनिवार्य … Read more

भारत का भौगोलिक परिचय

भारत का भौगोलिक परिचय इसके अक्षांशीय व देशान्तरीय विस्तार, इसके क्षेत्रफल तथा इसके मैदानों, पर्वतों, पठारों आदि को समाहित किए है | अतः इन सबका संक्षिप्त वर्णन करना आवश्यक होगा | भारत 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तथा 68°7′ पूर्वी देशांतर से 97°25′ पूर्वी देशांतर के बीच फैला हुआ है। इस प्रकार इसका … Read more

विश्व के जलवायु प्रदेश

विश्व के जलवायु प्रदेश विभिन्न स्थानों पर जलवायु की समानता के आधार पर पृथ्वी तल के प्रमुख विभाग हैं | पृथ्वी पर चार वृहद जलवायु प्रदेश हैं जिन्हें कटिबंध भी कहा जाता है | सामान्य रूप से संसार की जलवायु को 12 प्रमुख जलवायु प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है … Read more

मृदा का वर्गीकरण और मृदा अपरदन

मृदा — मृदा या मिट्टी खनिज और जैव तत्त्वों का वह प्राकृतिक मिश्रण है जिसमें वनस्पति एवं पौधे उत्पन्न करने की क्षमता होती है | यह धरातल के ऊपरी भाग में पाई जाती है | मृदा का वर्गीकरण मृदा के संघटन के आधार पर किया जाता है | मृदा का सामान्य वर्गीकरण मृदा का वर्गीकरण … Read more

भूकंप के कारण, भूकंपीय तरंगें व भूकंप संभावित क्षेत्र

भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल (लिथोस्फीयर) में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकंप के कारण भारी जान माल की हानि होती है | भूकंप ( Earthquake ) भूकंप का साधारण अर्थ है … Read more

ज्वालामुखी : अर्थ, उद्गार के कारण, प्रकार / वर्गीकरण व क्षेत्र

ज्वालामुखी पृथ्वी पर होने वाली एक आकस्मिक घटना है। इससे भू-पटल पर अचानक विस्फोट होता है, जिसके द्वारा लावा, गैस, धुंआ, राख, कंकड़, पत्थर आदि बाहर निकलते हैं। इन सभी वस्तुओं का निकास एक प्राकृतिक नली द्वारा होता है, जिसे ‘निकास नलिका’ (Vent or Neck) कहते हैं। लावा धरातल पर आने के लिए एक छिद्र … Read more

वायुमंडल : संघटन तथा परतें

वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर गैसों के मिश्रण का एक विशाल आवरण है जो कई सौ किलोमीटर मोटा है | इस आवरण को ही वायुमंडल कहा जाता है | यह सौर विकिरण की लघु तरंगों के लिए पारदर्शी है लेकिन पार्थिव विकिरण की लंबी तरंगों के लिए अपारदर्शी है | इस प्रकार यह पृथ्वी पर … Read more

सूर्यातप,तापमान, ताप कटिबंध व तापांतर

सूर्यातप, तापमान, ताप कटिबंध व तापांतर के अर्थ, प्रकारों तथा इनको प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है — सूर्यातप पृथ्वी तथा उसके वायुमंडल के लिए समस्त ऊर्जा का स्रोत सूर्य है। सूर्य के तल से ऊष्मा निरन्तर लघु तरंगों (Short Waves) के रूप में विकिरित होती रहती है | सूर्य से … Read more

पारिस्थितिक तंत्र : अर्थ, विशेषताएं, संरचना तथा प्रकार

पारिस्थितिक तंत्र का अर्थ पारिस्थितिक तंत्र ( Ecosystem ) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए जी टान्सले ने 1935 में किया | टॉन्सले के अनुसार पारिस्थितिक तंत्र भौतिक तंत्रों का एक विशेष प्रकार होता है जिसकी रचना जीवों तथा अजैविक संघटकों से होती है | यह अपेक्षाकृत स्थिर दशा में होता है | यह विवृत्त तंत्र … Read more

पवन की उत्पत्ति के कारण व प्रकार

एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर चलने वाली वायु ( Air ) को पवन ( Wind ) कहते हैं | पवन के प्रकारों को जानने से पहले पवन की उत्पत्ति के कारण जानना आवश्यक होगा | पवन की उत्पत्ति के कारण पवन धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण चलती है | जिस … Read more

वायुमंडलीय दाब : अर्थ एवं प्रकार

वायुमंडलीय दाब पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है | अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुपात मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रव स्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है | वायु एक … Read more