हिंदी उपन्यास का विकास ( संक्षिप्त )

हिंदी में उपन्यास का लेखन 19वीं सदी में आरंभ हुआ | अंग्रेजी उपन्यासों से प्रभावित होकर पहले बांग्ला भाषा में उपन्यास लिखे गए | बाद में बांग्ला तथा अंग्रेजी के उपन्यासों से प्रभावित होकर हिंदी में उपन्यास लिखे जाने लगे |

यह विवाद का विषय है कि हिंदी का प्रथम उपन्यास किसे माना जाए | इंशा अल्ला खान द्वारा रचित रानी केतकी की कहानी, श्रद्धा राम फिल्लौरी द्वारा रचित भाग्यवती तथा लाला श्रीनिवास दास का परीक्षा गुरु कुछ ऐसी रचनाएं हैं जिन्हें हिंदी का प्रथम उपन्यास माना जाता है | आचार्य रामचंद्र शुक्ल तथा अधिकांश अन्य विद्वान लाला श्रीनिवास द्वारा रचित परीक्षा गुरु उपन्यास को हिंदी का प्रथम उपन्यास मानते हैं | यह उपन्यास सन 1882 में प्रकाशित हुआ था |

हिंदी उपन्यास के विकास को निम्नलिखित शीर्षकों में बांटा जा सकता है :

(1) पूर्व प्रेमचंद युग के उपन्यास

(2) प्रेमचंद युग के उपन्यास

(3) प्रेमचंदोत्तर युग के उपन्यास

(1) पूर्व प्रेमचंद युग के उपन्यास

इस युग का समय 1877 से सन 1918 तक माना जाता है | भाग्यवती इस युग का प्रथम उपन्यास है जो 1877 में प्रकाशित हुआ | इस उपन्यास के लेखक श्रद्धा राम फिल्लौरी थे | इसमें मुख्य रूप से नारी जीवन की समस्याओं को उठाया गया है | 1882 में प्रकाशित लाला श्रीनिवास दास का परीक्षा गुरु इस युग का महत्वपूर्ण उपन्यास है | इसमें कुसंगति के बुरे प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है |

इस युग के अन्य उपन्यासकारों में बालकृष्ण भट्ट, किशोरी लाल गोस्वामी, अयोध्या सिंह उपाध्याय आदि प्रमुख हैं | इन युग के उपन्यासों में मुख्यतः समाज सुधार का स्वर मिलता है |

इस युग में जासूसी तथा तिलिस्मी उपन्यास भी लिखे गए |

देवकीनंदन खत्री का उपन्यास चंद्रकांता संतति सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यास रहा | इस उपन्यास को पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिंदी सीखी | गोपाल राम गहमरी भी प्रसिद्ध जासूसी उपन्यास लेखक हैं |

किशोरी लाल गोस्वामी ने ऐतिहासिक उपन्यास लिखे |

इसके अतिरिक्त इस युग में अंग्रेजी, बांग्ला आदि भाषाओं के उपन्यासों का हिंदी में अनुवाद भी हुआ|

(2) प्रेमचंद युग के उपन्यास

प्रेमचंद युग की समय सीमा 1918 से 1936 तक मानी जा सकती है | प्रेमचंद हिंदी के सबसे अधिक प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं | उन्हें उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है | सेवासदन, प्रेमाश्रम, निर्मला, गबन, गोदान आदि उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं | सन 1936 में उनका देहांत हो गया | मंगलसूत्र उनका अधूरा उपन्यास है |

प्रेमचंद युग के दूसरे प्रमुख उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद हैं | उन्होंने कंकाल, तितली,इरावती उपन्यास लिखे | इरावती उनका अधूरा उपन्यास है |

जैनेंद्र कुमार ने इस युग में प्रेमचंद से हटकर नई तरह के उपन्यास लिखे | सुनीता, कल्याणी, परख आदि उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं | उनके उपन्यासों को मनोवैज्ञानिक उपन्यास माना जाता है |

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, वृंदावन लाल वर्मा, राहुल सांकृत्यायन, पांडे बेचन शर्मा उग्र आदि इस युग के अन्य प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं |

इस युग के उपन्यास जनजीवन से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं |

(3) प्रेमचंदोत्तर युग के उपन्यास

प्रेमचंदोत्तर युग के उपन्यासों में अनेक नई प्रवृतियां दिखाई देती हैं | अतः इस युग के उपन्यासों को निम्न भागों में बांटा जा सकता है —

(i) सामाजिक उपन्यास

(ii) मनोवैज्ञानिक उपन्यास

(iii) साम्यवादी उपन्यास

(iv) ऐतिहासिक उपन्यास

(v) आंचलिक उपन्यास

(i) सामाजिक उपन्यास

पूर्व प्रेमचंद युग और प्रेमचंद युग में अनेक सामाजिक उपन्यास लिखे गए | प्रेमचंदोत्तर युग में भी यह प्रयास जारी रहा लेकिन सामाजिक समस्याएं बदलने लगी | आचार्य चतुरसेन शास्त्री और उपेंद्रनाथ अश्क ने नारी सुधार के नाम पर किए जा रहे नारी-शोषण को उजागर किया | अमृतलाल नागर, उदय शंकर भट्ट और विष्णु प्रभाकर ने मध्यम वर्गीय समाज का चित्रण किया है |

(ii) मनोवैज्ञानिक उपन्यास

मनोवैज्ञानिक उपन्यासों में कथानक की अपेक्षा पात्रों को महत्व दिया जाता है | इलाचंद्र जोशी, जैनेंद्र कुमार और अज्ञेय प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार हैं | इलाचंद्र जोशी ने जहाज का पंछी, जैनेंद्र कुमार ने सुनीता, कल्याणी परख उपन्यास लिखे | अज्ञेय ने शेखर : एक जीवनी तथा नदी के द्वीप उपन्यास लिखे |

मनोवैज्ञानिक उपन्यासों में बाह्य संघर्ष की अपेक्षा व्यक्ति के अंतः संघर्ष को दिखाया गया है |

(iii) साम्यवादी उपन्यास

मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित होकर लिखे जाने वाले उपन्यासों को साम्यवादी उपन्यास कहा जाता है | यशपाल सबसे अधिक महत्वपूर्ण साम्यवादी उपन्यासकार हैं | दादा कामरेड, पार्टी कॉमरेड आदि उनके साम्यवादी उपन्यास हैं | नागार्जुन, रांगेय राघव तथा अमृतराय में भी साम्यवादी उपन्यास लिखे |

साम्यवादी उपन्यासों में पूंजीवाद का विरोध करके दलितों तथा मजदूरों के हक की आवाज उठाई गई है |

(iv) ऐतिहासिक उपन्यास

इस युग के ऐतिहासिक उपन्यासकारों में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, वृंदावनलाल वर्मा, राहुल सांकृत्यायन और हजारी प्रसाद द्विवेदी का नाम प्रमुख है | इन उपन्यासकारों ने ऐतिहासिक उपन्यासों के माध्यम से वर्तमान समस्याओं पर प्रकाश डाला है |

(v) आंचलिक उपन्यास

आंचलिक उपन्यास वे उपन्यास होते हैं जिसमें किसी प्रदेश की संस्कृति का सजीव चित्रण किया जाता है | शिवपूजन सहाय, फणीश्वरनाथ रेणु, रांगेय राघव, नागार्जुन आदि प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यासकार हैं | फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित मैला आंचल हिंदी साहित्य का सर्वाधिक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास माना जाता है |

इसके अतिरिक्त प्रेमचंदोत्तर युग में आधुनिक बोध के उपन्यास भी मिलते हैं | यह उपन्यास अपनी प्रयोगशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं | इन उपन्यासों में आधुनिकता, औद्योगिकरण, अति बौद्धिकता, पश्चिमी विचारधारा का चित्रण मिलता है | लगभग सभी आधुनिक उपन्यासकार इस प्रकार के उपन्यास रच रहे हैं |

अतः स्पष्ट है कि हिंदी उपन्यास निरंतर विकास की और गतिशील है | समय के अनुसार इसकी कला और शिल्प में निरंतर परिवर्तन आ रहे हैं |

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