मशीनी अनुवाद : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप व प्रकार

सामान्य शब्दों में एक भाषा की सामग्री को दूसरी भाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है | एक अनुवादक स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा दोनों की बारीकियों को समझते हुए अनुवाद कार्य का निष्पादन करता है | अनुवाद एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि इसमें केवल शब्दों को ही दूसरी भाषा में रूपांतरित नहीं किया जाता बल्कि दूसरी भाषा की संस्कृति, समाज तथा परिवेश के अनुरूप वाक्य संरचना में परिवर्तन भी करना पड़ता है | भाषागत परिवर्तन होने पर भी भावगत साम्य अनुवाद की आत्मा है | आधुनिक समय में अनुवाद की प्रक्रिया में भी मशीनीकरण हुआ है | अब कंप्यूटर के माध्यम से विभिन्न भाषाओं की सामग्री का अन्य भाषाओं में अनुवाद संभव हो रहा है | इस प्रक्रिया को मशीनी अनुवाद कहा जाता है |

मशीनी अनुवाद का अर्थ तथा परिभाषा

मशीनी अनुवाद का अर्थ है – कंप्यूटर द्वारा स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में किसी पाठ का अनुवाद करना | जिस प्रकार एक सामान्य अनुवादक विश्लेषण, भावांतरण और समायोजन करता है उसी प्रकार कंप्यूटर भी इस प्रक्रिया से गुजरता है | कंप्यूटर में यह प्रक्रिया एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से पूरी होती है | मशीनी अनुवाद में विश्लेषण की प्रक्रिया को पार्सर और समायोजन को जनरेटर कहते हैं | इस अनुवाद की प्रक्रिया में मशीन ही भाषा का विश्लेषण करती है, द्विभाषी या बहुभाषी कोष का निर्माण करती है और भाषा के आधार पर अनुदित सामग्री का विश्लेषण और मूल्यांकन करती है |

वस्तुतः मशीनी अनुवाद में सामान्य अनुवाद की भांति सारी प्रक्रिया घटित होती है | अंतर केवल इतना है कि अनुवाद में जो काम मानव करता है वही काम मशीनी अनुवाद में मशीन अर्थात कंप्यूटर करता है |

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर मशीनी अनुवाद को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है —

“किसी लेख को स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में मशीन के माध्यम से यथासंभव समान आशय के साथ प्रस्तुत करना मशीनी अनुवाद कहलाता है |”

मशीनी अनुवाद का इतिहास या विकास क्रम

मशीनों के माध्यम से अनुवाद का आरंभ है सन 1956 ईस्वी में जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय वॉशिंगटन के ‘मशीन ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड लैंग्वेज प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत किया गया लेकिन इससे भी पूर्व सन् 1939 में रूस के दो वैज्ञानिकों हिमर्नोव तथा त्रायनस्की ने इस क्षेत्र में पहल की थी | उन्होंने 1944 में मॉस्को में उसका प्रदर्शन भी किया लेकिन इस मॉडल की स्मरण शक्ति केवल 1000 शब्दों तक सीमित थी |

मशीनी अनुवाद का कार्य 1950 के लगभग महान गणितज्ञ डॉक्टर वारेन कीपर ने आरंभ किया था | उन्होंने यह अनुभव किया था कि कंप्यूटर के पास बड़ी उपयोगी तार्किक प्रणाली है जिसका उपयोग जहाँ एक ओर अंकिय गणनाओं के लिए हो सकता है वहीं दूसरी ओर भाषा संबंधी विश्लेषण और संश्लेषण के लिए भी हो सकता है |

वाशिंगटन में 1954 ईस्वी में न्यूयार्क के आईबीएम कंप्यूटर द्वारा रूसी भाषा से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया जाने लगा |

बाद में अमेरिका की महान गणितज्ञ श्रीमती ऑइडा रोज ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया | उनसे प्रेरणा प्राप्त करके भारतीय गणितज्ञ डॉ कुलश्रेष्ठ ने भारत में मशीनों अर्थात कंप्यूटर के जरिये अनुवाद की दिशा में प्रयास आरंभ किए | उन्होंने वेनिस में आयोजित ‘मशीनी अनुवाद गोष्ठी’ में सन 1962 में भाग लिया | सन 1963 में उनको यूनेस्को की ओर से मशीनी अनुवाद के लिए फैलोशिप मिला |

कालांतर में रैंड कारपोरेशन कैलिफोर्निया के प्रोफेसर डेविस डी. हैज ने एक ऐसा प्रोग्राम बनाया जो पद व्याख्या करने में पूर्णत: सफल रहा | इस प्रोग्राम के कारण वाक्य के अंतर्गत घटकों के पारस्परिक संबंध और आशय मशीनी अनुवाद द्वारा स्पष्ट होने लगे | इस प्रकार 1960 के दशक में कुछ त्रुटियों के बावजूद मशीनी अनुवाद विधिवत रूप से होने लगा |

राजभाषा विभाग भारत सरकार के निर्देश से सी डेक के ए ए आई ग्रुप ने ‘मशीन एसिस्टेड ट्रांसलेशन टूल’ नामक स्वचालित मशीनी अनुवाद की प्रणाली विकसित की है जिसका उपयोग सरकारी कार्यालयों में नियुक्तियों, पदोन्नतियों आदि के संदर्भ में अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में किया जाता है | इसके अतिरिक्त आईआईटी कानपुर के सहयोग से हैदराबाद विश्वविद्यालय ने ‘अनुस्मारक’ नामक एक ऐसी स्वचालित यांत्रिक अनुवाद प्रणाली का विकास किया है जिसके माध्यम से विभिन्न भारतीय भाषाओं में परस्पर शाब्दिक अनुवाद किया जा सकता है |

मशीनी अनुवाद की प्रक्रिया

मशीनी अनुवाद की प्रक्रिया में निम्नलिखित तीन बिंदुओं की आवश्यकता रहती है —

(1) मशीन ( कंप्यूटर – हार्डवेयर )

(2) प्रक्रिया सामग्री ( सॉफ्टवेयर )

(3) वैज्ञानिक रूप से संगठित सुविचार इतिहासिक सूचनाएं |

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से दिए गए निर्देशों की अनुपालना करता है | मशीन को निर्देश देने की प्रक्रिया प्रोग्रामिंग कहलाती है |

मशीनी अनुवाद के लिए तो कार्य अति महत्वपूर्ण हैं —

(1) शब्द कोश, और (2) भाषिक विश्लेषणात्मक अध्ययन |

शब्दकोश कठिन शब्दों के अर्थ ग्रहण करने में हमारी सहायता करता है क्योंकि अनुवाद अर्थबोध का कार्य है | भारत में जो कंप्यूटर तैयार किए जाते हैं उनमें 64000 शब्दों का संचय करने की क्षमता है जिन्हें चार डिस्को में स्थापित करके प्रयोग किया जा सकता है | लेकिन मशीनी अनुवाद में द्विभाषित शब्दकोशों की आवश्यकता है जिसमें कम से कम 4 लाख शब्द हों |

हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शब्द का अर्थ निश्चित करने के लिए भाषा से इतर भी कुछ कारण हो सकते हैं | संभव है कि मशीन अर्थ बोध करने में समर्थ न हो | अतः प्रयोग कोश हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण है जिसके बिना हम अर्थ स्पष्ट नहीं कर पाते | इस दिशा में डॉक्टर कैलाश चंद्र भाटिया ने उल्लेखनीय कार्य किया है |

आरंभ में भाषिक विश्लेषण तथा कंप्यूटर प्रोग्रामिंग को एक साथ रखा गया था लेकिन बाद में दोनों को अलग-अलग किया गया क्योंकि भाषिक विश्लेषण में कुछ ना कुछ अदला-बदली करनी पड़ती है जो कि सारे प्रोग्राम को प्रभावित कर सकती है | दो भाषाओं में होने वाले अनुवाद का कार्य भाषिक विश्लेषण पर ही निर्भर करता है | भाषिक विश्लेषण में प्रत्येक शब्द का अर्थ उसके संदर्भ के अनुसार निर्धारित किया जाता है |

मशीनी अनुवाद के प्रकार

अनुवाद के स्वरूप के आधार पर मशीनी अनुवाद के तीन प्रकार हैं —

(1) शाब्दिक मशीनी अनुवाद

शाब्दिक मशीनी अनुवाद में एक भाषा के शब्दों का दूसरी भाषा में अर्थ बताया जाता है | अंग्रेजी में इसे Word Expert नाम दिया गया है | इस पद्धति में स्रोत भाषा के वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का लक्ष्य भाषा में भावानुकूल अनुवाद किया जाता है |

(2) संरचनात्मक मशीनी अनुवाद

प्रत्येक भाषा की पद संरचना, पदबंध-संरचना, उपवाक्य संरचना एवं वाक्य संरचना भिन्न-भिन्न होती है | इसलिए अनुवाद की प्रक्रिया में इन चारों का विशेष ध्यान रखना होता है | स्रोत भाषा की पद, पदबंध, उपवाक्य, वाक्य आदि इकाइयों को लक्ष्य भाषा की व्याकरणिक मान्यताओं के अनुरूप रूपांतरित किया जाता है |

उदाहरण के लिए हिंदी का ‘प्रशंसा के योग्य’ पदबंध अरबी-फारसी में ‘काबिले तारीफ’ बन जाता है | प्रस्तुत उदाहरण में पदबंधों में पद विपर्यय देखने को मिल रहा है |

इसी प्रकार अंग्रेजी भाषा और हिंदी भाषा में पदक्रम में परिवर्तन देखने को मिलता है | अंग्रेजी भाषा में He Drinks Milk में कर्त्ता + क्रिया +कर्म का पदक्रम है जबकि इस वाक्य के हिंदी अनुवाद “वह दूध पीता है” में कर्त्ता +कर्म +क्रिया के पदक्रम का निर्वाह हुआ है |

अतः स्पष्ट है कि विभिन्न भाषाओं की प्रकृति को ध्यान में रखकर संरचनात्मक अनुवाद किया जाता है |

(3) अर्थमूलक मशीनी अनुवाद

अर्थमूलक मशीनी अनुवाद में स्रोत भाषा की संरचना का विश्लेषण करने के बाद उसमें निहित अर्थ को लक्ष्य भाषा की संरचना में समाविष्ट किया जाता है | जापानी मशीनी अनुवाद तंत्र इसी आधार पर विकसित किया गया है | जापानी तंत्र MU तथा PIVOL में इसी प्रकार के पार्सर तैयार किए गए हैं | अमेरिकी KBMT मशीनी अनुवाद तंत्र भी किसी तकनीक पर आधारित है |

यह भी देखें

अनुवाद : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

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