मुझे भी देखने पड़ेंगे
अपनी छोटी-छोटी आंखों से बड़े-बड़े कौतुक
मैं ही हूँ वह
स्प्रिंगदार कुर्सी के सामने टंगा हुआ
वसंत का चित्र
मुझे ही झाड़ने पड़ेंगे सब पत्ते
मुझे ही उघाड़नी पड़ेंगी एक-एक ठूंठ की
गयी-गुजरी आँखें
सभ्यता फैलाने वाले एक आदमी से मिलकर
ऐसा सोचते हुए मैं जब लौट रहा था
15 तारीख वाले दुर्भाग्य की बगल में
देखा कि एक पेड़ अपने युद्ध में
हरा हो रहा है | 1️⃣
मेरे सामने मक्कारी में बदल गई
सभ्यता फैलाने वाले चेहरे की तपस्या
उसने उस वृक्ष को गांजा और कहा
यह एक तोरण एक मंच
और एक सिंहासन के लिए काफी है
कुल्हाड़ियों के जुलूस से पहले
जब वह उसे आंज रहा था
पक्षी आए
और बुरी तरह चिंचियाने लगे
उसने कहा – पक्षियों का कलरव
पक्षियों का समूहगान सुनो | 2️⃣
मैंने कहा
ये अपने घोंसलों के लिए रो रहे हैं
यह इस साल के
फूल
फल
और पत्ते
देख रहे हैं इस करवट लेते पेड़ के अंदर
जब कि तुम लकड़ी देख रहे हो | 3️⃣
उछल मेरे रक्त उछल
इस छल की रक्षा में व्यवधान पैदा कर
मुझको एक ही गम है कि जितनी भी हो
उथल-पुथल कम है | 4️⃣