बगुलों के पंख ( Bagulon Ke Pankh ) : उमाशंकर जोशी

नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख, चुराए लिए जाती वे मेरी आँखें | कजरारे बादलों की छाई नभ छाया, तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया | होले होले जाती मुझे बांध निज माया से | उसे कोई तनिक रोक रक्खो | वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें नभ में पाँती-बँधे बगुलों की पाँखें | … Read more

छोटा मेरा खेत ( उमाशंकर जोशी )

छोटा मेरा खेत चौकोना कागज का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहां बोया गया | कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष ; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष | (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘छोटा … Read more