सिरचन का चरित्र-चित्रण ( ठेस : फणिश्वरनाथ रेणु )

सिरचन फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित कहानी ‘ठेस’ का केंद्रीय पात्र है | संपूर्ण कथानक उसके चरित्र के चारों ओर घूमता है | कहानी का आरंभ भी सिरचन के चरित्र-चित्रण से होता है और अंत भी | उसे कहानी का नायक जा सकता है | सिरचन के चरित्र की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं :

(1) व्यक्तित्व — सिरचन एक ग्रामीण कारीगर है जो चिक, शीतलपाटी, मोढे, आसनी, ताल के सूखे पत्तों की छतरी-टोपी आदि बनाने में माहिर है | वह जीवन की प्रौढ़ावस्था में है | उसकी पत्नी तथा बेटे-बेटियों का देहांत हो चुका है | वह एकाकी जीवन जीने को विवश है |

(2) कुशल कारीगर — सिरचन एक कुशल कारीगर है | वह चिक, शीतलपाटी, मोढ़े, आसनी आदि बनाने में माहिर है | वह पूरी तन्मयता से अपना काम करता है तथा अपने काम में किसी का दखल बर्दाश्त नहीं करता | पूरे गांव के लोग उसकी इस कला के प्रशंसक हैं |

(3) खाने-पीने का शौकीन — सिरचन खाने-पीने का शौकीन है | गांव के लोग उसे चटोरा कहते हैं | सभी जानते थे कि यदि सिरचन से काम कराना हो तो तली बघारी हुई तरकारी, दही की कढ़ी, मलाई वाला दूध ; इन सबका प्रबंध पहले से कर लो ; तभी सिरचन को बुलाओ | यह कुछ हद तक सही भी था | लेकिन जब वह मन से काम में लग जाता था तो उसे खाने-पीने की सुध नहीं रहती थी |

(4) अभागा इंसान — कहानी में सिरचन को एक अभागा व्यक्ति दिखाया गया है | वह एकाकी जीवन जीने को विवश है | उसकी पत्नी तथा बच्चों का देहांत हो चुका है | वह जीवन से हताश है | यही कारण है कि इतना बड़ा कारीगर होते हुए भी वह दाने-दाने को मोहताज है |

(5) सहृदय व्यक्ति और संवेदनशील कलाकार — सिरचन एक सहृदय व्यक्ति और संवेदनशील कलाकार है | वह कला के प्रति सम्मान की भावना रखता है | भले ही लोग उसे कामचोर और चाटोरा कहें लेकिन वह कला के सम्मान को महत्त्व देता है | जहां उसकी कला का सम्मान नहीं वहां वह एक पल के लिए भी रुकना पसंद नहीं करता | कहानी में दिखाया गया है कि लेखक की छोटी बहन मानू का पति उसकी कलाकृतियों का आदर करता है | इसलिए कहानी के अंत में वह मानू की विदाई के समय सभी वस्तुएँ देने के लिए स्टेशन पर पहुंचाता है | बदले में वह कुछ नहीं लेता |

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि सिरचन ‘ठेस’ कहानी का नायक है | वह एक समर्पित कलाकार है जिसे अपनी कला से प्रेम है | धन और परिवार के अभाव में वह अच्छे भोजन को तरसता है लेकिन फिर भी वह उस स्थान पर कदम नहीं रखता जहां उसकी कला का सम्मान नहीं होता | अक्खड़ स्वभाव का होते हुए भी वह कोमल हृदय से युक्त है | यही कारण है किकहानी के अंत में वह मानू दीदी को चिक और शीतलपाटी भेंट करने के लिए स्टेशन पर पहुंच जाता है | वह एक ऐसा कलाकार है जो अपनी कला को बेचता नहीं बल्कि अपनी कला के प्रशंसकों को उपहार में दे देता है |

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