शायद वह जीवित है अभी, मैंने सोचा
इसने इनकार किया –
मेरा तो कत्ल हो चुका है कभी का !
साफ दिखाई दे रहे थे
उसकी खुली छाती पर
गोलियों के निशान | 1️⃣
तब भी उसने कहा –
ऐसे ही लोग थे, ऐसे ही शहर
रुकते ही नहीं किसी तरह
मेरी हत्याओं के सिलसिले |
जीते जी देख रहा हूँ एक दिन
एक आदमी को अनुपस्थित –
सुबह-सुबह निकल गया है वह
टहलने अपने बिना | 2️⃣
लौटकर लिख रहा है
अपने पर एक कविता अपने बरसों बाद
रोज पड़ता है अखबारों में
कि अब वह नहीं रहा
अपनी शोक-सभाओं में खड़ा है वह
आंखें बंद किए दो मिनटों का मौन | 3️⃣
भूल गया है रास्ता
किसी ऐसे शहर में
जो सैकड़ों साल पहले था |
दरअसल कहीं नहीं है वह
फिर भी लगता है कि हर जगह वही है |
नया-सा लगता कोई पुराना आदमी
किसी गुमनाम गली में
एक जले हुए मकान के सामने
खड़ा हैरान
कि क्या यही है उसका हिंदुस्तान | 4️⃣
सोच में पड़ गया है वह
इतनी बड़ी रोशनी का गोला
जो रोज निकलता था पूरब से
क्या उसे भी लील गया कोई अंधेरा? 5️⃣