लोकतंत्र : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं या लक्षण ( Loktantra : Arth, Paribhasha, Visheshtayen / Lakshan)

लोकतंत्र का अर्थ ( Meaning of Democracy )

लोकतंत्र को अंग्रेजी भाषा में डेमोक्रेसी ( Democracy ) कहते हैं | Democracy शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों Demos तथा Cratia से बना है | Demos का अर्थ है – सत्ता तथा Cratia का अर्थ है – सत्ता या शक्ति | इस प्रकार लोकतंत्र का अर्थ है – जनता के हाथों में शक्ति | इस प्रकार लोकतंत्र में शक्ति जनता के हाथ में होती हैं | सरकार जनता बनाती हैं तथा जनता के प्रति उत्तरदायी होती है |

लोकतंत्र की परिभाषा ( Definition Of Democracy )

लोकतंत्र के सही अर्थ तथा स्वरूप को जानने के लिए लोकतंत्र के कुछ परिभाषा पर विचार करना आवश्यक है | लोकतंत्र की कुछ परिभाषाएं निम्नलिखित हैं : –

🔹 अब्राहम लिंकन के अनुसार – “जनता का जनता के लिए जनता के द्वारा शासन ही लोकतंत्र है |”

🔹 सीले के अनुसार – “लोकतंत्र ऐसी सरकार है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का भाग होता है |”

लोकतंत्र की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें देश पर शासन जनता द्वारा चलाया जाता है | जनता स्वयं सरकार का निर्माण करती है तथा सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है |

लोकतंत्र की विशेषताएं या लक्षण

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर लोकतंत्र की निम्नलिखित विशेषताएं सामने आती हैं : –

1. नागरिकों की स्वतंत्रता

उदार लोकतंत्र के विचारक व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिक महत्व देते हैं | प्रारंभिक उदारवादी तो यह मानकर चलते थे कि व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए | उनके अनुसार व्यक्ति को विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, संघ व समुदाय बनाने की स्वतंत्रता आदि सभी स्वतंत्रताएं बिना किसी प्रतिबंध के मिलनी चाहिए | धर्म के मामले में स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए | इसी स्वतंत्रता के अंतर्गत राजनीतिक दल गठित करने की स्वतंत्रता भी होनी चाहिए |

2. कानून का शासन

कानून के शासन का अर्थ है कि कानून के समक्ष सब बराबर हैं |सभी के लिए एक जैसे कानून हों और बिना किसी भेदभाव के कानून के अनुसार सबको न्याय प्रदान किया जाए | कानून का संरक्षण सबको समानता के आधार पर मिलना चाहिए चाहे कोई सरकारी अधिकारी हो या साधारण व्यक्ति हो ; चाहे कोई अमीर हो या गरीब | अतः किसी भी व्यक्ति को सजा केवल कानून का उल्लंघन करने पर ही दी जानी चाहिए, शासक की मर्जी से या किसी प्रभावशाली व्यक्ति के कहने से नहीं |

3. संगठित विपक्ष

लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सत्तारूढ़ दल से भी महत्वपूर्ण है |उदारवादी लोकतंत्रात्मक देशों में नागरिकों को राजनीतिक दल संगठित करने की स्वतंत्रता दी जाती है | शासन बहुमत दल के द्वारा चलाया जाता है और अल्पमत दल विपक्षी दल के रूप में कार्य करते हैं | वास्तव में विरोधी दल भावी सरकारी दल है | यह सरकार को सदा सतर्क रखते हैं | सदन के भीतर और सदन से बाहर सरकार की आलोचना करके यह सरकार को पथभ्रष्ट तथा निरंकुश होने से रोकते हैं |

4. स्वतंत्र न्यायपालिका

लोकतंत्र की एक और महत्वपूर्ण विशेषता स्वतंत्र न्यायपालिका का होना है | नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि न्यायाधीश बिना किसी पक्षपात के निडर और स्वतंत्र रूप से न्याय प्रदान कर सकें | इसके लिए यह आवश्यक है कि न्यायपालिका पर कार्यपालिका, विधानपालिका तथा अन्य किसी राजनीतिक दल का नियंत्रण न हो | सरकार के अवैध कानूनों तथा अत्याचारी नीतियों से नागरिकों की रक्षा करने के लिए न्यायपालिका का स्वतंत्र होना जरूरी है | तभी एक सच्चे लोकतंत्र की स्थापना हो सकती है |

5. शक्तियों का विकेंद्रीकरण

लोकतंत्र शक्ति के विकेंद्रीकरण में विश्वास रखता है क्योंकि शक्ति का विकेंद्रीकरण निरंकुशता तथा स्वेच्छाचारिता को रोकता है | शासन को तीन भागों में बांट दिया जाता है – विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका | इन तीनों अंगों को संविधान द्वारा कुछ शक्तियां प्रदान की जाती हैं | प्रत्येक अंग को निर्धारित कार्य-क्षेत्र में कार्य करने का अधिकार दिया जाता है | इसके अतिरिक्त बड़े राज्यों में संघीय व्यवस्था की जाती है | जहां पर राज्य की शक्तियों को संघ तथा राज्य ( प्रांत ) के बीच संवैधानिक रूप में बांट दिया जाता है तथा दोनों को अपने-अपने क्षेत्र में कार्य करने की स्वायत्तता प्रदान की जाती है | किसी भी पक्ष को दूसरे के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप करने की स्वीकृति नहीं दी जाती |

लोकतंत्र के लिए आवश्यक शर्तें

प्रजातंत्र को सफल बनाने के लिए निम्न शर्तों से परिस्थिति की आवश्यकता है : –

(1) प्रजातंत्रीय परंपराओं में विश्वास

प्रजातंत्र के शासन प्रणाली को सफल बनाने के लिए सबसे पहली आवश्यकता इस बात की है कि नागरिकों का प्रजातंत्र के मौलिक सिद्धांतों में विश्वास होना चाहिए | प्रत्येक व्यक्ति को महत्व मिलना चाहिए | सरकार जो भी कार्य करे वे ऐसे हों जिनसे किसी की भी अवहेलना न हो | सरकार की सभी योजनाएं प्रत्येक व्यक्ति के हित को ध्यान में रखते हुए बनाई गई होनी चाहिए | इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को भी यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि प्रजातंत्रीय सरकार का आधार वाद-विवाद है, इसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं है | सभी मतभेदों का समाधान सरकार द्वारा निर्मित नियमों और कानूनों के आधार पर होना चाहिए |

(2) उचित शिक्षा प्रणाली

उचित शिक्षा प्रणाली से तात्पर्य केवल साक्षर होने से नहीं है बल्कि ऐसी शिक्षा से है जो साक्षर होने के साथ-साथ नागरिक को गुणवान बना सके | शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिसको ग्रहण करने के बाद नागरिक अपनी रोज़ी कमा सके और भली प्रकार से अपने परिवार का जीवन-निर्वाह कर सके | परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक को नागरिकता की शिक्षा देनी चाहिए | उसे जहां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए वहीं अपने कर्तव्यों के प्रति भी जिम्मेदार होना चाहिए | नागरिक का यह प्रमुख कर्तव्य है कि वह देश के शासन में सक्रिय रूप से भाग ले तथा साथ ही लोकतंत्र के मूल्यों में विश्वास रखें |

(3) आर्थिक सुरक्षा

बिना आर्थिक स्वतंत्रता के राजनीतिक स्वतंत्रता अर्थहीन है | जिस क्षेत्र में अधिक आर्थिक असमानता पाई जाती है वहां प्रजातंत्रीय शासन नहीं चल सकता क्योंकि धनवान लोग धन के बल पर वोट खरीदकर सत्ता अपने हाथों में रखते हैं | जिससे प्रजातंत्रीय शासन का कोई महत्व नहीं रहता आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा भी बहुत जरूरी है | सभी नागरिकों की बुढापा, बीमारी, दुर्घटना व बेरोजगारी आदि से सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए |

(4) सामाजिक समानता

प्रजातंत्रीय शासन-प्रणाली को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि समाज में सभी व्यक्तियों को एक समान समझा जाना चाहिए | केवल कानून के समक्ष समानता ही काफी नहीं है बल्कि समाज में जाति, रंग, धर्म अथवा लिंग आदि के आधार पर भी किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए | यदि समाज में भेदभाव की स्थिति होगी और लोग अपने आप को श्रेष्ठ समझेंगे और दूसरों को नीचा दिखाएंगे तो ऐसी स्थिति में समाज का विकास असंभव है और ऐसे समाज में प्रजातंत्रीय सरकार की कल्पना भी नहीं की जा सकती |

(5) योग्य नेताओं का चुनाव

लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली को चलाने के लिए योग्य नेताओं का होना अत्यंत आवश्यक है | नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे जनमत के अनुसार ही कार्य करें और लोकतंत्रात्मक मूल्यों में पूर्ण निष्ठा रखें | इसी प्रकार जनता का भी यह कर्तव्य है कि वे ऐसे योग्य नेताओं का चुनाव करें जो लोकतंत्रात्मक मूल्यों में पूर्ण निष्ठा रखते हों तथा लोकतंत्र को सफल बनाने में समर्थ हों | यह तथ्य स्मरणीय है कि लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली वास्तव में प्रत्येक नागरिक के हित के लिए है | अतः ऐसे नेताओं का ही चुनाव करना चाहिए जो वास्तव में ही लोगों का भला करना चाहते हों |

(6) स्वतंत्र न्यायपालिका

प्रजातंत्र का शासन सफल बनाने के लिए एक स्वतंत्र व निष्पक्ष न्यायपालिका का होना आवश्यक है | व्यक्ति के विकास के लिए अधिकारों और स्वतंत्रता की व्यवस्था की जाती है परंतु इन अधिकारों और स्वतंत्रता का तभी महत्व है जब इनकी रक्षा का भी उचित प्रबंध हो और यह तभी संभव हो सकता है जब एक योग्य, ईमानदार और निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की जाए | अत: स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण शर्त है |

(7) राजनीतिक जागृति

नागरिकों को राजनीति के प्रति हमेशा जागरूक रहना चाहिए अन्यथा सरकार जनता पर मनमानी करने लगेगी | नागरिकों में राजनीतिक जागृति का पैदा होना बहुत आवश्यक है | जहां नागरिक अपने अधिकारों की मांग करें वहीं उनका यह भी कर्तव्य है कि वे अपने राज्य, समाज, परिवार इत्यादि के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करें |

◼️ अतः स्पष्ट है कि लोकतंत्र एक ऐसी अवधारणा है जिसमें देश का शासन जनता के द्वारा चलाया जाता है | सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है और जनता के प्रति उत्तरदायी होती है | स्वतंत्रता और समानता इसकी महत्वपूर्ण विशेषताएं व अनिवार्य शर्तें हैं | कानून का शासन, संगठित विरोधी दल, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, शक्तियों का विकेंद्रीकरण तथा नागरिकों की आर्थिक सुरक्षा वास्तव में प्रत्येक नागरिक की स्वतंत्रता और समानता को सुनिश्चित करते हैं ताकि लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली सफल हो सके |

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