आवश्यकता एक और सामाजिक आंदोलन की

जनता का,जनता के लिए,जनता के द्वारा शासन ही लोकतंत्र है -अब्राहिम लिंकन की यह उक्ति लोकतंत्र के वर्तमान स्वरूप के संदर्भ में सर्वथा असंगत प्रतीत होती है क्योंकि आज लोकतंत्र एक विशिष्ट धनी वर्ग के हाथों की कठपुतली बन कर रह गया है । शासक और शासित के बीच की खाई स्पष्ट रूप से देखी … Read more

अलौकिक प्रेम की मृगतृष्णा

भक्तिपरक रचनाओं में प्रायः अलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति मिलती है । सगुण व निर्गुण भक्ति काव्य दोनों में ही विभिन्न रूपकों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की महत्ता प्रतिपादित की गई है । सगुण काव्य में जहाँ राधा-कृष्ण या गोपियों के प्रसंगों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है वहीं निर्गुण काव्य में … Read more

आधुनिकता के लिथड़ों में लिपटी रूढ़िवादिता

कहने को हम आज इक्कीसवीं सदी के अत्याधुनिक समाज में जी रहे हैं और अपनी छद्मआधुनिकता का दम्भ भरते हैं परंतु न चाहते हुए भी हमें ये स्वीकारना होगा की जैसे-जैसे हम आधुनिक हो रहे हैं वैसे – वैसे हमारी रूढ़िवादिता और अधिक रूढ़ होती जा रही है । हम अपनी आधुनिक शिक्षा के दम … Read more