पद्मावत : नखशिख खण्ड ( Padmavat : Nakhshikh Khand )

का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओही का सिंगार ओही पै छाजा।। प्रथमहि सीस कस्तूरी केसा। बलि बासुकि को औरु नरेसा || भंवर केश वह मालती रानी। बिसहर लुरहीं लेहिं अरघानी।। बेनी छोरी झारु जौं बारा। सरग पातर होइ अंधियारा || कंवल कुटिल केस नाग करे। तरंगहिं अंतिम भुंग बिसारे॥ बेधे जानु मलैगिरि बासा। सीस चढ़े … Read more

भाषा और वाक् ( Bhasha Aur Vaak )

सामान्य अर्थ में भाषा और वाक् में कोई विशेष अंतर नहीं हैं | आरम्भ में भाषा के लिये ही वाक् शब्द का प्रयोग किया जाता था | लेकिन कालांतर में भाषा और वाक् को दो भिन्न अर्थो में प्रयोग किया जाने लगा | भाषा — अतः भाषा वह साधन है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने … Read more

भाषा और बोली में अंतर ( Bhasha Aur Boli Men Antar )

भाषा और बोली में स्पष्ट विभाजक रेखा खींचना बहुत कठिन कार्य है दोनों ही भावाभिव्यक्ति के माध्यम हैं । जब बोली किन्हीं कारणों से प्रमुखता प्राप्त कर लेती है तो भाषा कहलाती है | संक्षेप में बोली का स्वरूप भाषा की अपेक्षा सीमित होता है | वह भाषा की अपेक्षा छोटे भू-भाग में बोली जाती … Read more

विद्यापति पदावली : बसंत ( Vidyapati Padavali : Basant )

माघ मास सिरि पंचमी गँजाइलि नवम मास पंचम हरुआई । अति घन पीड़ा दुःख बड़ पाओल बनसपती भेति धाई हे ।। सुभ खन बेरा सुकुल पक्ख हे दिनकर उदित – समाई । सोरह सम्पुन बतिस लखन सह जनम लेल ऋतुराई हे ।। नाचए जुबतिजना हरखित मन जनमल बाल मधाई हे। मधुर महारस मंगल गावए मानिनि … Read more

विद्यापति पदावली : नखशिख खण्ड ( Vidyapati Padavali : Nakhshikh Khand )

पीन पयोधर दूबरि गता । मेरु उपजल कनक-लता || ए कान्हु ए कान्हु तोरि दोहाई । अति अपूरुब देखलि साई || मुख मनोहर अधर रंगे। फूललि मधुरी कमल संगे || लोचन – जुगल भृंग अकारे । मधुक मातल उड़ए न पारे|| भउँहक कथा पूछह जनू । मदन जोड़ल काजर-धनू || भन विद्यापति दूति बचने । … Read more

विद्यापति पदावली : वंदना ( Vidyapati Padavali : Vandana )

नन्दक नन्दन कदम्बक तरु-तर धिरे धिरे मुरलि बजाव । समय- संकेत-निकेतन बइसल बेरि बेरि बोलि पठाव । सामरि, तोरा लागि ‘अनुखन विकल मुरारि । जमुना के तिर उपवन उद्वेगल फिरि फिरि ततहि निहारि । गोरस बेंचए अवइत जाइत जनि जनि पूछ बनमारि । तोहे मतिमान, सुमति, मधुसूदन बचन सुनह किछु मोरा । मनइ विद्यापति सुन … Read more

‘पद्मावत’ का महाकाव्यत्व ( Padmavat Ka Mahakavyatv )

‘पद्मावत’ ( Padmavat ) मालिक मुहम्मद जायसी ( Malik Mohammad Jaysi ) द्वारा रचित सर्वाधिक प्रसिद्ध सूफी महाकाव्य है | तथापि इस रचना के काव्य-रूप को लेकर विद्वानों में मतभेद है | वस्तुत: उन्होंने अपना काव्य -ग्रन्थ में भारतीय प्रबंध-काव्य शैली व मनसवी शैली के ; दोनों का निर्वहन किया है | इसके साथ-साथ उन्होंने … Read more

कबीर की भक्ति-भावना ( Kabir Ki Bhakti Bhavna )

‘भक्ति’ शब्द की उत्पत्ति ‘भज्’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है – भजना अर्थात् भजन करना | ‘ ‘भक्ति’ की कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैं : (क) ‘शांडिल्य भक्ति सूत्र’ के अनुसार ईश्वर में परम अनुरक्ति का नाम ही भक्ति है | (ख) शंकराचार्य ने उत्कंठा युक्त निरंतर स्मृति को भक्ति कहा है | … Read more

‘ठेस’ कहानी का मूल भाव, उद्देश्य व प्रतिपाद्य / शीर्षक का औचित्य

‘ठेस’ ( Thes ) कहानी फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishvarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक कहानी है | प्रस्तुत कहानी का शीर्षक संक्षिप्त, सार्थक तथा उपयुक्त है | प्रस्तुत शीर्षक कहानी के मूल भाव तथा उद्देश्य को उजागर करता है | इस कहानी में लेखक ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि … Read more

भक्तिकाल की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक परिस्थितियाँ

हिंदी साहित्य के इतिहास में संवत 1375 से संवत 1700 तक का काल भक्तिकाल के नाम से जाना जाता है | किसी भी काल की परिस्थितियां उसके साहित्य को प्रभावित करती हैं | भक्तिकाल की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रवृत्तियों का वर्णन इस प्रकार है : (1) राजनीतिक परिस्थितियाँ राजनीतिक दृष्टि से भक्ति … Read more

सिरचन का चरित्र-चित्रण ( ठेस : फणिश्वरनाथ रेणु )

सिरचन फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित कहानी ‘ठेस’ का केंद्रीय पात्र है | संपूर्ण कथानक उसके चरित्र के चारों ओर घूमता है | कहानी का आरंभ भी सिरचन के चरित्र-चित्रण से होता है और अंत भी | उसे कहानी का नायक जा सकता है | सिरचन के चरित्र की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं : (1) … Read more

हिंदी कहानी का विकास ( संक्षिप्त )

भारत में कहानी लेखन की परंपरा बहुत पुरानी है | संस्कृत साहित्य कहानियों से भरा पड़ा है लेकिन आधुनिक हिंदी कहानी का आरंभिक बीसवीं सदी के साथ आरंभ होता है | प्रथम कहानी का प्रश्न हिंदी की प्रथम कहानी को लेकर विद्वानों में मतभेद है | कुछ विद्वान इंशा अल्लाह खां की कहानी रानी केतकी … Read more

हिंदी उपन्यास का विकास ( संक्षिप्त )

हिंदी में उपन्यास का लेखन 19वीं सदी में आरंभ हुआ | अंग्रेजी उपन्यासों से प्रभावित होकर पहले बांग्ला भाषा में उपन्यास लिखे गए | बाद में बांग्ला तथा अंग्रेजी के उपन्यासों से प्रभावित होकर हिंदी में उपन्यास लिखे जाने लगे | यह विवाद का विषय है कि हिंदी का प्रथम उपन्यास किसे माना जाए | … Read more

हिंदी नाटक का विकास ( संक्षिप्त )

भारत में नाटक लेखन की परंपरा बहुत पुरानी है | कालिदास द्वारा लिखित नाटक विश्व के श्रेष्ठ नाटकों में शामिल किये जाते हैं | कालिदास द्वारा रचित ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ नाटक का अनुवाद विश्व की अनेक भाषाओं में हो चुका है | लेकिन हिंदी नाटक का इतिहास बहुत अधिक पुराना नहीं है | हिंदी नाटक का … Read more

कबीर की रहस्य-साधना ( रहस्यानुभूति )

साहित्य विशेषतः काव्य के क्षेत्र में रहस्यवाद का अर्थ आत्मा-परमात्मा के संबंधों की व्याख्या से लिया जाता है | जब कवि अपने आध्यात्मिक विचारों व अलौकिक शक्ति से अपने संबंध की चर्चा करता है, रहस्यवादी कहलाता है | रहस्यवाद का अर्थ व परिभाषा रहस्यवाद कोई दाशनिक सिद्धान्त नहीं है, वह एक मनोदशा मात्र है। इसको … Read more