नागार्जुन का साहित्यिक परिचय / जीवन परिचय

जीवन-परिचय नागार्जुन जी हिंदी के जनवादी कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं | नागार्जुन इनका उपनाम है। इनका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र है। हिंदी साहित्य जगत में ये ‘यात्री’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं | इनका जन्म बिहार के दरभंगा जनपद में स्थित सतलखा गाँव में सन् 1911 ई. में हुआ। इनकी प्रारमिय शिक्षा … Read more

प्रेत का बयान ( Pret Ka Bayan ) : नागार्जुन

“ओ रे प्रेत” – कड़क कर बोले नरक के मालिक यमराज “सच-सच बतला ! कैसे मरा तू? भूख से, अकाल से? बुखार, कालाजार से? पेचिश, बदहजमी, प्लेग, महामारी से? कैसे मरा तू, सच-सच बतला?” खड़ खड़ खड़ खड़ हड़ हड़ हड़ हड़ काँपा कुछ हाड़ों का मानवीय ढांचा नचा कर लंबी चमचों-सा पंचगुरा हाथ रूखी … Read more

अकाल और उसके बाद ( Akaal Aur Uske Baad ) : नागार्जुन

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास, कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त, कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त | दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद, धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद, चमक उठी … Read more

बादल को घिरते देखा है ( Badal Ko Ghirte Dekha Hai ) : नागार्जुन

अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है | छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहिन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्णिम, कमलों पर गिरते देखा है, बादल को घिरते देखा है | 1️⃣ तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी-बड़ी कई झीलें हैं, उनके श्यामल नील सलिल में समतल देशों से आ-आकर पावस … Read more

सिंदूर तिलकित भाल ( Sindur Tilkit Bhal ) : नागार्जुन

घोर निर्जन में परिस्थिति ने दिया है डाल ! याद आता तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल ! कौन है वह व्यक्ति जिसको चाहिए न समाज? कौन है वह एक जिसको नहीं पड़ता दूसरे से काज? चाहिए किसको नहीं सहयोग? चाहिए किसको नहीं सहवास? कौन चाहेगा कि उसका शून्य में टकराए यह उच्छवास? हो गया हूँ मैं … Read more

उनको प्रणाम ( Unko Pranam ) :नागार्जुन

जो नहीं हो सके पूर्ण-काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम ! कुछ कुंठित औ’ कुछ लक्ष्य भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए ; रण की समाप्ति के पहले ही जो वीर रिक्त तूणीर हुए ! (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘समकालीन हिंदी कविता’ में संकलित नागार्जुन द्वारा रचित ‘उनको प्रणाम’ कविता से अवतरित … Read more