अयोध्यासिंह उपाध्याय का साहित्यिक परिचय

जीवन परिचय — श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय खड़ी बोली के आरंभिक कवियों में से एक हैं | श्री मैथिलीशरण गुप्त के बाद उन्हें द्विवेदी युग का सबसे बड़ा कवि माना जा सकता है | उनका जन्म सन 1865 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की निजामाबाद नामक नगर में हुआ | उनके पिता का नाम … Read more

पवनदूती काव्य में निहित संदेश / उद्देश्य ( Pavandooti Kavya Mein Nihit Sandesh / Uddeshya )

‘पवनदूती’ ( पवन दूतिका ) नामक काव्य अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित ‘प्रियप्रवास’ शीर्षक महाकाव्य का एक अंश है | इस महाकाव्य में श्री कृष्ण के मथुरा जाने की घटना का उल्लेख है | श्री कृष्ण के मथुरा गमन करते ही ब्रजवासी विरह-वेदना से व्यथित हो उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं का स्मरण करते … Read more

राधा की विरह-वेदना (पवनदूती) ( Radha Ki Virah Vedna ) : अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ( BA – 3rd Semester )

‘पवन दूती’ शीर्षक काव्य अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा रचित खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य ‘प्रियप्रवास’ का अवतरण है | इस कविता का प्रमुख विषय राधा के विरह का चित्रण करना है | श्री कृष्ण मथुरा के राजा कंस के आमंत्रण पर मथुरा चले गए परंतु पुन: लौटकर नहीं आए | इधर राधा श्री कृष्ण के … Read more

पवनदूती / पवन दूतिका ( Pavandooti ) – प्रिय प्रवास – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ -षष्ठ सर्ग ( मंदाक्रांता छंद )

नाना चिंता सहित दिन को राधिका थी बिताती | आंखों को थी सजल रखती उन्मना थी बिताती | शोभा वाले जलद वपु की, हो रही चातकी थी | उत्कंठा थी परम प्रबला, वेदना वर्द्धिता थी || (1) बैठी खिन्ना यक दिवस वे, गेह में थी अकेली | आके आंसू युगल दृग में, थे धरा को … Read more