बोआई का गीत ( Boai Ka Geet ) : डॉ धर्मवीर भारती

गोरी-गोरी सोंधी धरती कारे-कारे बीज

बदरा पानी दे !

क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीत

बोने वालो ! नई फसल में बोओगे क्या?

बदरा पानी दे ! (1)

मैं बोऊँगा वीरबहूटी, इंद्रधनुष सतरंग

नये सितारे, नयी पीढ़ियाँ, नये धान का रंग

हम बोयेंगे हरी चुनरियां , कजरी, मेहंदी –

राखी के कुछ सूत और सावन की पहली तीज !

बदरा पानी दे ! (2)

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