उषा ( Usha ) शमशेर बहादुर सिंह

प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे भोर का नभ राख से लीपा हुआ चौका ( अभी गीला पड़ा है ) बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो सलेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसे … Read more