विलियम वर्ड्सवर्थ का काव्य भाषा सिद्धांत ( For B. A.)

विलियम वर्ड्सवर्थ का काव्य भाषा सिद्धांत, जो उन्होंने अपनी पुस्तक “Lyrical Ballads” (1798) की प्रस्तावना में व्यक्त किया, काव्य रचना के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह सिद्धांत रोमांटिक काव्य की आधारशिला माना जाता है।

1. सरल एवं सहज भाषा

वर्ड्सवर्थ के अनुसार काव्य की भाषा साधारण जन की बोलचाल की भाषा होनी चाहिए। उन्होंने कृत्रिम एवं अलंकृत शब्दावली का विरोध किया और सरलता पर बल दिया। ग्रामीण जीवन की भाषा को उन्होंने काव्य के लिए सर्वोत्तम माना। उनकी कविताओं में सामान्य शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है। इससे काव्य अधिक प्रभावशाली और हृदयस्पर्शी बनता है।

2. संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति

वर्ड्सवर्थ का मानना था कि कविता मन के गहन भावों की सच्ची अभिव्यक्ति है। उन्होंने कवि को “संवेदनशील मनुष्य” बताया, जो प्रकृति और मानवीय अनुभूतियों को गहराई से महसूस करता है। काव्य में भावनाओं की प्रामाणिकता पर जोर दिया गया। उनके अनुसार, कविता हृदय के उद्गारों का स्वतःस्फूर्त प्रवाह है। इसीलिए उनकी रचनाओं में भावुकता और आत्मीयता मुखर है।

3. प्रकृति का महत्व

वर्ड्सवर्थ प्रकृति को काव्य का मुख्य आधार मानते थे।
उनके अनुसार, प्रकृति मानवीय भावनाओं को शुद्ध और उन्नत करती है। पहाड़, नदियाँ, वन और पशु-पक्षी उनकी कविता के प्रमुख विषय हैं। प्रकृति के माध्यम से वे आध्यात्मिक शांति और सुख का वर्णन करते हैं। इसीलिए उन्हें “प्रकृति का पुजारी” कहा जाता है।

4. कल्पना की भूमिका

वर्ड्सवर्थ के लिए कल्पना काव्य-सृजन का मूल आधार थी।
उनका मानना था कि कल्पना के बिना कविता नीरस और निष्प्राण होती है। कल्पना द्वारा कवि साधारण वस्तुओं में असाधारण सौंदर्य ढूँढ़ता है। उनकी कविताओं में प्रकृति और मानवीय जीवन कल्पना के माध्यम से नए रूप में उभरते हैं। इससे पाठक को एक नया दृष्टिकोण मिलता है।

5. स्वतःस्फूर्त भावाभिव्यक्ति

वर्ड्सवर्थ के अनुसार, सच्ची कविता भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। कविता किसी बाहरी दबाव या नियमों से नहीं, बल्कि आंतरिक उत्साह से जन्म लेती है।
उन्होंने “शांत भावनाओं का स्मरण” (Emotion Recollected in Tranquility) का सिद्धांत दिया। कवि अपने अनुभवों को शांत मन से याद करके उन्हें काव्य में ढालता है। इससे कविता में गहराई और प्रभावशीलता आती है।

6. ग्रामीण जीवन की श्रेष्ठता

वर्ड्सवर्थ ने गाँवों के सरल और नैसर्गिक जीवन को शहरी भागदौड़ से श्रेष्ठ माना। उनके अनुसार, ग्रामीण लोगों की भाषा और जीवन अधिक सच्चे और अकृत्रिम हैं। उनकी कविताओं में गड़रिये, किसान और बच्चों का सरल चित्रण मिलता है। उन्होंने ग्रामीण जीवन की पवित्रता और सादगी को महिमामंडित किया। इससे उनकी कविता को एक विशिष्ट लोक-स्वरूप मिला।

7. कवि का कर्तव्य

वर्ड्सवर्थ के अनुसार, कवि समाज का मार्गदर्शक और शिक्षक होता है। कविता का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों का संवर्धन करना है। कवि को सत्य, सौंदर्य और नैतिकता का संदेश देना चाहिए। उन्होंने कविता को “मानव जीवन का दर्पण” बताया। इस प्रकार, कवि का दायित्व बहुत गंभीर और व्यापक है।

8. छंद और लय की स्वाभाविकता

वर्ड्सवर्थ ने कृत्रिम छंद-योजना का विरोध किया और स्वाभाविक लय को महत्व दिया। उनके अनुसार, कविता की लय भावनाओं के अनुरूप होनी चाहिए। उन्होंने खुली छंद-योजना को अपनाया, जो अधिक प्राकृतिक है। इससे कविता में गति और संगीतात्मकता आती है। इस प्रकार, उन्होंने काव्य-भाषा को नियमों के बंधन से मुक्त किया।

निष्कर्ष : वर्ड्सवर्थ ने कविता को सरल भाषा और सच्ची भावनाओं का माध्यम माना। उन्होंने कविता को जीवन, प्रकृति और सामान्य जन से जोड़ा। उनका सिद्धांत कविता को स्वाभाविक, संवेदनशील और मानवता से पूर्ण बनाता है।

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