घनानंद के पद

( यहाँ KU / MDU / CDLU विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित बी ए प्रथम सेमेस्टर -हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित घनानंद के पद दिए गए हैं | ) 1 झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजति काननि छ्वै ।हंसि बोलन में छबि-फूलन की, बरखा उर ऊपर जाति है ह्वै | लोल … Read more

‘गैंग्रीन’ सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय

( ‘गैंग्रीन’ सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय द्वारा रचित प्रसिद्ध कहानी है जो हिंदी साहित्य जगत में ‘रोज’ नाम से प्रसिद्ध है | ) दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानोउस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही हो, उसके वातावरण में कुछ ऐसा अकथ्य, अस्पृश्य, किन्तु फिर भी … Read more

रसखान के पद

रसखान के पद एकनिष्ठ भक्ति और रसमयता के लिए प्रसिद्ध हैं | यहाँ हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित बी ए प्रथम सेमेस्टर ( हिंदी ) पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित रसखान के पद दिए गए हैं | 1 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पशु हौं तो … Read more

नागार्जुन का साहित्यिक परिचय / जीवन परिचय

जीवन-परिचय नागार्जुन जी हिंदी के जनवादी कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं | नागार्जुन इनका उपनाम है। इनका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र है। हिंदी साहित्य जगत में ये ‘यात्री’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं | इनका जन्म बिहार के दरभंगा जनपद में स्थित सतलखा गाँव में सन् 1911 ई. में हुआ। इनकी प्रारमिय शिक्षा … Read more

मीराबाई के पद

1 मण थे परस हरि रे चरण।सुभग सीतल कँवल कोमल, जगत ज्वाला हरण।इण चरण प्रह्लाद परस्यां, इन्द्र पदवी धरण।इण चरण ध्रुव अटल करस्यां, सरण असरण सरण।इण चरण ब्रह्मांड मेटयां, नखसियां सिरी भरण।इण चरण कलिया नाथ्यां गोपलीला करण।इण चरण गोबर धन धारयां, गरब मघवा हरण।दासि मीरां लाल गिरधर, अगम तारण तरण।। प्रसंग — प्रस्तुत पद्यांश हमारी … Read more

काव्यात्मा संबंधी विचार

वेदों व अन्य प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में आत्मा शब्द का प्रयोग श्वास, प्राण, जीवन, परमात्मा आदि अनेक अर्थों में प्रयुक्त हुआ है| विभिन्न दार्शनिकों का विचार है कि यह आत्मा परमात्मा का एक अंश है। अतः आत्मा और परमात्मा में अंश-पूर्ण का सम्बन्ध है। मानव शरीर इसी आत्मा के कारण जीवित है। काव्यशास्त्र में काव्यात्मा … Read more

पुरस्कार ( जयशंकर प्रसाद )

( ‘पुरस्कार’ जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रसिद्ध कहानी है जिसमें प्रेम पर राष्ट्रप्रेम की महत्ता का प्रतिपादन किया गया है | ) आर्द्रा नक्षत्र, आकाश में काले-काले बादलों की घुमड़, जिसमें देव दुंदुभि का गंभीर घोष। प्राची के एक निरभ्र कोने से स्वर्ण-पुरुष झाँकने लगा था-देखने लगा महाराज की सवारी। शैलमाला के अंचल में समतल … Read more

सूर्यातप,तापमान, ताप कटिबंध व तापांतर

सूर्यातप, तापमान, ताप कटिबंध व तापांतर के अर्थ, प्रकारों तथा इनको प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है — सूर्यातप पृथ्वी तथा उसके वायुमंडल के लिए समस्त ऊर्जा का स्रोत सूर्य है। सूर्य के तल से ऊष्मा निरन्तर लघु तरंगों (Short Waves) के रूप में विकिरित होती रहती है | सूर्य से … Read more

‘यशोधरा’ काव्य का भाव पक्ष एवं कला पक्ष

मैथिलीशरण गुप्त जी द्विवेदी युग के प्रमुख कवि थे। उन्होंने ‘यशोधरा’ में गाँधी जी के व्यावहारिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। उनका जीवन-सन्देश वैयक्तिक जीवन को परिष्कृत करने वाला और लोक में वासना, कामना और इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने का दिशा-निर्देश करने वाला है। ‘यशोधरा’ काव्य में गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरह-वेदना … Read more

औचित्य सिद्धांत : अवधारणा एवं स्थापनाएं

औचित्य सिद्धांत भारतीय काव्यशास्त्र सिद्धांतों में सबसे नवीन सिद्धांत है | भारतीय काव्यशास्त्र के अन्य सभी सिद्धांतों के अस्तित्व में आने के पश्चात इस सिद्धांत का आविर्भाव हुआ | दूसरे शब्दों में इसे संस्कृत काव्यशास्त्र का अंतिम सिद्धांत भी कह सकते हैं | आचार्य क्षेमेंद्र ने औचित्य सिद्धांत का प्रवर्तन किया | यह सिद्धांत आने … Read more

पारिस्थितिक तंत्र : अर्थ, विशेषताएं, संरचना तथा प्रकार

पारिस्थितिक तंत्र का अर्थ पारिस्थितिक तंत्र ( Ecosystem ) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए जी टान्सले ने 1935 में किया | टॉन्सले के अनुसार पारिस्थितिक तंत्र भौतिक तंत्रों का एक विशेष प्रकार होता है जिसकी रचना जीवों तथा अजैविक संघटकों से होती है | यह अपेक्षाकृत स्थिर दशा में होता है | यह विवृत्त तंत्र … Read more

ध्वनि सिद्धांत ( Dhvani Siddhant )

भारतीय काव्यशास्त्र में ध्वनि-सिद्धांत का अभ्युदय 9वीं सदी में हुआ | इससे पूर्व रस सिद्धांत, अलंकार सिद्धांत तथा रीति सिद्धांत को पर्याप्त लोकप्रियता मिल चुकी थी | ध्वनि-सिद्धांत के संस्थापक आनंदवर्धन ने ध्वनि की मौलिक उदभावना करके काव्य के अंतर्तत्त्वों की विशद व्याख्या की | उन्होंने काव्यात्मा के संदर्भ में प्रचलित भ्रांतियों पर व्यापक प्रकाश … Read more

पवन की उत्पत्ति के कारण व प्रकार

एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर चलने वाली वायु ( Air ) को पवन ( Wind ) कहते हैं | पवन के प्रकारों को जानने से पहले पवन की उत्पत्ति के कारण जानना आवश्यक होगा | पवन की उत्पत्ति के कारण पवन धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण चलती है | जिस … Read more

वायुमंडलीय दाब : अर्थ एवं प्रकार

वायुमंडलीय दाब पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है | अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुपात मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रव स्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है | वायु एक … Read more

आर्द्रता, बादल तथा वर्षण

आर्द्रता, बादल तथा वर्षण वायुमंडल तथा पृथ्वी पर जल उपलब्धता के विभिन्न माध्यम हैं | इनका विस्तृत वर्णन इस प्रकार है — आर्द्रता ( Humidity ) वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं | वायुमंडल में इसकी मात्रा शून्य से 4% तक पाई जाती है | यह वायुमंडल में तीन रूपों में मिलता है … Read more

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