राजभाषा हिंदी : प्रावधान और प्रयोग ( Hindi Minor 2nd Semester )

(1) राजभाषा : अर्थ, परिभाषा और प्रकृति ( स्वरूप ) (2) राष्ट्रभाषा : अर्थ, परिभाषा और विशेषताएँ (3) राज भाषा और राष्ट्र भाषा में अंतर (4) प्रशासनिक भाषा का अर्थ व विशेषताएँ या तत्त्व (5) मानक भाषा : अर्थ, परिभाषा और विशेषताएँ या लक्षण (6) राजभाषा अधिनियम, 1963 (7)त्रिभाषा सूत्र ( Three Language Formula ) … Read more

त्रिभाषा सूत्र ( Three Language Formula )

भारतीय शिक्षा व्यवस्था में त्रिभाषा सूत्र (Three-Language Formula) एक नीति है जिसका उद्देश्य देश की भाषाई विविधता को संरक्षित करते हुए राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना और छात्रों को बहुभाषी बनाने में मदद करना है। इसे पहली बार 1968 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Policy on Education) में औपचारिक रूप से प्रस्तावित किया गया था, … Read more

प्रशासनिक भाषा का अर्थ व विशेषताएँ या तत्त्व

प्रशासनिक भाषा वह भाषा होती है जिसका उपयोग सरकार और उसके विभिन्न विभाग अपने प्रशासनिक कार्य, दस्तवेजों, नियमों, नोटिस और आधिकारिक संचार में करते हैं। प्रशासनिक भाषा की परिभाषा: प्रशासनिक भाषा वह भाषा होती है जिसे किसी देश की सरकार अपने विभिन्न विभागों, कार्यालयों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में संवाद स्थापित करने, आदेश देने, रिपोर्ट तैयार … Read more

भाषण की उपयोगिता या महत्त्व

भाषण का महत्त्व (Importance of Speech) भाषण मानव संचार का एक शक्तिशाली माध्यम है जो व्यक्तिगत, सामाजिक, शैक्षिक और व्यावसायिक स्तर पर अहम भूमिका निभाता है। यह न केवल विचारों को स्पष्ट करता है, बल्कि लोगों को प्रभावित करने, प्रेरित करने और जोड़ने का काम भी करता है। भाषण का महत्त्व या उपयोगिता निम्नलिखित बिंदुओं … Read more

राज भाषा और राष्ट्र भाषा में अंतर

भारत में “राज भाषा” और “राष्ट्र भाषा” दो अलग-अलग संदर्भों में प्रयोग की जाने वाली अवधारणाएँ हैं। राजभाषा और राष्ट्र भषा में निम्नलिखित छः अंतर हैं : (1) राज भाषा वह भाषा है जो सरकार द्वारा आधिकारिक कार्यों, प्रशासन और संचार के लिए प्रयोग की जाती है जबकि राष्ट्र भाषा वह भाषा है जो देश … Read more

सफल वक्ता के गुण

एक सफल वक्ता में निम्नलिखित गुण होने चाहिएँ : (1) आत्मविश्वास: एक सफल वक्ता अपनी बात को पूरे विश्वास के साथ रखता है। यह आत्मविश्वास श्रोताओं को प्रभावित करता है और उनकी नज़रों में वक्ता की विश्वसनीयता बढ़ाता है। (2) स्पष्टता: वह अपनी बात को साफ और सरल तरीके से व्यक्त करता है, ताकि हर … Read more

भाषण कला का विकास कैसे करें

भाषण को निखारने के लिए कुछ प्रभावी तरीके निम्नलिखित हैं: (1) अभ्यास करें: नियमित रूप से बोलने का अभ्यास करें | आईने के सामने या दोस्तों के साथ प्रैक्टिस करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और हिचकिचाहट कम होती है। (2) स्पष्टता और गति: धीरे और स्पष्ट बोलें। शब्दों को जल्दबाजी में न बोलें, ताकि श्रोता … Read more

भाषण के विषय चयन की सावधानियाँ

भाषण के लिए विषय का चयन करते समय कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए ताकि आपका भाषण प्रभावी, संतुलित और दर्शकों के लिए उपयोगी बन सके। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ दी गई हैं: 1. विवादास्पद या संवेदनशील विषयों से सावधान रहें धर्म, राजनीति, जाति, लिंग आदि से जुड़े विषयों पर बोलते समय संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए | … Read more

नेतृत्व का अर्थ व नेता के गुण

नेतृत्व का अर्थ नेतृत्व (Leadership) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति किसी समूह या संगठन को निर्देशित, प्रेरित और मार्गदर्शित करता है ताकि सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके। यह एक सामाजिक प्रभाव की प्रक्रिया है जिसमें नेता अपने अनुयायियों को प्रभावित करके उनसे कार्य करवाता है। नेतृत्व की परिभाषा ( Definition Of Leadership … Read more

आलेख : अर्थ, विशेषताएँ व प्रकार

“आलेख” का शाब्दिक अर्थ होता है “लिखित विवरण”। यह एक प्रकार का गद्यात्मक वर्णन होता है, जिसमें किसी विषय पर सुव्यवस्थित, तर्कसंगत और विस्तृत रूप से विचार प्रस्तुत किए जाते हैं। परिभाषा : “आलेख एक लिखित रचना है जिसमें किसी विषय पर लेखक अपने विचारों, तर्कों और अनुभवों को व्यवस्थित और सुसंगत ढंग से प्रस्तुत … Read more

राजभाषा अधिनियम, 1963

राजभाषा अधिनियम (Official Languages Act – 1963) भारत में संघ के कार्यालयी प्रयोजनों के लिए हिंदी और अंग्रेजी के प्रयोग को नियंत्रित करने वाला कानून है। यह अधिनियम 1963 में पारित किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्थापित करना है। … Read more

लोंजाइनस का उदात्त सिद्धांत

लोंजाइनस प्राचीन यूनान के महान साहित्यशास्त्री व आलोचक थे | उनके जन्म को लेकर विद्वान् एकमत नहीं हैं | अधिकांश विद्वान् ईसा की तीसरी सदी उनका जीवन काल मानते हैं | उनकी रचना ‘पेरिइप्सुस’ पाश्चात्य काव्यशास्त्र की महत्वपूर्ण पुस्तक है | लोंजाइनस (Longinus) का उदात्त सिद्धांत (Sublime Theory) प्राचीन साहित्यिक आलोचना का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत … Read more

अरस्तू का विरेचन सिद्धांत

अरस्तू (Aristotle) प्राचीन ग्रीस का एक महान दार्शनिक और वैज्ञानिक था। अरस्तू का जन्म 384 ईo पूo में स्तगिरा, यूनान में हुआ था | वह प्लेटो (Plato) का शिष्य और सिकंदर महान (Alexander the Great) का गुरु था। अरस्तू ने तर्कशास्त्र, नीतिशास्त्र, राजनीति, काव्य, जीव विज्ञान और भौतिकी जैसे कई विषयों पर गहन अध्ययन किया … Read more

अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत

अरस्तू ( Aristotle ) (384 ईसा पूर्व – 322 ईसा पूर्व) प्राचीन ग्रीस के एक महान दार्शनिक, वैज्ञानिक और शिक्षक थे। वे प्लेटो (Plato) के शिष्य और सिकंदर महान (Alexander the Great) के गुरु थे। अरस्तू को “पश्चिमी दर्शन का जनक” कहा जाता है, क्योंकि उनकी शिक्षाओं ने दर्शन, विज्ञान, राजनीति, काव्य, नाटक, नैतिकता और … Read more

भाषण का अर्थ, प्रकार व अच्छे भाषण की विशेषताएँ या गुण

भाषण से अभिप्राय एक ऐसे मौखिक संप्रेषण (verbal communication) से है, जिसमें कोई व्यक्ति किसी समूह या सभा के सामने अपने विचार, ज्ञान, अनुभव, या जानकारी को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, प्रेरित करना, शिक्षित करना या किसी विषय पर अपनी राय व्यक्त करना हो सकता है। भाषण … Read more

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