अलौकिक प्रेम की मृगतृष्णा

भक्तिपरक रचनाओं में प्रायः अलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति मिलती है । सगुण व निर्गुण भक्ति काव्य दोनों में ही विभिन्न रूपकों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की महत्ता प्रतिपादित की गई है । सगुण काव्य में जहाँ राधा-कृष्ण या गोपियों के प्रसंगों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है वहीं निर्गुण काव्य में … Read more

आधुनिकता के लिथड़ों में लिपटी रूढ़िवादिता

कहने को हम आज इक्कीसवीं सदी के अत्याधुनिक समाज में जी रहे हैं और अपनी छद्मआधुनिकता का दम्भ भरते हैं परंतु न चाहते हुए भी हमें ये स्वीकारना होगा की जैसे-जैसे हम आधुनिक हो रहे हैं वैसे – वैसे हमारी रूढ़िवादिता और अधिक रूढ़ होती जा रही है । हम अपनी आधुनिक शिक्षा के दम … Read more

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